एमपॉक्स (MPOX) एक ऐसा संक्रमण है, जो दशकों तक अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम रही है. इंसानों में एमपॉक्स का पहला केस साल 1970 में कांगो में मिला था और तब से इसका प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. MPOX को पहले Monkey POX से जाना जाता था.
वर्तमान में एमपॉक्स का सबसे ज्यादा प्रकोप भी कांगो में देखने को मिल रहा है. यहां इस बीमारी के चलते हालात काफी भयावह हो गए हैं. लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. बता दें कि कांगो में जनवरी 2023 से अब तक 27 हजार केस सामने आ चुके हैं, जबकि 1100 मरीजों की मौत हो गई थी. एमपॉक्स की चपेट में आने वाले अधिकांश बच्चे हैं.
एमपॉक्स सामान्यतः बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और कमजोर इम्युनिटी सिस्टम वाले लोगों जैसे कि HIV से ग्रसित लोगों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है. कांगो में अब एमपॉक्स के दो स्ट्रेन तेजी से फैल रहे हैं. पहला- एनडैमिक फॉर्म यानी किसी स्थान विशेष में तेजी से फैलने वाला वायरस और दूसरा- इसके नए वंशज.
एमपॉक्स के सामान्य लक्षणों में बुखार, सर्दी लगना, शरीर में दर्द होना शामिल हैं. जबकि गंभीर केस में हाथ, चेहरे, छाती और प्राइवेट पार्ट्स पर घाव हो सकते हैं. घाव वाले स्थान से मवाद निकलता है. ये बीमारी और आमतौर पर हल्की होती है, लेकिन जानलेवा हो सकती है.
कर्नाटक में दुबई से आए 40 वर्षीय व्यक्ति में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई, जो बुखार और चकत्ते से पीड़ित है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा, मामला गंभीर नहीं है और सावधानी बरती जा रही है. चीन में नया वैरिएंट पाया गया है, जिसके बाद एहतियात बढ़ गई है.
भारत में वायरल इंफेक्शन MPox का खतरा एक बार फिर से बढ़ता नजर आ रहा है. केरल में दूसरा मामला रिपोर्ट किया गया है.
पॉजिटिव पाए गए मरीज को हॉस्पिटल में आइसोलेट किया गया है और इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अभी तक इस मामले में स्ट्रेन का पता नहीं चल पाया है.
केरल के मलप्पुरम जिले से भारत में पहला Mpox क्लेड 1b का मामला दर्ज किया गया है. मरीज संयुक्त अरब अमीरात से यात्रा करके लौटा था. यह मरीज दूसरे Mpox मामले से अलग है, जो क्लेड 2 का था और दिल्ली में दर्ज किया गया था.
दिल्ली के LNJP अस्पताल में 8 सितंबर को भर्ती किए गए MPOX मरीज को 21 सितंबर को डिस्चार्ज कर दिया गया है. अस्पताल प्रशासन के अनुसार, मरीज की हालत में लगातार सुधार हो रहा था और सभी मेडिकल पैरामीटर्स सामान्य पाए गए, जिसके बाद उसे 21 सितंबर को छुट्टी दी गई.
एमपॉक्स वायरस की वजह से दुनिया के कई देशों में हाहाकार मचा हुआ है. इस वायरस के फैले प्रकोप के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की तरफ से राहत भरी ख़बर सामने आई है, दरअसल WHO ने एमपॉक्स वायरस के उपचार के लिए वैक्सीनेशन के टीके को पहली मंजूरी दे दी है..
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ देशों में एमपॉक्स के खिलाफ़ विश्व के पहले टीके को मंजूरी दे दी है. एमवीए-बीएन वैक्सीन (MVA-BN vaccine) को फिलहाल 18 साल से कम लोगों के लिए नहीं बनाया गया है. हालांकि WHO ने जल्द से जल्द शिशुओं, प्रेग्नेंट महिलाओं, किशोरों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए भी ऐसे वैक्सीन को तैयार करने के निर्देश दिए हैं.
एमपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है, जो जानवरों और मनुष्यों के बीच फैल सकती है. ये बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और, फ्लू जैसे लक्षणों से शुरू होती है, जिसके बाद दाने निकलते हैं, जो फफोले या घावों में बदल जाते हैं.
भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि जुलाई 2022 से भारत में रिपोर्ट किए गए पहले के 30 मामलों की तरह, नया केस भी अलग है. यह WHO द्वारा रिपोर्ट की गई मौजूदा पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति का हिस्सा नहीं है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को एमपॉक्स मामले की पुष्टि करते हुए कहा था कि मरीज एक युवा पुरुष है, जो हाल ही में एमपॉक्स संक्रमण वाले देश से यात्रा करके आया था, वर्तमान में उसे आइसोलेशन में रखा गया है. मरीज की हालत मेडिकल रूप से स्थिर है और उसे कोई बीमारी नहीं है.
चीन की शीर्ष दवा नियामक ने स्थानीय दवा फर्म सिनोफार्मा द्वारा विकसित एमपॉक्स की वैक्सीन को क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी दे दी है. कंपनी द्वारा जारी बयान में कहा कि शंघाई इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स द्वारा निर्मित और सिनोफार्मा द्वारा एमपॉक्स की घरेलू वैक्सीन विकसित की है, जिसके संक्रमण को रोकने और नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है.
Mpox Vaccine In India: भारत में भी अब मंकीपॉक्स वायरस की एंट्री हो गई है और सरकार ने एक मामले की पुष्टि कर दी है. ऐसे में अब लोग इसकी वैक्सीन के बारे में जानना चाह रहे हैं. तो जानते हैं क्या कहानी है...
भारत में मंकीपॉक्स के पहले मरीज की पुष्टि हुई है. मरीज को संदिग्ध के तौर पर अस्पताल में आईसोलेट किया गया था. उसपर करीबी नजर रखी जा रही थी और सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे. अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि वो ही संदिग्ध मरीज एमपॉक्स के लिए पॉजिटिव पाया गया है.
इससे पहले दिल्ली सरकार ने अपने तीन अस्पतालों में एमपॉक्स के लिए आइसोलेशन रूम स्थापित करने का निर्देश दिया था. दिल्ली सरकार के तीन अस्पतालों एलएनजेपी, जीटीबी और बाबा साहेब अंबेडकर में आइसोलेशन रूम स्थापित करने का निर्देश दिया गया.
पाकिस्तान ने एमपॉक्स से निपटने के लिए एहतियाती कदम उठाए हैं. इसे लेकर एयरपोर्ट पर सख्त सिक्योरिटी सिस्टम लागू किया गया है, क्योंकि यह सामने आया है कि एमपॉक्स वायरस से संक्रमित सभी मरीज विदेश से लौटे थे.
दिल्ली एम्समें भर्ती Mpox के संदिग्ध मरीज की जांच रिपोर्ट सामने आ गई है. सूत्रों ने बताया की संदिग्ध मरीज की जांच रिपोर्ट में नेगेटिव पाया गया है.
दिल्ली एम्स में भर्ती Mpox के संदिग्ध मरीज की जांच रिपोर्ट सामने आ गई है. सूत्रों ने बताया की संदिग्ध मरीज की जांच रिपोर्ट में नेगेटिव पाया गया है.
दुनिया में Mpox के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत में भी अलर्ट है. हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसे इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी करार दिया है. हालांकि, भारत में अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है. दिल्ली के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है और सरकार पूरी तरह से तैयार है.
एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है, जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस की एक प्रजाति है. एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था. इस वायरस की पहचान वैज्ञानिकों ने पहली बार 1958 में की थी जब बंदरों में 'पॉक्स जैसी' बीमारी का प्रकोप हुआ था.
एमपॉक्स वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति या जानवर के साथ संपर्क में आने से फैलता है. एमपॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रामक त्वचा या मुंह या जननांगों जैसे अन्य घावों के सीधे संपर्क के माध्यम से फैल सकता है.
एमपॉक्स वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति या जानवर के साथ संपर्क में आने से फैलता है. एमपॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रामक त्वचा या मुंह या जननांगों जैसे अन्य घावों के सीधे संपर्क के माध्यम से फैल सकता है.