NASA
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) अमेरिकी सरकार की एक एजेंसी है (American Agency NASA). यह सिविलियन स्पेस प्रोग्राम के साथ एरोनॉटिकल्स और स्पेस रिसर्च के लिए काम करती है.
नासा की स्थापना 1958 में हुई थी (Establishment Date of NASA). एजेंसी एरोनॉटिक्स (Aeronautics) के लिए राष्ट्रीय सलाहकार समिति (NACA) के तहत काम करती है. इसकी स्थापना के बाद से, अधिकांश अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों का नेतृत्व नासा ने किया है, जिसमें अपोलो मून लैंडिंग मिशन, स्काईलैब स्पेस स्टेशन और स्पेस शटल शामिल है. नासा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को सपोर्ट करता है. साथ ही, ओरियन अंतरिक्ष यान, अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली, कमर्शियल क्रियू वेहिकल्स और ल्यूनर गेटवे स्पेस स्टेशन के विकास की देखरेख करता है (NASA Works).
नासा का स्टडी Earth Observing System के माध्यम से पृथ्वी को बेहतर ढंग से समझने पर केंद्रित है. साइंस मिशन निदेशालय के हेलियोफिजिक्स अनुसंधान कार्यक्रम के माध्यम से हेलियोफिजिक्स को आगे बढ़ाना, न्यू होराइजन्स जैसे उन्नत रोबोटिक अंतरिक्ष यान के साथ पूरे सौर मंडल में निकायों की खोज और खगोल भौतिकी विषयों पर शोध करना है- जैसे कि बिग बैंग, ग्रेट ऑब्जर्वेटरीज और संबंधित कार्यक्रम (Science Research of NASA).
नासा ने कई स्पेस प्रोजेक्ट्स पर काम किए हैं उनमें X-15 प्रोग्राम, प्रोजेक्ट मर्करी, प्रोजेक्ट जेमिनी और प्रोजेक्ट अपोलो प्रमुख हैं (Projects of NASA).
सुनीता विलियम्स के साथ स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से 3 एस्ट्रोनॉट धरती पर लौटे हैं – अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर और निक हेग, साथ ही रूसी कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोर्बुनोव। जानिए इन तीनों के बारे में और उनके मिशन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इस वीडियो में!
NASA के Ingenuity हेलिकॉप्टर ने मंगल ग्रह पर अपने 72वें उड़ान के दौरान हार्ड लैंडिंग की थी, जिससे यह सवाल उठने लगा था कि क्या इसका मिशन खत्म हो गया। लेकिन अब NASA ने खुलासा किया है कि Ingenuity मरा नहीं है! यह अब मंगल के मौसम की जानकारी देने वाला एक महत्वपूर्ण स्टेशन बनेगा। जानिए इस हादसे की जांच, उसके कारण और Ingenuity की नई भूमिका के बारे में इस वीडियो में।
चांद की सतह पर दो गड्ढे मिले है, जो एक रहस्यमयी रॉकेट की टक्कर से बना है. लेकिन उसके आसपास कहीं भी रॉकेट के बूस्टर या हिस्से का कोई अता-पता नहीं चल रहा है. यह टक्कर चार महीने पहले हुई थी. तस्वीरें नासा के LRO ने ली हैं. वैज्ञानिकों को समझ नहीं आ रहा कि रॉकेट के एक हिस्से की टक्कर से दो गड्ढे कैसे बन गए?
अगर सभी कुछ सामान्य रहा तो तय शेड्यूल के हिसाब से स्पेसक्राफ्ट बुधवार सुबह 3.30 बजे के आसपास लैंड करेगा. लेकिन कई तरह की दिक्कतें एयरक्राफ्ट की लैंडिंग में अड़चन पैदा कर सकती है, जिनमें खराब मौसम, पैराशूट का समय पर नहीं खुलना और तकनीकी गड़बड़ियां शामिल हैं.
स्पेस टूरिज्म उद्योग तेजी से बढ़ रहा है. कई कंपनियां इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. 2032 तक वैश्विक स्पेस टूरिज्म बाजार का आकार 1.47 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा. आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी कंपनियां इसमें शामिल हैं, जो भविष्य में आपकों अंतरिक्ष और दूसरे ग्रहों की सैर कराएंगी...
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करने वाले एक भारतवंशी वैज्ञानिक ने हमारे सौर मंडल से परे संभावित जीवन के सबसे मजबूत संकेत प्राप्त किए हैं. उन्होंने एक बाहरी ग्रह के वायुमंडल में गैसों के रासायनिक निशान का पता लगाया है जो पृथ्वी पर केवल जैविक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पादित होते हैं.
शुभांशु शुक्ला की भागीदारी ग्लोबल स्पेस रिसर्च में भारत की बढ़ती भूमिका को दिखाती है, जो राकेश शर्मा के नक्शेकदम पर चल रही है, जिन्हें 1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बनने का गौरव हासिल है.
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने 2032 में पृथ्वी के पास से गुजरने वाले क्षुद्रग्रह 2024 वाईआर4 को देखा. उसकी गणना के अनुसार पृथ्वी सुरक्षित है, लेकिन चंद्रमा खतरे में हो सकता है. अगर चांद में कोई फर्क पड़ता है तो उसका असर धरती पर भी दिखाई देगा.
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर ने अंतरिक्ष से वापस लौटने के बाद पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की. देखिए क्या कहा…
अंतरिक्ष मे फंसे होने की वजह से मीडिया में चल रहे अलग-अलग तरह के नैरेटिव पर विलियम्स ने कहा कि यह एक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम था. हमें पता था कि चीजें गलत हो सकती है तो हम इसके लिए तैयार थे. बहुत सारे लोग प्रोग्राम पर नजर बनाए हुए थे. उन्हें पता था कि हमारी वापसी का सही वक्त कौन सा है. हम उसी फैसले का हम इंतजार कर रहे थे, जो बिल्कुल सही है.
सुनीता विलियम्स ने स्पेस से लौटने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में कहा कि हमें घर पहुंचाने के लिए मैं नासा, बोइंग, स्पेसएक्स और इस मिशन से जुड़े सभी लोगों का आभार जताना चाहूंगी. हमें धरती पर लौटे हुए लगभग दो हफ्ते हो गए हैं. अब हमसे पूछा जा रहा है कि हम क्या कर रहे हैं? तो बता दूं कि हम नई चुनौतियों के लिए तैयारी कर रहे हैं. नए मिशन की तैयारी कर रहे हैं. मैं कल ही तीन मील दौड़ी हूं तो अपनी पीठ तो थपथपा ही सकती हूं.
नासा के नियमों के अनुसार, विलियम्स और विल्मोर को अंतरिक्ष में बिताए गए अतिरिक्त समय के लिए कोई वेतन नहीं मिलेगा. अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सरकारी कर्मचारी होते हैं और उन्हें फिक्स सैलरी मिलती है, भले ही वे अंतरिक्ष में कितने भी दिन रहें. हालांकि, उनके लिए यात्रा, भोजन और आवास की व्यवस्था नासा द्वारा की जाती है.
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर मंगलवार को 286 दिन बाद पृथ्वी पर लौटे. उनकी यह यात्रा केवल आठ दिनों की होनी थी, लेकिन उनके स्पेसक्राफ्ट में आई तकनीकी खराबी के कारण यह लंबी हो गई. नासा के प्रवक्ता जिमी रसेल ने बताया कि अंतरिक्ष में रहते हुए भी ये सरकारी कर्मचारी माने जाते हैं और उनकी यात्रा को आधिकारिक यात्रा आदेश के रूप में गिना जाता है.
नौ महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विलमोर आखिरकार धरती पर लौट आए हैं. इस लंबे मिशन के दौरान उनके शरीर में कई बदलाव आए हैं, जो किसी भी अंतरिक्ष यात्री के लिए सामान्य हैं. देखें.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी तक के 17 घंटे तक का सफर काफी चुनौतियों से भरा हुआ था. लेकिन जैसे ही स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया तो उसका तापमान 1900 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो गया. यह वह समय था जब सात मिनट के लिए कम्युनिकेशन ब्लैकआउट हो गया.
मानसिक तौर पर आप जितने चाहें मजबूत हों लेकिन बिना गुरुत्वाकर्षण के शरीर कई ऐसी बीमारियों से घिर जाता है जिनसे उबरने में काफी वक्त लगता है. इन 9 महीनों के दौरान सुनीता विलियम्स की कई तस्वीरों में साफ तौर पर उनकी शारीरिक कमजोरी दिखी है. अब जब उनकी वापसी हो गई है तो नासा की प्राथमिकता सुनीता समेत बाकी अंतरिक्ष यात्रियों की रिकवरी की होगी.
नासा की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स 9 महीने अंतरिक्ष में फंसे रहने के बाद सुरक्षित धरती पर लौट आई हैं. तकनीकी खराबी के चलते 8 दिन का मिशन लंबा हो गया, लेकिन उनके धैर्य और आस्था ने उन्हें मजबूत बनाए रखा. जानें, कैसे भगवद्गीता और भगवान गणेश की मूर्ति बनीं उनका सहारा.
PM मोदी ने सुनीता विलियम्स के 9 महीने बाद अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटने पर खुशी जाहिर की है. पीएम ने सुनीता विलियम्स का स्वागत करते हुए एक्स पर लिखा, आपका स्वागत है क्रू 9! धरती ने आपको याद किया. यह उनके धैर्य, साहस और असीम मानवीय भावना की परीक्षा रही है.
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 286 दिन बाद अंतरिक्ष से धरती पर लौट आई हैं. स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर वे फ्लोरिडा के तट पर उतरीं. उनकी सुरक्षित वापसी पर पूरे देश में खुशी का माहौल है. खासकर गुजरात के मेहसाणा जिले के झुलासन गांव में, जो उनका पैतृक गांव है. देखें.
स्पेस में करीब 9 महीने बिताने के बाद सुनीता विलियम्स धरती पर लौट आई हैं जब उन्हें लेकर आने वाले कैप्सूल ड्रैगन ने फ्लोरिडा के पास समंदर में लैंडिंग की तो ये पल देखने लायक था
अंतरिक्ष में इतना लंबा समय बिताने के बाद उनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि आखिर अंतरिक्ष से वापसी के बाद सुनीता विलियम्स को कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.