मणिपुर
मणिपुर (Manipur) भारत का एक पूर्वोत्तर राज्य है. इसकी राजधानी इंफाल है. उत्तर में नागालैंड, दक्षिण में मिजोरम, पश्चिम में असम, और पूर्व में इसकी सीमा म्यांमार से मिलती है. वनस्पतियों और जीवों की विविधताओं से भरपूर मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र का 67% हिस्सा पहाड़ी इलाकों से ढका हुआ जंगल है. इसका क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किलोमीटर है.
2011 की जनगणना के मुताबिक मणिपुर की जनसंख्या (Population) लगभग 29 लाख है और यहां हर वर्ग किलोमीटर में 128 लोग रहते हैं (Density). यहां का लिंग अनुपात 985 है (Sex ratio). इस राज्य की कुल आबादी का 76.94 फीसदी साक्षर है, जिनमें 83.58% पुरुष और 70.26% महिला साक्षर है (Manipur literacy).
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के साल 2018 की रिर्पोट के अनुसार मणिपुर में शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate IMR आईएमआर) 12 फीसदी है, शिशु मृत्यु दर के मामले में यह आंकड़ा मणिपुर को देश के सबसे सफल राज्यों में शुमार कराता है.
मणिपुर में 60 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (Assembly Constituencies) और 2 लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र (Lok Sabha Constituencies) हैं. मणिपुर में कुल 16 जिले हैं (16 Districts).
मणिपुर के लोगों में मैतेई, नागा, कुकी, मैतेई पंगल और अन्य रंगीन समुदाय शामिल हैं. ये वे लोग हैं जिनकी लोककथाएं, मिथक और किवदंतियां, नृत्य, स्वदेशी खेल और मार्शल आर्ट, विदेशी हथकरघा और हस्तशिल्प से जुड़े हुए हैं. इनकी भाषा मेइतिलोन है, जिसे मणिपुरी भाषा भी कहते हैं (People of Manipur).
इसकी अपनी कला-रूप और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियां मणिपुर को खास बनाती हैं. इसका प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य, मणिपुरी इसे विशेष दर्जा दिलाता है. मणिपुर की हर जातीय समूह की अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपरा है जो उसके नृत्य, संगीत और प्रथाओं से पता चलता है (Art and Culture).
इतिहासकारों की माने तो मणिपुर का इतिहास महाभारत के समय का है. महाभारत में एक योद्धा बभ्रुवाहन जो कि अर्जुन और मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा के पुत्र थे, इनका उल्लेख बिष्णुप्रिया मणिपुरी नाम के पौराणिक किताबों में चर्चा है. भारत की स्वतंत्रता के पहले यह एक रियासत था. मणिपुर का अर्थ होता है आभूषणों की भूमि (History).
कृषि और कृषि आधारित उद्योग मणिपुर की अर्थव्यवस्था का आधार हैं. राज्य में प्रचुर मात्रा में धान, गेहूं, मक्का, दलहन और तिलहन (जैसे तेल, मूँगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी आदि) की खेती की जाती है. इसके अलावा कई तरह के फलों जैसे अनानास, नींबू, केला, नारंगी और सब्जियां जैसे फूलगोभी, बंदगोभी, टमाटर और मटर आदि का उत्पादन किया जाता है. यहां कृषि व खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं हैं (Agriculture).
अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण मणिपुर को 'भारत का आभूषण' और 'पूरब का स्विट्जरलैंड' भी कहा जाता है. यहां के दर्शनीय स्थलों में इंफाल, उख्रुल प्रसिद्ध हैं. इंफाल में कांग्ला पार्क, गोविंद मन्दिर, वहां के बाजार, टीकेन्द्रजित पार्क खास हैं तो उख्रुल की पहाड़ियां और चुराचांदपुर जिले में लोकतक झील पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं (Tourist places).
मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला के सात दिन के अंदर अवैध हथियार सरेंडर करने के अल्टीमेटम की समयसीमा समाप्त होने से पहले गुरुवार को एक मैतेई ग्रुप ने 246 हथियारों को सरेंडर कर दिया है. मैतेई ग्रुप द्वारा अवैध हथियारों के साथ-साथ सुरक्षाबलों के हेलमेट, जूते, वर्दी और प्रोटेक्शन जैकेट भी सरेंडर की हैं. ग्रुप ने हथियार सरेंडर करने पहले मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी.
राज्यपाल अजय भल्ला ने मंगलवार को रिवाइवलिस्ट सांस्कृतिक संगठन अरामबाई टेंगगोल की एक टीम मुलाकात की. बैठक के बाद रॉबिन ने मीडिया को बताया कि राज्यपाल ने हमसे अवैध रूप से रखे गए हथियारों को भी सरेंडर करने का अनुरोध किया. हालांकि, हमने कुछ नियम और शर्तें रखीं और उन्हें आश्वासन दिया कि अगर वे शर्तें पूरी होती हैं तो हथियार सरेंडर कर दिए जाएंगे.
Manipur Governor arms surrender appeal: मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने 20 फरवरी को लोगों से अपील की थी कि वे लूटे गए और अवैध हथियारों को सात दिनों के भीतर बिना किसी सजा के डर के सरेंडर कर दें.
मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अपील के बाद, पुलिस के लूटे गए हथियारों और गैरकानूनी हथियारों को सात दिनों के भीतर समर्पण करने का अपील की गई. चुराचांदपुर जिले में असम राइफल्स के सामने 16 हथियारों सहित गोला-बारूद समर्पित किया गया. इस पहल में जोमी और कूकी समुदाय के नेताओं ने सक्रिय भागीदारी दिखाई.
पूर्वी इम्फाल जिले के अचनबीगई मैनिंग लाइकाई क्षेत्र से G5 संगठन के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. इन पर सेक्माई, इरिलबुंग, कोइरेंगी और पटसोई इलाकों में रेत से भरे ट्रकों से जबरन वसूली करने और ट्रक चालकों की चाबियां छीनने का आरोप है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान निंगथौजम याम्बा सिंह (43) और उशाम नेताजी सिंह (35) के रूप में हुई है.
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने वांगखई-आंद्रो पार्किंग, खुरई (इम्फाल ईस्ट) और यूरिपोक, चांचीपुर (इम्फाल वेस्ट) के बाजार और सड़क किनारे की दुकानों को जबरन बंद करवा दिया. रात में मेईरा रैली निकाली गई, जिसमें विलेज वॉलंटियर्स की गिरफ्तारी रोकने की मांग उठाई गई.
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद सुरक्षा बलों ने एक हफ्ते के अंदर ही एक सीनियर लीडर सहित 30 से ज्यादा उग्रवादियों को गिरफ्तार कर लिया है. सुरक्षा बलों ने हथियारों और विस्फोटकों का एक बड़ा जखीरा भी बरामद किया है.
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. इसके संकेत उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हालिया बयानों से मिलते हैं. सूत्रों की मानें तो शिंदे और मुख्यमंत्री फडणवीस के बीच कोल्ड वॉर की स्थिति है. इस बीच शुक्रवार को एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर दो दिन पहले दिया अपना 'टांगा पलटने' वाला बयान दोहराया.
मणिपुर के कई जिलों में चलाए गए अभियानों के दौरान करीब 15 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IEDs), एचके राइफल, इंसास राइफल और एके-सीरीज राइफल जैसे अत्याधुनिक स्वचालित हथियार जब्त किए गए हैं.
मणिपुर के राज्यपाल ने एक आधिकारिक बयान में कहा, सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए राज्य के सभी समुदायों को दुश्मनी को खत्म करने और समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए आगे आना चाहिए, जिससे लोग अपनी सामान्य दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में वापस लौट सकें.
मणिपुर के राज्यपाल ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए राज्य के सभी समुदायों को दुश्मनी को खत्म करने और समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए आगे आना चाहिए, जिससे लोग अपनी सामान्य दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में वापस लौट सकें."
मणिपुर में सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. इसी बीच, सुरक्षाबलों ने पूर्वी इंफाल और थौबल जिलों से विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों के 9 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी.
लोकतंत्र में राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था पेनकिलर जैसी होती है, जो तात्कालिक राहत भले दे दे लेकिन बीमारी अपनी जगह बनी ही रहती है - और यही वजह है कि मणिपुर संकट का स्थाई इलाज सियासी समाधान ही बचता है.
मणिपुर में 11वीं बार राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद चौथे ही दिन गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के इस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी. मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत क्यों आई और राष्ट्रपति शासन में प्रशासन कैसे चलता है?
मणिपुर में गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके चलते विधानसभा को भी निलंबित कर दिया गया है. मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा के चलते गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में केंद्रीय शासन की घोषणा करते हुए कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की राय है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें उस राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती है.
मणिपुर के CRPF कैंप में एक जवान ने अंधाधुंध गोलीबारी कर अपने दो साथियों की हत्या कर दी और फिर खुद को भी गोली मार ली. इस घटना में आठ अन्य जवान घायल हुए हैं. सूत्रों के अनुसार, यह घटना इम्फाल पश्चिम जिले के लाम्फेल में सीआरपीएफ कैंप में रात करीब 8:20 बजे हुई.
मणिपुर में राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. मुख्यमंत्री एन बीरेंद्र सिंह ने हाल ही में पद से इस्तीफे दिया था. राज्यपाल अजय भल्ला की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 356 के तहत यह निर्णय लिया. लेकिन सवाल ये कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागाने की नौबत क्यों आई? बीरेंद्र सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने यहां कोई नया नेता क्यों नहीं चुना? जानें इनसाइड स्टोरी.
मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तीन दिन बाद भी एन. बीरेन सिंह के उत्तराधिकारी पर कोई सहमति नहीं बनने के कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा के चलते कानून-व्यवस्था की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है.
President Rule in Manipur: मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लग गया है. अभी 9 फरवरी को बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. इस्तीफे के चार दिन बाद अब राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है.
मणिपुर सहित पूरे उत्तर-पूर्व में जातीय संघर्ष बेहद जटिल और गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं. न तो बिरेन सिंह का इस्तीफा, न कोई नया मुख्यमंत्री और न ही केंद्र का सीधा हस्तक्षेप इस समस्या का कोई आसान समाधान निकाल सकता है. जब तक राज्य के हर जातीय, धार्मिक और भाषाई समुदाय की अपनी अलग पहचान को बनाए रखने की मानसिकता कायम रहेगी तब स्थाई शांति की बीत बेमानी ही होगी.
सूत्रों के मुताबिक संबित पात्रा राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से बीते 12 घंटों में 2 बार मिले, लेकिन संभावित मुख्यमंत्री के नाम पर कोई निर्णय नहीं ले पाए हैं, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष सत्यब्रत सिंह, मंत्री बिस्वजीत सिंह, मंत्री खेमचंद, विधायक राधेश्याम और बसंत कुमार सहित कई नेताओं से चर्चा की है.