नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के अंतर्गत 5+3+3+4 पैटर्न फॉलो किया जाएगा. इस इस नई नीति में 12वीं तक स्कूल शिक्षा होगी. और 3 साल की फ्री स्कूल शिक्षा होगी. नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल में पहली से 5वीं तक मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा शिक्षा में दी जाएगी.
शिक्षण और सीखने में 28 से अधिक भाषाओं का उपयोग किया जाना है. जिसमें असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कोंकणी, मलयालम, मैतेई (मणिपुरी), मराठी, नेपाली, मैथिली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, अंग्रेजी, बोडो, खासी, गारो, मिज़ो, फ़्रेंच, हमार, कार्बी, संथाली, भोडी और पुर्गी भाषाएं शामिल हैं. नीति जारी होने के तुरंत बाद, सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी को भी किसी विशेष भाषा का अध्ययन करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा (NEP).
आठवीं कक्षा के बाद छात्र को एक विदेशी भाषा सीखना और अलग स्ट्रीम चुनना होगा.
भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को 29 जुलाई को भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुरू किया था. नई शिक्षा नीति पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति-1986 का स्थान लेगी. यह नीति ग्रामीण और शहरी दोनों में प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण तक के लिए एक व्यापक रूपरेखा है. इस नीति का लक्ष्य 2030 तक भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलना है (NEP 2020).
10वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर CBSE की तरफ से जारी हुए नए ड्राफ्ट में पंजाबी भाषा को शामिल नहीं करने पर पंजाब के शिक्षा मंत्री और विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है. और इस फैसले को पंजाब के खिलाफ साजिश बताया है. हालांकि, CBSE की तरफ से बताया गया कि रिजनील लैंग्वेज सब्जेक्ट में पंजाबी भी शामिल है. देखें पंजाब आजतक.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन को पत्र लिखकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विरोध पर प्रतिक्रिया दी है. प्रधान ने कहा कि NEP का विरोध राजनीतिक है और इससे तमिलनाडु के छात्रों, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों को नुकसान हो रहा है. उन्होंने प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालने की आलोचना की. स्टालिन ने पहले पीएम मोदी को समग्र शिक्षा अभियान के फंड जारी करने की अपील की थी. यह विवाद केंद्र-राज्य संबंधों और शिक्षा नीति को लेकर जारी तनाव को दर्शाता है.
धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया कि द्रविड़ पार्टियों के दावों के विपरीत, न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP) या त्रिभाषा नीति हिंदी को बढ़ावा नहीं देती है, बल्कि केवल मातृभाषा को बढ़ावा देती है. लेकिन तमिलनाडु राज्य के शैक्षिक विशेषज्ञों का कहना है कि NEP हिंदी और बाद में संस्कृत को बढ़ावा देगी क्योंकि शिक्षा के लिए आवंटित फंड और जनशक्ति की कमी के कारण व्यावहारिक निहितार्थ संभव नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान सरकार की कई उपलब्धियां बताई और साथ में विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा कि करीब 3 दशक के बाद भारत में नई शिक्षा नीति लागू हुई है. देखें.
देश के कई शहरों में फिट जी कोचिंग संस्थान पर ताला लग गया है. जेईई और आईआईटी की तैयारी कराने वाले इस संस्थान के अचानक बंद होने से हजारों छात्र और उनके परिवार परेशान हैं. अभिभावकों का आरोप है कि उन्होंने अग्रिम में दो साल की फीस जमा कर दी थी. शिक्षकों को भी महीनों से वेतन नहीं मिला है. परीक्षा नजदीक होने के कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. कई छात्र मानसिक तनाव में हैं और उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी? इसके खत्म होने का स्कूली शिक्षा पर कैसा असर पड़े.
तमिलनाडु परीक्षा में असफल 5वीं-8वीं के विद्यार्थियों को ‘अनुत्तीर्ण न करने की नीति’ का पालन करना जारी रखेगा. स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने सोमवार को यह जानकारी दी है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आज, 23 दिसंबर को बड़ा फैसला करते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया. अब कक्षा 5वीं और 8वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को पास नहीं किया जाएगा.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए अब 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया है.अब कक्षा 5 और 8 में वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण कर दिया जाएगा.
केंद्र सरकार ने अब नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला किया है. इस पॉलिसी के हटने के बाद क्या स्कूली शिक्षा बेहतर होगी. क्या इससे बच्चों को परीक्षा में फेल करना आसान होगा. इससे स्कूली शिक्षा कितनी बदल जाएगी. आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि इस पॉलिसी के हटने के बाद स्कूली शिक्षा पर क्या असर देखने को मिलेगा.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए अब 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया है. अब कक्षा 5 और 8 में वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण कर दिया जाएगा. असफल छात्रों को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा, लेकिन अगर वे दोबारा असफल होते हैं, तो उन्हें पदोन्नत नहीं किया जाएगा. स्कूल 8वीं कक्षा तक किसी छात्र को निष्कासित नहीं करेगा.
केंद्र सरकार ने कक्षा 5 से 8 तक के छात्रों के लिए 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया गया है. अब कक्षा 5 और 8 में फेल होने पर छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं होंगे. इस फैसले का उद्देश्य शिक्षा का स्तर सुधारना और छात्रों की बुनियादी शिक्षा को मजबूत करना है. देखें वीडियो.
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के पहले आठ महीनों में देशभर में एक चिंताजनक स्थिति सामने आई है, जिसमें 11.70 लाख से ज्यादा बच्चों की पहचान की गई है जो स्कूलों में पढ़ाई नहीं कर रहे हैं. इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं. संसद के शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से तेलुगु देशम पार्टी के सांसद मथुकुमिली श्रीभारत के सवाल के जवाब में बताया कि देशभर में 11 लाख 70 हजार से ज्यादा छात्र स्कूल में दाखिला पाने से वंचित हैं.
यूजीसी प्रमुख ने कहा कि पिछले कुछ सालों से मिले फीडबैक के आधार पर, सीयूईटी देने वाले छात्रों के लिए बेहतर, अधिक कुशल और अनुकूल वातावरण देने के लिए परीक्षा प्रक्रिया में निरंतर सुधार करना भी जरूरी है. इसी कारण, यूजीसी ने 2025 के लिए सीयूईटी-यूजी और सीयूईटी-पीजी के संचालन की समीक्षा के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है.
सरकारी अधिकारी के मुताबिक इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि कोई भी नया केवी या नया जेएनवी तब तक काम करना शुरू नहीं करेगा, जब तक कि संस्थान के स्थायी परिसर के लिए भूमि राज्य सरकार या रक्षा मंत्रालय (जो भी मामले में लागू हो) द्वारा हस्तांतरित नहीं कर दी जाती है.
शिक्षा निदेशालय ने एडमिशन के 62 ऐसे मानकों को शामिल करने पर रोक लगा दी है, जिनके आधार पर स्कूल बच्चों को अंक नहीं दे सकते. इन मानकों पर कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है. यदि किसी स्कूल में इन मानकों का पालन किया जाता है, तो हर जिले में गठित निगरानी सेल इस पर निगरानी रखेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा.
IAS, IRS या IFS पद के ऑफिसर को सिर्फ राष्ट्रपति ही नौकरी से निकाल सकते हैं. संविधान के अनुसार, इसका हक यूपीएससी, पीएम या सीएम को नहीं दिया गया है. राज्य सरकार के पास आईएएस ऑफिसर की नौकरी से निकालने का अधिकार नहीं है लेकिन उसे निलंबित करने का अधिकार है.
नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि हमारे देश में 6 से 18 साल की उम्र के करीब 2 फीसदी बच्चे कभी स्कूल नहीं गए. बच्चों के स्कूल न जाने की सबसे बड़ी वजह ये है कि वो खुद ही पढ़ना नहीं चाहते. इसके अलावा, इस सर्वे में ये भी सामने आया है कि हर 10 में से 2 भारती सामान्य से जोड़-घटाव भी नहीं कर पाते.
जो छात्र भारत से कनाडा में अध्ययन के लिए जाने की सोच रहे हैं, उनके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस विषय पर सही जानकारी और रिसर्च किया जाए. माता-पिता को अपने बच्चों को वहाँ भेजने से पहले सतर्क रहना चाहिए. यह ज़रूरी है कि वे कनाडा में शिक्षा के संभावित लाभ और चुनौतियों को समझें. इस बारे में सही जानकारों से सलाह लेना समझदारी है ताकि वे इस बड़े निर्णय को लेते समय बेहतर निर्णय ले सकें. जानकारी और सावधानी से लिया गया निर्णय ही छात्रों के भविष्य को अच्छी दिशा दे सकता है.
IIT दिल्ली का सेंटर फॉर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग (CBME) जनवरी 2025 से 'हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी' में मास्टर ऑफ साइंस (रिसर्च) प्रोग्राम शुरू कर रहा है. इस कोर्स में छात्रों को असली अस्पतालों और उद्योगों में व्यावहारिक अनुभव मिलेगा, जिससे वे रिसर्च, नई कंपनियां शुरू करने या उद्योग में काम करने के लिए तैयार होंगे.
कोर्स पूरा होने पर, IIT मद्रास पात्र छात्रों को प्रमाणपत्र प्रदान करेगा. संस्थान ने कहा कि अब तक 50 स्कूल इसके लिए IITM के साथ साझेदारी कर चुके हैं और पिछले बैच से 11,000 से अधिक छात्र लाभान्वित हुए हैं.