मार्क जोसेफ कार्नी (Mark Carney) एक प्रसिद्ध कनाडाई राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और बैंकर हैं. वे 9 मार्च, 2025 से कनाडा के प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत नेता हैं. वे लिबरल पार्टी के सजस्य हैं. गवर्निंग पार्टी के नेता के रूप में, कार्नी को कनाडा के अगले प्रधानमंत्री के रूप में जस्टिन ट्रूडो का उत्तराधिकारी बनने की उम्मीद है. उन्होंने पहले 2008 से 2013 तक बैंक ऑफ कनाडा के आठवें गवर्नर और 2013 से 2020 तक बैंक ऑफ इंग्लैंड के 120वें गवर्नर के रूप में कार्य किया. वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर (2013-2020) और बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर (2008-2013) रह चुके हैं. उन्होंने वैश्विक वित्तीय स्थिरता और जलवायु परिवर्तन के वित्तीय प्रभावों पर भी महत्वपूर्ण कार्य किया है.
उनका जन्म 16 मार्च 1965 को कनाडा में हुआ था. वे गोल्डमैन सैक्स में काम कर चुके हैं और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा संयुक्त राष्ट्र के जलवायु वित्त सलाहकार के रूप में भी कार्य कर चुके हैं.
कनाडा के नए प्रधानमंत्री ने अपने बयान से स्पष्ट कर दिया है कि वे भारत के साथ व्यापारिक और सौहार्द्रपूर्ण रिश्तों के समर्थक हैं. उन्होंने एक तरह से ट्रूडो को मैसेज देते हुए कहा है कि अगर वे प्रधानमंत्री होते तो भारत के साथ व्यापारिक अवसर बनाने के मौके का इस्तेमाल करने से नहीं चूकते.
मार्क कार्नी कनाडा के नए पीएम तब बनने जा रहे हैं जब ट्रंप के ट्रेड वॉर और कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने की उनकी बात ने कनाडाई लोगों को रुष्ट कर दिया है. कनाडा के लोग NHL और NBA खेलों में अमेरिकी राष्ट्रगान का विरोध कर रहे हैं. कुछ लोग सीमा के दक्षिण में अपनी यात्राएं रद्द कर रहे हैं, और कई लोग जब भी संभव हो अमेरिकी सामान खरीदने से बच रहे हैं. मार्क कार्नी ने खरी-खरी कहा है कि अमेरिकियों को कोई गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए.
लिबरल पार्टी का नेता चुने जाने के बाद मार्क कार्नी ने डोनाल्ड ट्रंप पर पलटवार करते हुए कहा कि अमेरिका कनाडा नहीं है. कनाडा कभी भी अमेरिका का हिस्सा नहीं बन सकता. अमेरिकी सरकार कनाडा के संसाधन, पानी और जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं. अगर वे इसमें कामयाब हो गए तो हमारी जिंदगी तबाह कर देंगे.
मार्क कार्नी ने लिबरल पार्टी के नेतृत्व की दौड़ जीत ली है और वे जस्टिन ट्रूडो के बाद कनाडा के नए प्रधानमंत्री बनेंगे. वे पूर्व केंद्रीय बैंक गवर्नर हैं और ऐसे पहले कनाडाई प्रधानमंत्री होंगे जिनके पास विधायी या कैबिनेट का कोई पूर्व अनुभव नहीं है. प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में 59 वर्षीय कार्नी ने 86 प्रतिशत सदस्यों के वोट हासिल किए.