माघ मेला, एक वार्षिक उत्सव है. माघ, जनवरी या फरवरी में पड़ता है. इस महीने में नदी के किनारे और मंदिरों के पास पवित्र तालाबों के पास मेले लगते हैं और स्नान किया जाता है. लेकिन, पुराणों के मुताबिक लगभग हर बारह साल में जब, बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा की ज्योतिषीय शुभ स्थिति बनती है, तब माघ मेला का आयोजन किया जाता है और श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, जिसे कुंभ मेला या कुंभ स्नान कहा जाता है.
मान्यता है कि माघ में किए गए पवित्र नदियों में स्नान से पूर्व जन्म के पापों से छुटकारा मिलता है. यह एक प्रायश्चित का एक साधन बन जाता है. साथ ही, पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति और मोक्ष मिल जाती है.
माघ मेला पर्व का उल्लेख महाभारत और कई प्रमुख पुराणों में मिलता है.
प्रयागराज में माघ पूर्णिमा के स्नान से पूर्व भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष तैयारियां सुनिश्चित की जाएं. अब तक 4.4 करोड़ से अधिक भक्तों ने संगम में स्नान किया है. पुलिस और प्रशासन यातायात को नियंत्रित करने के लिए तत्पर हैं.
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में गंगा तट पर चल रहे मेला रामनगरिया में भीषण हादसा हो गया. यहां अज्ञात वजहों से मेले में आग लग गई. जिसके बाद कल्पवास करने वालों की झोंपड़ी में रखे सिलेंडर फट गए. करीब 100 झोपड़ियां जल गईं. इस घटना में 14 साल के बच्चे की मौत हो गई है. वहीं सात लोगों की हालत गंभीर है.
फर्रुखाबाद के पांचाल घाट स्थित माघ मेला लगता है. मेले में लोग आकर एक माह तक गंगा तट पर कल्पवास करते हैं. गुरुवार की रात मेले में एक झोपड़ी में अज्ञात कारण से आग लग गई. देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और मेला क्षेत्र में आग फैल गई. आग से लगभग 100 से अधिक झोपड़ियां जलकर खाक हो गई.
यूपी के फर्रुखाबाद में गंगा तट पांचाल घाट पर मेला रामनगरिया शुरू हो गया है. विधि विधान से पूजन के साथ मेले का उद्घाटन किया गया. यहां गंगा किनारे तंबुओं का शहर बस गया है. ये मेला एक महीने तक चलेगा. यहां पांच शाही स्नान होते हैं. इसे मिनी कुंभ भी कहा जाता है.
फर्रुखाबाद में पांचाल घाट पर माघ मेला में साधु-संतों ने विरोध-प्रदर्शन कर इटावा-बरेली हाईवे पर जाम लगा दिया. साधु संतों का कहना है कि यह माघ मेला जूना अखाड़ा, वैष्णव संप्रदाय और दंडी स्वामी के नेतृत्व में होता है. मेले में जिला प्रशासन द्वारा तीनों अखाड़ों का न तो द्वार बनाया गया, न ही निमंत्रण पत्र पर अखाड़ों का नाम है.
धर्म की नगरी प्रयागराज के संगम तट पर माघ मेले में आज पौष पूर्णिमा का स्नान पर्व है.
प्रयागराज में 2025 के कुंभ मेले का आयोजन होना है. इससे पहले पड़ रहे इस माघ मेले को उसकी रिहर्सल की तरह से देखा जा रहा है और उसी तरह से तैयारियां की जा रही हैं. इसके साथ ही कई नवाचार भी किए गए हैं. इस बार मेले में प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह से बैन रहेगा. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रहेगी.
Magh Purnima 2023: माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का काफी ज्यादा महत्व होता है. इसे माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए. वहीं प्रयागराज के संगमस्थल पर आज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है.
Magh Purnima 2023: इस बार माघ पूर्णिमा का व्रत 05 फरवरी 2023, रविवार को रखा जाएगा. इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. माघ पूर्णिमा को मघा और माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. साथ ही इस दिन स्नान और दान करना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं कि इस दिन किन गलतियों से सावधान रहना चाहिए.
Magh Purnima 2023 kab hai: माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. माघ पूर्णिमा के दिन सभी सरोवरों, तीर्थस्थानों, नदियों अथवा घर पर ही शुद्धता पूर्वक स्नान करने की महत्ता बताई गई है. इस बार माघ पूर्णिमा 05 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. साथ ही इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे माघ मेले के दौरान मौनी अमावस्या के मौके पर 'संगम' में पर लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल रहीं. कड़ाके की ठंड के बावजूद बड़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंचे. उन्होंने लक्ष्मी, भगवान गणेश और सूर्य देव की पूजा भी की. देखें ये रिपोर्ट.
Magh Purnima 2023: शास्त्रों में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. इस बार माघ पूर्णिमा का व्रत 05 फरवरी को रखा जाएगा. माघ पूर्णिमा के दिन सभी सरोवरों, तीर्थस्थानों, नदियों अथवा घर पर ही शुद्धता पूर्वक स्नान करने की महत्ता बताई गई है. माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
Magh Mela in Uttarkashi: उत्तरकाशी में पौराणिक और ऐतिहासिक माघ मेले का आगाज हो गया है. इस 9 दिवसीय माघ मेले का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. धार्मिक मान्यताओं में यह मेला महाभारत काल से जुड़ा है. वहीं, ऐतिहासिक महत्व यह है कि यह मेला भारत और तिब्बत के व्यापार का साक्षी रहा है.
प्रयागराज में माघ मेले की धुरुआत हो चुकी है. प्रयागराज में होने वाले माघ मेले को अर्ध कुंभ मेला भी कहा जाता है. इसलिए इसे कुंभ के रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा है. इस विशाल आयोजन में टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. हर चीज पर करीब से नजर रखी जा रही है. देखें ये रिपोर्ट.
प्रयागराज में माघ मेले की शुरुआत हो गई है. इस मेले के दौरान कई श्रद्धालु यहां रुकते हैं. मेले एएसपी ने बताया कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा और रुकने के लिए क्या व्यवस्था की गई है. देखें वीडियो.