मद्रास हाई कोर्ट
मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) कोलकाता में कलकत्ता उच्च न्यायालय और मुंबई में बॉम्बे हाई कोर्ट के बाद भारत का तीसरा सबसे पुराना उच्च न्यायालय है (Third Oldest High Court of India). यह चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है (Madras High Court Principal Bench). पूरा तमिलनाडु राज्य और पुडुचेरी का केंद्र शासित प्रदेश इसके मूल अधिकार क्षेत्र और अपीलीय क्षेत्राधिकार में आते हैं (Madras High Court Jurisdiction). इसका एक बेंच मदुरई में स्थित है, जिसकी स्थापना 2004 में हुई थी (Madras High Court Bench). मद्रास हाई कोर्ट 107 एकड़ में फैला है. यह दुनिया के सबसे बड़े कोर्ट कॉम्प्लेक्स में से एक है. सिर्फ लंदन स्थित यूनाइटेड किंगडम का सुप्रीम कोर्ट का कॉम्पलेक्स इससे बड़ा है (Madras High Court Second Largest Court Complex of World).
यह अदालत भारत में तीन उच्च न्यायालयों में से एक है, जो मद्रास, बॉम्बे और कलकत्ता के तीन प्रेसीडेंसी टाउन में महारानी विक्टोरिया के 26 जून 1862 को दिए गए पेटेंट के तहत स्थापित की गई थी. मद्रास हाई कोर्ट की स्थापना 15 अगस्त 1862 में हुई थी (Madras High Court Establishment).
न्यायालय के पास अपीलीय के अलावा मूल क्षेत्राधिकार है. इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की अपील केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है. मद्रास हाई कोर्ट में 75 न्यायाधीशों की क्षमता है, जिनमें से 56 स्थायी और 19 अतिरिक्त जज हो सकते हैं (Madras High Court Sanctioned Strength).
पीवी राजामन्नार मद्रास हाई कोर्ट के पहले भारतीय मुख्य न्यायाधीश थे (First Indian Chief Justice of Madras High Court). न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 14 फरवरी 2022 को पदभार ग्रहण किया ( Current Chief Justice of Madras High Court).
चेन्नई स्थित अन्ना विश्वविद्यालय कैंपस में एक छात्रा से कथित यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है. ये घटना 23 दिसंबर की बताई जा रही है. ये घटना उस वक्त हुई जब छात्रा अपने मेल (पुरुष) फ्रेंड के साथ थी. पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए एक शख्स को भी गिरफ्तार किया है.
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव के संस्थान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. ईशा फाउंडेशन से जुड़े मामले में आगे की पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से केस खुद को ट्रांसफर कर लिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों से जुड़े पोर्नोग्राफी कंटेंट के मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है. सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि इस तरह का कंटेंट देखना, प्रकाशित और डाउनलोड करना अपराध है. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला, साथ ही ये भी जानेंगे कि भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर बैन क्यों ज़रूरी था.
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे लोगों पर गोली चलाने की बात पचने वाली नहीं. कोर्ट ने कहा कि ये ऐसा मामला है जिसके बारे में हमने कभी नहीं सुना है.यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भविष्य में ऐसी घटना न हो.
शख्स ने इस मामले में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए बार काउंसिल से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वह केवल प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज के ग्रैजुएट्स को ही सदस्यता दें. अदालत ने याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
जब कोई व्यक्ति जेल में सजा काट रहा हो तो उसके भी कई अधिकार होते हैं और कानून के हिसाब से उनका ख्याल रखा जाता है. ऐसे में कैदियों को अपने पार्टनर के साथ टाइम स्पेंड करने के लिए छूट भी दी जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित पीएफआई के कथित आठ सदस्यों की जमानत रद्द कर दी है. कोर्ट ने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि है. किसी भी हिंसक या अहिंसक आतंकवादी कृत्य को प्रतिबंधित किया जा सकता है. इन पीएफआई सदस्यों पर देशभर में आतंकी वारदातों को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप है.
मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर अहम टिप्प्णी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे का पोर्न देखना अपराध नहीं है, लेकिन पोर्न में बच्चे का इस्तेमाल करना अपराध है.
मद्रास हाई कोर्ट ने हाल में कह दिया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना, या उसे देखना आईटी एक्ट के तहत गैरकानूनी नहीं. न ही ये पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आएगा. ये कहते हुए उसने न केवल केस को रद्द कर दिया था, बल्कि सहानुभूति जताते हुए आरोपी को काउंसलिंग की सलाह भी दे डाली. अब हाई कोर्ट के इसी रवैए पर सुप्रीम कोर्ट भड़का है.
मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो को मंजूरी दे दी है. इससे पहले स्थानीय जिला पुलिस अधिकारियों ने सुरक्षा जोखिमों सहित कई कारणों का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था. देखें वीडियो.
मद्रास हाईकोर्ट ने इस साल जनवरी में पारित अपने फैसले में कहा था कि बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना POCSO या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध नहीं है क्योंकि ऐसा कार्य बिना किसी को प्रभावित या गोपनीयता में किया जाता है. हाईकोर्ट ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी थी, जिस पर अपने मोबाइल फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करने का आरोप लगाया गया था.
सनातन धर्म के खिलाफ कथित अपमानजनक बयानबाजी को लेकर डीएमके मंत्रियों के उनके पद पर बने रहने को लेकर सवाल उठे थे. इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया लेकिन कहा कि उच्च पद पर बैठे लोगों को ध्यान रखना चाहिए.
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को मस्जिद-ए-हादिया और मदरसे को गिराने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता हादिया मुस्लिम वेलफेयर इस जमीन का मालिकाना हक नहीं रखता है. कोर्ट ने कहा कि हादिया मुस्लिम वेलफेयर का इस जमीन पर कब्जा है.
मद्रास हाईकोर्ट ने मंदिरों में एंट्री को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मंदिरों में गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी मंदिरों में गैर-हिंदुओं की एंट्री रोकने वाले बोर्ड लगाए जाएं.
मद्रास हाई कोर्ट में मंगलवार को न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने खंडपीठ के उस आदेश को याद दिलाया, जिसमें कहा गया था कि अगर सेंथिल बालाजी बिना पोर्टफोलियो के मंत्री बने रहेंगे तो यह अच्छा संकेत नहीं है. जस्टिस आनंद वेंकटेश ने हैरानी जताई कि जनता को किस तरह का संदेश दिया जा रहा है.
बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप (Manish Kashyap) को बड़ी राहत मिली है. मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने मनीष के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के आरोप को खारिज कर दिया है. कश्यप पर अपने यूट्यूब चैनल पर तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी श्रमिकों की पिटाई के फर्जी वीडियो चलाने का आरोप लगा था.
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एम एस धोनी की याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आईपीएस अधिकारी जी संपत कुमार को 15 दिन की कैद की सजा सुनाई है.
मद्रास हाई कोर्ट के न्यायाधीश जी जयचंद्रन ने टिप्पणी करते हुए कहा, 'सत्ता में बैठे व्यक्ति को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए और उन विचारों को प्रचारित करने से खुद को रोकना चाहिए, जो विचारधारा, जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का काम करते हैं.
तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले के एक सरकारी कॉलेज ने एक सर्कूलर जारी किया था, जिसमें छात्रों से तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री अन्नादुराई की जयंती के अवसर पर "सनातन का विरोध" विषय पर अपने विचार साझा करने का अनुरोध किया गया है. इसे मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इसी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है.
मद्रास हाई कोर्ट ने मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति के मामले में कहा कि मंदिर के पुजारियों की नियुक्ति में जाति के आधार पर वंशावली की कोई भूमिका नहीं होगी. दरअसल मुथु सुब्रमणिया गुरुक्कल ने तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग द्वारा 2018 में सलेम के श्री सुगवनेश्वर स्वामी मंदिर में पुजारियों की भर्ती के लिए निकाले गए एक विज्ञापन को चुनौती दी थी.
पुलिस बल में देश की पहली ट्रांसजेंडर पृथिका याशिनी ने एक बच्चे को गोद लेने के लिए साल 2021 में सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी से संपर्क किया था. मगर, बीते साल 22 सितंबर को उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया था. इस पर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास और सीएआरए को नोटिस जारी किया है.