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मैरिटल रेप

मैरिटल रेप

मैरिटल रेप

मैरिटल रेप (Marital Rape) का मुद्दा कई वर्षों से भारतीय न्यायिक परिचर्चा में एक विवादास्पद विषय रहा है. आज के दौर में कई जगह ऐसे हालात हैं कि जब एक पति अपनी पत्नी की सहमति के बिना उसका यौन उत्पीड़न करता है. इसे मैरिटल रेप माने जाने की जद्दोजहद जारी है. कानूनन विवाहित यानि कि पति-पत्नी के बीच यौन संबंध को रेप की परिभाषा से बाहर रखा गया है.

मैरिटल रेप को घरेलू हिंसा और यौन शोषण का एक रूप माना जाता है. हालाकि, ऐतिहासिक रूप से, विवाह के भीतर यौन संबंध को पति-पत्नी का अधिकार माना जाता था, लेकिन अब दुनिया भर के कई समाजों में जीवनसाथी की सहमति के बिना इस इसे रेप माना जाता है.  लेकिन रूढ़िवादी संस्कृतियों द्वारा इसे कई जगह इंकार कर दिया गया है.

इस अपवाद भरे विषय ने सुप्रीम कोर्ट और विधायिका लेकर समाज के हर तबके के बीच एक जरूरी बहस भी छेड़ दी है. समर्थकों का तर्क है कि यह खंड विवाह जैसी पवित्र संस्था की रक्षा करता है. उनका मानना ​​है कि मैरिटल रेप कानून लाने से इस संस्था को नुकसान हो सकता है. इससे झूठे आरोपों को बढ़ावा मिलेगा और संभावित रूप से परिवार नष्ट हो जाएंगे. हालांकि, वे यह स्वीकार नहीं कर पाते हैं कि इस कानूनी अपवाद की वजह से कितनी ही महिलाओं के खिलाफ इस तरह की हिंसाओं के खतरे की दर तेजी से बढ़ रही है.

विवाह और परिवार के भीतर यौन और घरेलू हिंसा के मुद्दे विशेष रूप से, महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुद्दा, 20वीं सदी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मुद्दी बना है. फिर भी, कई देशों में, मैरिटल रेप या तो आपराधिक कानून से बाहर है, या अवैध माना गया है.

 

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