नबरंगपुर (Nabarangpur) ओडिशा के 21 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक लोकसभा क्षेत्र और नगर पालिका है. यह नबरंगपुर जिले का मुख्यालय भी है. 2011 की जनगणना के अनुसार, नबरंगपुर की जनसंख्या 12,20,946 थी. जिसमें जनसंख्या में 49.53% पुरुष और 50.47% महिलाएं हैं. क्षेत्र की औसत साक्षरता दर 82.4 फीसदी है. 2008 में परिसीमन से पहले, इस संसदीय क्षेत्र में मलकानगिरी, चित्रकोंडा, कोटपाड, नबरंगपुर, कोडिंगा, दाबुगम और उमरकोट विधान सभा क्षेत्र थे.
नबरंगपुर को अक्सर ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सदाशिव त्रिपाठी की भूमि के रूप में जाना जाता है. वह लगातार चार बार ओडिशा विधानसभा के लिए चुने गए, पहले 1951 में, फिर 1957, 1961 और 1967 में. उन्होंने लंबे समय तक ओडिशा के राजस्व मंत्री के रूप में भी कार्य किया. उन्होंने 1965 फरवरी 21 से 1967 मार्च 8 के बीच ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे.
नबरंगपुर अपने उड़िया व्यंजनों के साथ-साथ दक्षिण भारतीय व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है. शहर में बड़ी संख्या में दक्षिणी भारतीय, गुजराती और राजस्थानी आबादी होने के कारण भोजन पर गुजराती और राजस्थानी प्रभाव है.
ओडिशा के नबरंगपुर जिले के बुर्जा गांव में कस्तूरबा गर्ल्स हॉस्टल की लगभग 30 से 40 छात्राएं घटिया खाने की शिकायत लेकर थाने पहुंची. लड़कियां 8 महीनों तक परेशान रहने के बाद लड़कियों ने ये कदम उठाया.