परमाणु हथियार
परमाणु हथियार (Nuclear Weapon) जिसे परमाणु बम या एटम बम (Atom Bomb) भी कहते हैं, एक विस्फोटक उपकरण है जिसमें परमाणु के विखंडन और संलयन प्रतिक्रियाओं के कारण विनाशकारी विस्फोट होता है (Destructive explosion from fission and fusion reactions). विश्व में हुए पहले परमाणु बम परीक्षण से लगभग 20,000 टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा रिलीज हुई थी (First Atom Bomb Test Energy). द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1945 में जापानी शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने परमाणु बम गिराए थे (USA Dropped Atom Bomb on Hiroshima and Nagasaki).
एक पारंपरिक बम की साइज का परमाणु बम पूरे शहर को विस्फोट, आग और विकिरण से तबाह कर सकता है (Conventional Atom Bomb can Devastate Entire City by Blast, Fire, and Radiation). चूंकि ये सामूहिक विनाश के हथियार हैं (Mass Destruction Weapon), इसलिए परमाणु हथियारों के प्रसार को लेकर कई तरह की अंतरराष्ट्रीय नीतियां बनाई गई हैं (Treaty on the Non-Proliferation of Nuclear Weapons). परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को कम करना है, लेकिन इस संधि के बावजूद परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण आज भी जारी है.
हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम विस्फोटों के बाद से, परीक्षण और प्रदर्शन के लिए परमाणु हथियारों को 2,000 से अधिक बार विस्फोट किया गया है. मौजूदा वक्त में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार हैं (Nuclear Power Countries). इन देशों ने स्वयं के परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र होने का एलान किया जिसे विश्व मानता भी है. माना जाता है कि इजरायल के पास भी परमाणु हथियार हैं, लेकिन वह जानबूझकर अस्पष्ट नीतियां रखते हुए इसे स्वीकार नहीं करता. दक्षिण अफ्रीका एकमात्र ऐसा देश है जिसने स्वतंत्र रूप से परमाणु हथियारों को विकसित किया और फिर इसे नष्ट कर दिया (South Africa Developed and then Renounced and Dismantled its Nuclear Weapons).
दुनिया में सर्वाधिक परमाणु हथियारों वाले देशों में पहले नंबर पर रूस है. रूस के पास 5977 परमाणु हथियार हैं. दूसरे नंबर पर मौजूद संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 5428 परमाणु बम हैं. चीन 350 परमाणु हथियार के साथ तीसरे स्थान पर है. चौथे पायदान पर आने वाले फ्रांस के पास 290, पांचवें पर खड़े यूके के पास 225, छठे स्थान पर पाकिस्तान के पास 165, भारत 160 परमाणु हथियारों के साथ सातवें स्थान पर और उत्तर कोरिया के पास 20 परमाणु बम हैं (List of Nuclear Power Countries).
भारत सरकार ने न्यूक्लियर एनर्जी मिशन और लायबिलिटी कानून में संशोधन की योजना का ऐलान किया है, जो अमेरिका के साथ सहयोग के नए अध्याय का सूत्रपात करेगा. यह कदम संभावित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के मद्देनजर अहम है, जिसमें एनर्जी, ट्रेड और डिफेंस प्रमुख मुद्दे होंगे.
करीब 2 दशक पहले कजाकिस्तान दुनिया का पहला ऐसा देश बना, जिसने न्यूक्लियर वेस्ट के आयात पर हामी भर दी. आसान ढंग से कहें तो जिस जहरीले कचरे से दुनिया के बाकी देश खौफ खाते हैं, वो उसे अपनी जमीन पर रखेगा. इसके बदले उसे भारी पैसे मिलने वाले थे, जो कि तभी-तभी आजाद हुए गरीब मुल्क के लिए निहायत जरूरी था. लेकिन फिर कुछ बदला, और कजाकिस्तान एकदम से बिदक गया.
16 दिसंबर को सीरिया के तारतस में हथियारों की साइट पर इजरायल ने हवाई हमला किया. भयानक विस्फोट हुआ. आग के गोले और धुएं का मशरूम बना. अब नई जानकारी ये है कि इस धमाके के बाद वहां पर रेडिएशन का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया है. तो क्या इजरायल ने तारतस पर न्यूक्लियर हमला किया था?
Nuclear Bomb in Ganga: क्या आप जानते हैं गंगा के नीचे एक परमाणु डिवाइस दबी है और अगर वो ब्लास्ट हो जाए तो क्या होगा? तो जानते हैं इस रहस्य के बारे में...
यूक्रेन के ऊपर न्यूक्लियर अटैक का खतरा लगातार मंडरा रहा है. क्योंकि वो लगातार अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरफ से मिली मिसाइलों और फाइटर जेट्स का इस्तेमाल रूस की सीमा के अंदर कर रहा है. ऊपर से उसने रूस के जनरल इगोर किरिलोव को मार दिया. ऐसे में पुतिन परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं. जानिए क्या कहता है रूस का नया न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन.
सीरिया की मिलिट्री को बर्बाद करने के बाद Israel अब ईरान के परमाणु केंद्रों को निशाना बना सकता है. टाइम्स ऑफ इजरायल ने इजरायली मिलिट्री अधिकारियों के हवाले से ये रिपोर्ट पब्लिश की है. कहा जा रहा है कि ईरान के आतंकी समूहों और सीरिया में बशर-अल असद की सरकार गिराने के बाद इजरायल इसे बड़े मौके की तरह देख रहा है.
चीन की मदद से PAK कितना भी हथियार जमा कर ले. युद्धपोत और पनडुब्बियां हासिल कर ले लेकिन भारत उससे आगे ही रहेगा. पाकिस्तान और चीन की हर हरकत पर भारतीय नौसेना की नजर है. नौसेना 62 नौसैनिक शिप्स के निर्माण के साथ इन चीजों पर कर रही है फोकस...
रूस-यूक्रेन जंग की बीच अक्सर परमाणु युद्ध की बात आती है. आज की तारीख में सबसे ज्यादा एटमी हथियार रूस के पास हैं. बताया जाता है कि दुनिया के 9 देशों के पास आधिकारिक तौर पर करीब 13080 न्यूक्लियर हथियार हैं. आइए जानते हैं कि दुनिया के सबसे ताकतवर परमाणु हथियार कौन से हैं...
Russia-Ukraine War की कहानी अब परमाणु जंग की तरफ बढ़ रही है. धमकियां तो ऐसी ही मिल रही हैं. एक कदम गलत और फिर दिखेगा Little Boy और Fat Man की वजह से हुई तबाही जैसा मंजर. ये वो बम हैं जिनका इस्तेमाल सिर्फ एक बार हुआ और जापान ने सरेंडर किया. ये तस्वीरें बताएंगी उस खौफनाक मंजर को...
क्या यूक्रेन को लेकर पश्चिमी देशों ने रूस की चेतावनी को हल्के में ले लिया है? क्योंकि रूस कई बार धमकी दे चुका है. हद पार करने की बात कह चुका है. लेकिन पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी. असल में इस मामले को लेकर भारतीय एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
Russia के पास दुनिया की सबसे ताकतवर मिसाइलें और परमाणु हथियार हैं. अगर यूक्रेन और नाटो ने रूस को भड़काया तो ये बात पक्की है कि अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाएगा.
दुनिया को परमाणु युद्ध का खौफ और खतरा पहले से कहीं ज्यादा नजदीक नजर आ रहा है. मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने न्यूक्लियर से जुड़े कायदे-कानून में बदलाव किया है. नए नियम में कहा गया है कि रूस के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइल का जवाब परमाणु हमले से दिया जाएगा. जिसके बाद यूरोपीय देश टेंशन में आ गए और अब अपने नागरिकों से भोजन-पानी जमा करने की अपील की है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश के न्यूक्लियर नियम-कायदों में बदलाव किया है. जिसमें कहा गया है कि अगर गैर-परमाणु देश किसी न्यूक्लियर पावर वाले देश के सपोर्ट से हमला करता है तो इसे रूस के खिलाफ जंग माना जाएगा. रूस के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइल का जवाब परमाणु हमले से मिलेगा.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश के न्यूक्लियर नियम-कायदों में बदलाव किया है. जिसमें कहा गया है कि अगर गैर-परमाणु देश किसी न्यूक्लियर पावर वाले देश के सपोर्ट से हमला करता है तो इसे रूस के खिलाफ जंग माना जाएगा. रूस के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइल का जवाब परमाणु हमले से मिलेगा.
अमेरिका के लीक खुफिया दस्तावेज से पता चला है कि इजरायल किस परमाणु मिसाइल का इस्तेमाल 16 अक्टूबर को ईरान के खिलाफ करने वाला था. अगर इजरायल अपनी इस मिसाइल का भरपूर इस्तेमाल करता तो ईरान के पास बचने का कोई चांस नहीं रहता. क्योंकि ईरान के पास इजरायल जैसा हवाई सुरक्षा कवच नहीं है.
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है. बाइडेन के रास्ते से हटने के बाद डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच सीधा मुकाबला है. अमेरिका के चुनाव पर पूरी दुनिया की नजरें हैं. इसका कारण भी है. अमेरिका में होने वाली हर अच्छी और बुरी चीज का असर दुनिया पर होता है. हम आज बात करेंगे अमेरिका के उस आविष्कार की जिसे मानव सभ्यता का सबसे बड़ा खतरा माना गया तो महायुद्ध रोकने के महाहथियार भी. इस पूरे सीक्रेट मिशन को अंजाम दिया गया एक जंगल में, मैप से गायब रखे एक इलाके में. जंगल के बीच इतने बड़े मिशन को अंजाम दिए गए इस इलाके की क्या है पूरी कहानी आइए जानते हैं.
इस वक्त पूरी दुनिया में कुल 13080 परमाणु बम हैं, जो 13 हजार किलोमीटर से लेकर 15 हजार किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकते हैं. जानकारों की मानें तो इनमें से आधे परमाणु बम भी इस्तामेल हुए तो दुनिया के नक्शे से दुनिया का ही नामोनिशान मिट जाएगा.
दुनियाभर के एक्सपर्ट्स ईरान की परमाणु ताकत को लेकर बंटे हुए हैं. कुछ कह रहे हैं कि वो जल्दी से एटम बम बना लेगा. कुछ कह रहे हैं कि इसमें कम से कम एक साल लगेगा. ईरान खुद अपनी परमाणु नीतियों को बदलने की सोच रहा है. ईरान के पास न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर्स तो हैं पर क्या परमाणु बम बना लेगा?
Israel पर लेबनान और बेरूत में डिप्लीटेड यूरेनियम बम के इस्तेमाल का आरोप लग रहा है. ये ऐसा पदार्थ है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैन किया गया है. इसे DU Bomb भी कहते हैं. यह एक केमिकल वेपन है, जिसके फटन के बाद इलाके में ऐसे रसायन फैलते हैं, जिनसे कई तरह की घातक बीमारियां फैल सकती हैं.
दुनिया हैरान है कि ईरान ने परमाणु परीक्षण किया है या उसके एक खास इलाके में भूकंप आया. इसे लेकर दुनियाभर में कयास लग रहे हैं. क्योंकि सेमनान प्रांत में 4.6 तीव्रता का भूकंप आया. ईरान कुछ स्पष्ट बोल नहीं रहा. हैरानी इस बात की है, जहां भूकंप दर्ज किया गया, वहां दुर्लभ मौके पर ही भूकंप आता है.
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि प्रशिक्षण मानकों और उपकरणों की गुणवत्ता पर उठने वाले सवालों के अलावा, यह घटना पीएलए की आंतरिक जवाबदेही और चीन के रक्षा उद्योग की निगरानी के बारे में गहरे सवाल उठाती है- जो लंबे समय से भ्रष्टाचार से ग्रस्त है.