महाबोधि मंदिर
महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) या महाबोधि महाविहार (Mahabodhi Mahavihar) बोधगया में एक प्राचीन, बौद्ध मंदिर है. कहा जाता है कि बुद्ध को इसी स्थान पर ज्ञानोदय हुआ था. बोधगया, गया जिले में है जो बिहार राज्य की राजधानी पटना से लगभग 96 किमी दूर है (Mahabodhi Temple Location).
कहा जाता है कि वहां एक पीपल के पेड़ (फिकस धर्मोसा या पवित्र अंजीर) के नीचे गौतम बुद्ध ध्यान में बैठे, जिसे बाद में बोधि वृक्ष के रूप में जाना जाने लगा. बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुसार, तीन दिन और तीन रातों के बाद, सिद्धार्थ को ज्ञान और उनके द्वारा मांगे गए उत्तरों की प्राप्ति हुई. उस स्थान पर, सम्राट अशोक (period of Ashoka) द्वारा लगभग 260 ईसा पूर्व में महाबोधि मंदिर का निर्माण किया गया था (Bodhi Tree).
बोधगया में बोधि वृक्ष ऐतिहासिक बुद्ध, सिद्धार्थ गौतम (Siddhartha Gautama) के जीवन से सीधे जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इसके तहत ध्यान करते समय ज्ञान या पूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त की थी. मंदिर सीधे बोधि वृक्ष के पूर्व में बनाया गया था, माना जाता है कि यह मूल बोधि वृक्ष का प्रत्यक्ष वंशज है. हालांकि, इस स्थान के पुरातात्विक खोजों से संकेत मिलता है कि यह स्थान कम से कम मौर्य काल से बौद्धों के लिए पूजा का स्थल था (Bodhi Tree History).
दो हजार वर्षों से अधिक समय से हिंदुओं और बौद्धों के लिए महाबोधि मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल रहा है.
तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई 28 दिनों के प्रवास पर बोधगया में हैं जहां उन्होंने आज महाबोधि मंदिर में विशेष पूजा की. इसके बाद वो बोधि वृक्ष के नीचे साधना करेंगे. दलाई लामा के बोधगया प्रवास को लेकर पूरे इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.
बोधगया के महाबोधि मंदिर परिसर में सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी के बैग से शराब की बोतलें बरामद की गई हैं जबकि मंदिर परिसर से भी खाली बोतलें बरामद हुई हैं. एसएसपी की छापेमारी के दौरान ये बोतलें पाई गई हैं. आने वाले कुछ दिनों में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा महाबोधि मंदिर आने वाले हैं.