मिल्खा सिंह (Milkha Singh), जिन्हें प्यार से "फ्लाइंग सिख" कहा जाता है, भारत के सबसे महान एथलीटों में से एक थे. उनका जीवन संघर्ष, मेहनत और देशभक्ति की एक प्रेरणादायक कहानी है. मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को अविभाजित भारत के गोविंदपुरा (अब पाकिस्तान में) में हुआ था. भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान उन्होंने अपने परिवार के कई सदस्यों को खो दिया और बड़ी मुश्किलों से भारत आए. इस दर्दनाक अनुभव ने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
भारतीय सेना में भर्ती होने के बाद उनकी दौड़ने की प्रतिभा पहचानी गई. सेना में प्रशिक्षण के दौरान ही उन्होंने एथलेटिक्स की ओर रुख किया और जल्द ही राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया.
1958 के एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते. उसी वर्ष उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया और ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय एथलीट बने.
1960 के रोम ओलंपिक में उन्होंने 400 मीटर फाइनल में भाग लिया और मात्र 0.1 सेकंड से पदक चूक गए. हालांकि वह चौथे स्थान पर रहे, लेकिन उनका प्रदर्शन आज भी भारतीय खेल इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है.
मिल्खा सिंह का जीवन न केवल खेल के क्षेत्र में बल्कि मानसिक दृढ़ता और प्रेरणा का प्रतीक भी है. उन्होंने युवाओं को हमेशा अनुशासन, मेहनत और समर्पण का महत्व बतायाय
उनका निधन 18 जून 2021 को हुआ.