मणिपुर हाई कोर्ट
मणिपुर हाई कोर्ट (Manipur High Court) मणिपुर राज्य का उच्च न्यायालय है. इसकी स्थापना 23 मार्च 2013 को भारत के संविधान और 1971 के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों (पुनर्गठन) अधिनियम में संशोधन करने के बाद की गई थी (Manipur High Court Establishment). इससे पहले, मणिपुर राज्य गुवाहाटी उच्च न्यायालय की एक पीठ के अधिकार क्षेत्र में आता था. हाई कोर्ट की प्रिंसिपल सीट मणिपुर की राजधानी इंफाल में है (Manipur High Court Principal Seat).
न्यायालय के पास अपीलीय के अलावा मूल क्षेत्राधिकार है. इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की अपील केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है. मणिपुर हाई कोर्ट में 4 स्थायी न्यायाधीशों की क्षमता है (Manipur High Court Sanctioned Strength).
मणिपुर हाई कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे थे जिन्होंने इसकी स्थापना के दिन कार्यभार संभाला था (Manipur High Court First Chief Justice). इस अदालत के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. वी. संजय कुमार हैं जिन्होंने 24 फरवरी 2021 को कार्यभार संभाला (Manipur High Court Current Chief Justice).
मणिपुर में मई, 2023 में हिंसा शुरू होने के बाद राहुल गांधी का ये तीसरा दौरा है. जनवरी, 2024 में कांग्रेस के भारत न्याय यात्रा की शुरुआत भी राहुल गांधी ने मणिपुर के थौबल से की थी. मणिपुर के बाद वो न्याय यात्रा के साथ असम भी गये थे. अब राहुल के मणिपुर दौरे पर कई सवाल भी उठ रहे हैं.
वेस्ट इंफाल के जिलाधिकारी की ओर से जारी आदेश में 29 फरवरी से 5 मार्च तक जिले के विभिन्न हिस्सों में असम राइफल्स की सेवा की मांग की गई है. वहीं, बिष्णुपुर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी आदेश में विधानसभा सत्र समाप्त होने तक नंबोल पुलिस स्टेशन में तैनाती के लिए 5/6 गोरखा राइफल्स के एक कॉलम की मांग की गई है.
शुक्रवार रात करीब साढ़े नौ बजे मणिपुर के धनमंजुरी विश्वविद्यालय परिसर के अंदर विस्फोट हुआ. इस धमाके में ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (AMSU) के एक सदस्य को मौत हो गई, जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए हैं.
मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के अपने साल 2023 के आदेश को पलट दिया है. हाईकोर्ट का कहना है कि इस फैसले से राज्य में जातीय अशांति बढ़ सकती है. अब तक राज्य में भड़की जातीय हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
मणिपुर में हथियार और गोला-बारूद लूटने के मामले में सुनवाई के दौरान चीराप कोर्ट में हंगामा हो गया है. प्रदर्शनकारी छह आरोपियों को बिना शर्त रिहा करने की मांग कर रहे थे.
मणिपुर हाई कोर्ट ने अधिकारियों को दिए अपने अंतरिम आदेश में कहा कि कुछ जगहों पर जनता को सीमित इंटरनेट सेवाएं दी जाएं. अब हाई कोर्ट 23 जून को मामले की सुनवाई करेगा. बता दें कि बीते चार मई से ही मणिपुर में इंटरनेट पर रोक लगी हुई है.
मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किए जाने को लेकर याचिका पर मणिपुर हाईकोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में फैसला लेने के लिए कहा था. इसके बाद सूबे में हिंसा भड़क उठी थी. अब हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
मणिपुर में हो रही हिंसा तो अब थम गई है, लेकिन तनाव बरकरार है. इसके साथ ही जो शहर तीन दिन और तीन रात हिंसा की आग में झुलसते रहे हैं, वहां अब राख और कालिख मौजूद है. सबसे बुरी स्थिति उन शिविरों में हैं, जहां इस हालात से बचाए गए लोग तत्काल राहत के लिए लाए गए थे. आंसू सूखी आंखों में केवल एक ही सवाल आखिर हमारी गलती क्या थी?
मणिपुर में हिंसा और तनाव के माहौल को बढ़ावा देने में काफी हाथ अफवाहों का भी रहा है. असम राइफल्स ऐसी ही एक अफवाह की जांच की और गलत साबित किया. इसके साथ ही टीम ने 51 नागरिकों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जो कि डरे हुए थे और एक ट्रक में जा छिपे थे.
मणिपुर में कर्फ्यू के समय में ढील दी जा रही है. सीएम एन बीरेन सिंह ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है. राज्य के चुराचांदपुर जिले में सुबह 7 से 10 बजे तक कर्फ्यू में ढील रहेगी. हिंसा भड़कने पर सरकार ने इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम, बिष्णुपुर, चुराचंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगाया था.
मणिपुर में मैतेई समुदाय के अनुसूचित जनजाति के दर्जे को लेकर मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. बीजेपी नेता और मणिपुर पर्वत क्षेत्रीय परिषद के अध्यक्ष डिंगांगलुंग गंगमेई ने ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई है.