मां महागौरी (Mahagauri) हिंदू धर्म में शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं. यह देवी दुर्गा के नौवें रूप में पूजी जाती हैं और नवरात्रि के आठवें दिन (अष्टमी) इनकी आराधना की जाती है. महागौरी के स्वरूप को अति सौम्य, श्वेतवर्ण और करुणामयी माना जाता है. उनका यह स्वरूप शक्ति, शुद्धता और कल्याण का प्रतीक है.
महागौरी का रूप अत्यंत दिव्य और मनोहर है. उनका वर्ण पूर्णतः श्वेत होता है, जिस कारण उन्हें "महागौरी" कहा जाता है. वे चार भुजाओं वाली हैं- एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में और चौथा वरदमुद्रा में होता है. वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की, तो उनकी काया काली पड़ गई. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन पर गंगाजल छिड़का, जिससे उनका रंग अत्यंत गोरा हो गया. इसी कारण उन्हें महागौरी कहा जाता है.
माना जाता है कि मां महागौरी की कृपा से भक्तों के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और वे शुद्ध एवं पवित्र हो जाते हैं. इनकी आराधना से विवाहित महिलाओं को सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है और अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है. माता महागौरी का ध्यान करने से जीवन में शांति, समृद्धि और मानसिक शुद्धता प्राप्त होती है.
मां महागौरी करूणा, प्रेम और शक्ति की देवी हैं। उनकी उपासना करने से सभी कष्टों का नाश होता है और जीवन में शुभता आती है. भक्तों के लिए उनकी आराधना मोक्षदायी मानी जाती है. इसलिए, जो भी श्रद्धा और भक्ति से मां महागौरी की पूजा करता है, उसे जीवन में असीम आनंद और कल्याण प्राप्त होता है.
मां महागौरी का मंत्र
"ॐ देवी महागौर्यै नमः"