न्यू लेबर कोड
न्यू लेबर कोड (New Labour Code) के तहत भारत में व्यापार करने में आसानी को बढ़ाने के अलावा श्रमिकों की काम करने की स्थिति में सुधार लाने की पहल है. कंपनियों को प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग के माध्यम से नियमों का पालन करने में मदद करने के लिए युक्तिकरण किया गया है. 29 केंद्रीय श्रम नियमों को शामिल करते हुए चार लेबर कोड का उद्देश्य इन जटिल श्रम कानूनों को युक्तिसंगत, समेकित और सरल बनाना है. कोड भी असंगठित क्षेत्र, स्वरोजगार, प्रवासी श्रमिकों को शामिल करने के लिए सामाजिक सुरक्षा जैसे पेंशन के कवरेज का विस्तार करना चाहते हैं.
राष्ट्रपति ने जिन 4 श्रम संहिताओं यानी लेबर कोड को मंजूरी दी थी, वे हैं वेतन पर संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता, 2020 (4 New Labour Code).
राज्यों के लिए भी चार श्रम संहिताओं के तहत संबंधित नियमों और विनियमों को अधिसूचित करना महत्वपूर्ण है. पिछले वर्ष के दौरान, इस मोर्चे पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, कई राज्यों ने संबंधित मसौदा नियम जारी किए हैं (New Labour Code in States).
सरकार ने वर्क फ्रॉम होम को एक साल के लिए आगे बढ़ा दिया है. IT/ITES कंपनियों के कर्मचारी अब दिसंबर 2023 तक घर से ही काम कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी तय की गई हैं, जिन्हें कंपनियों को पालन करना होगा.
कंपनियां अपने कर्मचारियों को कई तरह की छुट्टियां देती हैं. इनमें से कुछ को कर्मचारी कैश करा सकते हैं, लेकिन हर कंपनी में इसको लेकर नियम अलग-अलग होते हैं. छुट्टियों का भुगतान किस आधार पर किया जाता है. इसे समझ लीजिए.
ब्रिटेन में कंपनियां चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी के फॉर्मूले को लागू करने लगी हैं. इसके लिए कर्मचारियों के वेतन में भी किसी तरह की कटौती नहीं की जा रही है. हफ्ते में चार दिन काम के समर्थकों ने कहा कि इससे कंपनियों के उत्पादन में सुधार होगा.
प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है. लेकिन इसके लिए कुछ नियम तय किए गए हैं. कर्मचारी पांच साल पूरे हुआ बिना भी ग्रेच्युटी का लाभ ले सकते हैं. ग्रेच्युटी को लेकर क्या कहते हैं नियम, जान लीजिए.
पिछले काफी समय से नए लेबर कोड (New Labour Code) पर काम चल रहा है. इसे लागू करने की बात भी कही जा रही है. हालांकि कई डेडलाइन बीतने के बावजूद ये लागू नहीं हुआ है. ऐसे में पीएम का ये सुझाव लेबर कोड में बदलाव करने का संकेत भी दे रहा है