मुहम्मद बिन तुगलक (Muhammad bin Tughlaq) तुगलक वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था. वह अपने बुद्धिमान लेकिन अति महत्वाकांक्षी और अव्यावहारिक फैसलों के लिए जाना जाता है. उसे जौना खान क्राउन प्रिंस के नाम से भी प्रसिद्ध था. वह दिल्ली का 18वां सुल्तान था. उसने 4 फरवरी 1325 से 1351 में अपनी मृत्यु तक उसने शासन किया. सुल्तान तुगलक वंश के संस्थापक गियाथ अल-दीन तुगलक का सबसे बड़ा बेटा था. 1321 में, युवा मुहम्मद को उसके पिता ने काकतीय वंश के विरुद्ध सैन्य अभियान लड़ने के लिए दक्कन के पठार पर भेजा था. 1323 में, भावी सुल्तान ने वारंगल में काकतीय राजधानी की सफलतापूर्वक घेराबंदी की. राजा प्रतापरुद्र पर इस जीत ने काकतीय वंश को समाप्त कर दिया.
उसने दिल्ली से दौलताबाद (महाराष्ट्र) राजधानी स्थानांतरित की, जिससे साम्राज्य की प्रशासनिक पहुंच बढ़े, लेकिन कठिनाई के कारण इसे वापस दिल्ली लाना पड़ा.
1325 में अपने पिता की मृत्यु के बाद मुहम्मद दिल्ली की गद्दी पर बैठा. मुहम्मद बिन तुगलक की रुचि चिकित्सा में थी. वह कई भाषाओं- फारसी, हिंदवी, अरबी, संस्कृत और तुर्किक में भी निपुण था.
मोरक्को के प्रसिद्ध यात्री और न्यायविद इब्न बतूता ने अपनी पुस्तक में सुल्तान के दरबार में अपने समय के बारे में लिखा है.
मुहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासन काल में तांबे और पीतल के सिक्कों को चलन में लाने का प्रयास किया, लेकिन नकली सिक्कों के बढ़ने से यह योजना असफल रही.
उसने मदुरै पर विजय प्राप्त की और इसे तुगलक साम्राज्य का हिस्सा बनाया. दोआब (गंगा-यमुना के बीच का क्षेत्र) में कर बढ़ाया, जिसके कारण किसानों में असंतोष बढ़ा और विद्रोह हुए.
मुहम्मद बिन तुगलक को एक प्रतिभाशाली लेकिन असफल शासक माना जाता है.
केवल छह सौ साल पहले बनी राजधानी के उस समय के स्वरूप की कल्पना करना भी कठिन लगता है, लेकिन समय के बीतने के साथ यहां बने दुर्ग लोगों को उसकी अतीत की शान की याद दिलाते हैं.
बीजेपी सांसद और यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि 'नई दिल्ली स्थित नए आवास 6-स्वामी विवेकानंद मार्ग (तुगलक लेन) में सपरिवार विधि-विधानपूर्वक पूजन-अर्चन कर गृह प्रवेश किया'. उन्होंने इस पोस्ट के साथ गृह प्रवेश की कई फोटो भी शेयर की है.