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निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) एक हिंदू पवित्र दिन है जो ज्येष्ठ (मई / जून) के 11वें शुक्ल पक्ष को पड़ता है. इस एकादशी का नाम इस दिन किए गए निर्जला व्रत के कारण पड़ा है. 

निर्जला एकादशी को सभी 24 एकादशियों में सबसे पवित्र माना जाता है. धार्मिक रूप से इस एकादशी का महत्व बाकी सभी 24 एकादशियों से अधिक फल देने वाला माना गया है. अन्य एकादशियों में भोजन से परहेज किया जाता है, लेकिन निर्जला एकादशी में बिना पानी पिए ही पूर्ण उपवास किया जाता है. पानी रहित उपवास का पालन करना अत्यंत कठिन माना जाता है (Nirjala Ekadashi Rules). 

निर्जला एकादशी को सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक 24 घंटे व्रत रखा जाता है. कुछ लोग इसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक करते हैं. निर्जला एकादशी के एक दिन पहले, भक्त शाम की प्रार्थना करने के बाद केवल एक समय का भोजन करता है, जिसमें चावल खाना वर्जित है (Nirjala Ekadashi Vrat). 

अन्य एकादशियों की तरह भागवान विष्णु की पूजा की जाती है. विष्णु की फोटो या एक शालिग्राम पत्थर को पंचामृत से स्नान किया जाता है, फिर इसे पानी से धोया जाता है और फिर शाही कपड़े पहनाए जाते हैं. फूल, धूप, जल अर्पित करने के बाद आरती की जाती है (Nirjala Ekadashi Worship).

माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से सारे पाप धुल जाते हैं. निर्जला एकादशी का व्रत पूरा करने वाले को विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जो उन्हें सुख, समृद्धि और पापों की क्षमा प्रदान करते हैं (Merits of Nirjala Ekadashi Vrat).
 

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