मंगल
मंगल (Mars Planet) सूर्य से चौथा ग्रह है और सौरमंडल का दूसरा सबसे छोटा ग्रह है, जो केवल बुध से बड़ा है. इसे अक्सर "लाल ग्रह" कहा जाता है.मंगल एक पतला वातावरण वाला एक स्थलीय ग्रह है, जिसमें सतह की विशेषताएं जैसे प्रभाव क्रेटर, घाटियां, टीले और ध्रुवीय बर्फ की टोपी हैं (Mars is a terrestrial planet).
मंगल ग्रह पर सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons) है साथ ही, सौर मंडल ग्रह पर सबसे ऊंचा ज्ञात पर्वत, और सौर मंडल के सबसे बड़े घाटियों में से एक, वैलेस मेरिनेरिस भी मंगल ग्रह पर है. इसके ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में 40% चिकनी बोरेलिस बेसिन फैला हुआ है.
मंगल के पास अपना दो छोटे और अनियमित आकार के चंद्रमा हैं, फोबोस (Phobos) और डीमोस (Deimos ). मंगल ग्रह पर दिन और ऋतुओं की तुलना पृथ्वी से की जाती रही है क्योंकि ग्रहों की रोटेशनल टाइम पृथ्वी के समान होती है.
कई मानव रहित अंतरिक्ष यान द्वारा मंगल ग्रह की खोज की गई है. मारिनर 4 (Mariner 4) मंगल पर जाने वाला पहला अंतरिक्ष यान था जिसे 28 नवंबर 1964 को नासा ने लॉन्च किया था. यह यान 15 जुलाई 1965 को ग्रह के सबसे करीब पहुंच गया था. मेरिनर 4 ने कमजोर मार्टियन विकिरण बेल्ट का पता लगाया और अंतरिक्ष से दूसरे ग्रह की पहली छवियों को कैप्चर किया. नासा के वाइकिंग 1 (Viking 1) लैंडर ने 1976 में मंगल की सतह से पहली छवियों को भेजा था (First Pictures of Mars from the Planet).
दो देशों ने मंगल ग्रह पर रोवर्स को सफलतापूर्वक तैनात किया है. संयुक्त राज्य अमेरिका ने पहली बार 1997 में सोजॉर्नर (Sojourner) के साथ और चीन ने 2021 में ज़ूरोंग (Zhurong ) के साथ ऐसा किया है (Rovers on Mars).
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का रोजालिंड फ्रैंकलिन रोवर (European Space Agency's Rosalind Franklin rover) ने एक एस्ट्रोबायोलॉजी मिशन की योजना बनाई है. इस योजना के तहत मंगल की सतह पर तरल पानी मौजूद है या नहीं इसका पता लगाया जा सकता है. ऐसा लगता है कि मंगल की दोनों ध्रुवीय बर्फ की टोपियां बड़े पैमाने पर पानी से बनी हैं (Water on Mars).
मंगल को पृथ्वी से आंखों से आसानी से देखा जा सकता है.
28 फरवरी 2025 की शाम को एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने वाली है. उस दिन सौर मंडल के सभी सात ग्रह - शनि, बुध, नेपच्यून, शुक्र, यूरेनस, बृहस्पति और मंगल - एक साथ आकाश में दिखाई देंगे. यह एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जिसे महान ग्रहीय संरेखण (Great Planetary Alignment) कहा जाता है.
ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ऊर्जा, साहस, शक्ति, पराक्रम, शौर्य, भूमि, और भाई का कारक माना जाता है. आज वक्री अवस्था में मिथुन राशि में गोचर कर लिया है. मंगल अभी तक कर्क राशि में थे. मंगल 3 अप्रैल को पुन: कर्क राशि में वापसी करेंगे.
Mangal Gochar 2025: ज्योतिष गणना के अनुसार, मंगल सुबह करीब 10 बजकर 05 मिनट पर वक्री अवस्था में मिथुन राशि में गोचर करेंगे. ग्रह का वक्री होकर पिछली राशि में जाना बहुत ही अशुभ स्थिति मानी जाती है.
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के बाद ऐलान किया कि अमेरिका जल्द ही मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेगा. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष की दुनिया में अमेरिका का दमखम देखने को मिलेगा. इस दौरान ट्रंप ने कहा कि हम फिर से दुनिया की सबसे मजबूत सेना बनाएंगे.
NASA ने मंगल ग्रह पर इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर उड़ाया. इस हेलिकॉप्टर की इस साल अपनी 72वीं उड़ान के समय हार्ड लैंडिंग हो गई थी. तब से ये सवाल उठ रहा था कि क्या इंजीन्यूटी की जिंदगी खत्म हो गई. काफी जांच-पड़ताल के बाद ये पता चला है कि इंजीन्यूटी को दूसरी जिंदगी मिल गई है. वो मंगल पर दूसरा काम करेगा.
NASA ने मंगल ग्रह पर इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर उड़ाया. इस हेलिकॉप्टर की इस साल अपनी 72वीं उड़ान के समय हार्ड लैंडिंग हो गई थी. तब से ये सवाल उठ रहा था कि क्या इंजीन्यूटी की जिंदगी खत्म हो गई. काफी जांच-पड़ताल के बाद ये पता चला है कि इंजीन्यूटी को दूसरी जिंदगी मिल गई है. वो मंगल पर दूसरा काम करेगा.
93 साल पहले पर्ड्यू यूनिवर्सिटी की दराज में पत्थर मिला. वो वैसे कहां पहुंचा किसी को नहीं पता. लेकिन जब इस पत्थर की जांच हुई तो पता चला कि ये मंगल ग्रह से आया है. जो यह बताता है कि लाल ग्रह पर 74.2 करोड़ साल पहले पानी मौजूद था. इस पत्थर का नाम है लफायते उल्कापिंड (Lafayette Meteorite).
पिछले साल मई में मंगल का चक्कर लगा रहे यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सैटेलाइट ने अंतरिक्ष में मिला एक सिग्नल धरती पर भेजा. उसके बाद इस सिग्नल को डिकोड करने के लिए कॉम्पीटिशन रखा. इसका राज खोला अमेरिकी बेटी-पिता की टीम ने. इस काम में साल भर लग गया. लेकिन अब एलियन सिग्नल डिकोड हो गया है.
Mars पर मौजूद बर्फीली चादरों के नीचे जीवन होने की संभावना है. वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर गए स्पेसक्राफ्ट्स, रोवर, ऑर्बिटर का डेटा एनालिसिस करने के बाद यह अनुमान लगाया है. वहां बर्फ की मोटी परत के नीचे फोटोसिंथेसिस जैसी प्रक्रिया होने की भी संभावना है. देखें वीडियो.
Mars पर मौजूद बर्फीली चादरों के नीचे जीवन होने की संभावना है. वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर गए स्पेसक्राफ्ट्स, रोवर, ऑर्बिटर का डेटा एनालिसिस करने के बाद यह अनुमान लगाया है. वहां बर्फ की मोटी परत के नीचे फोटोसिंथेसिस जैसी प्रक्रिया होने की भी संभावना है.
मंगल ग्रह के उत्तरी ध्रुव पर वैज्ञानिकों को एक 'कुत्ता' दिखा है. सतह के नीचे मौजूद इस आकृति को देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं. क्योंकि वो मंगल ग्रह की ग्रैविटी का नक्शा बना रहे थे. तब उन्हें नॉर्थ पोल पर 20 अजीबोगरीब आकृतियां दिखाई दीं, जिसमें से एक यह 'Martian Dog' भी है.
Elon Musk ने मंगल पर अपना यान भेजने की नई टाइमलाइन का ऐलान कर दिया है. मस्क ने कहा कि अगले दो साल में मंगल ग्रह पर SpaceX का पहला Starship जाएगा. ये उस समय लॉन्च होगा, जब पृथ्वी और मंगल ग्रह की दूरी सबसे कम होगी. ट्रांसफर विंडो खुला होगा.
Mangal Gochar 2024: 26 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन मंगल ने मिथुन राशि में प्रवेश कर लिया. मंगल अब इस राशि में अगले साल 20 अक्टूबर तक रहेंगे. अब मंगल राहु और केतु से केन्द्र में आ गए हैं. ज्योतिषविदों की मानें तो मंगल का यह परिवर्तन लोगों की आर्थिक स्थिति और वैवाहिक जीवन पर गहरा असर डालने वाला है.
NASA ने मंगल ग्रह की सतह के नीच पानी का अकूत भंडार खोज लिया है. ये इतना है कि इससे एक सागर भर जाए. सतह के कई किलोमीटर नीचे पत्थरों में दरारें हैं. इन दरारों के बीच इतना तरल पानी है कि उन्हें जमा करने पर एक सागर बन जाए.
नासा ने मंगल ग्रह पर इतना पानी खोजा है जिससे पूरे ग्रह पर 1-2 किलोमीटर गहरा सागर बन जाए. पानी का ये स्रोत मंगल की ऊपरी लेयर यानी क्रस्ट में 11.5 से 20 km कि गहराई में है. चट्टानों की दरारों के बीच जमा है. भविष्य में इन्हें निकाला जा सके तो इंसान लंबे समय के लिए वहां कॉलोनी बना सकता है.
NASA ऐसा रॉकेट बनाने जा रहा है, जो सिर्फ दो महीने में ही एस्ट्रोनॉट्स को मंगल ग्रह तक पहुंचा देगा. इस रॉकेट का नाम होगा पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट (Pulsed Plasma Rocket). इसके बनने के बाद गहरे अंतरिक्ष में किसी भी तरह का मिशन करना ज्यादा आसान हो पाएगा. एस्ट्रोनॉट्स आसानी से और जल्दी-जल्दी ग्रहों पर यात्रा कर पाएंगे.
ISRO मंगल ग्रह पर अब लैंडिंग करने जा रहा है. नासा की तरह इसरो भी रेड प्लैनेट की सतह पर अपना स्पेसक्राफ्ट उतारेगा. लेकिन उससे पहले वह कम्यूनिकेशन रिले ऑर्बिटर भेजेगा. इतना ही नहीं Mangalyaan-2 मिशन में लैंडर, रोवर और हेलिकॉप्टर भी हो शामिल हो सकता है. आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में...
धरती के अंदर दूसरे ग्रह का हिस्सा छिपा हुआ है. दूसरे ग्रह का यह हिस्सा अफ्रीका और प्रशांत महासागर के नीचे हैं. यह घटना पृथ्वी के दूसरे ग्रह से हुई टक्कर की वजह हुई. इसकी वजह से ही चंद्रमा का निर्माण हुआ. यह खुलासा NASA-JPL और Caltech के वैज्ञानिकों ने किया है.
यहां ऊपर दिख रही तस्वीर मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव की है. जहां पर हजारों मकड़ियां दिख रही हैं. इन मकड़ियों की तस्वीर यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर ने ली है. इस तस्वीर ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. आइए जानते हैं इस फोटो की सच्चाई कि मंगल पर मकड़ियां कैसे पहुंच गईं? क्या ये Aliens हैं?
NASA की तरह भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO भी अपने अगले मंगलयान (Mangalyaan) मिशन में हेलिकॉप्टर भेजने वाला है. यह मिशन संभवतः 2030 के आसपास होगा. यह हेलिकॉप्टर लगभग नासा के इंजीन्यूटी की तरह ही होगा. जिसे पर्सिवरेंस रोवर के साथ मंगल ग्रह पर भेजा गया था.
चंद्रयान-3, विक्रम, प्रज्ञान, विकास... ये सब एक ही मिशन के हिस्सों का नाम है. पर ये आया कहां से? कैसे लिया गया ये फैसला कि यही नाम रखे जाएंगे? जब पूरी दुनिया Chandrayaan-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की तारीफ कर रही है. ऐसे में लोगों के दिमाग ये भी है कि इन नामों के पीछे की क्या कहानी है?