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पाकिस्तान के हिंदू

पाकिस्तान के हिंदू

पाकिस्तान के हिंदू

भारत में लगभग 25 हजार पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी रहते हैं (Pakistan Ke Hindu). ये तमाम लोग पाकिस्तान में अपने साथ होने वाली हिंसा, खराब बर्ताव और भेद-भाव से तंग होकर रहने के लिए भारत आए. ये हजारों हिंदू भारत की नागरिकता हासिल करने के इरादे से पाकिस्तान की सीमा पार करके भारत पहुंचे. इनमें से ज्यादातर लोग राजस्थान (Rajasthan) और दिल्ली (Delhi) सहित उसके आसपास के इलाके में सरकारी जमीन पर स्लम बनाकर रहते हैं.

पाकिस्तान छोड़ने का यह सफर कोई आसान नहीं था. इन पाकिस्तानी हिंदुओं के परिवारों में कई छोटे छोटे बच्चे हैं तो कई गर्भवती महिलाएं, जो अपने बदतर जिंदगी से छुटकारा पाने के लिए हिंदुस्तान में शरणार्थी बनने को तैयार हैं.

इनका बॉर्डर पार करना भी इतना आसान न था. बहुत ही गुपचुप तरीके से पासपोर्ट बनवाया, लेकिन खबर फैल ही गई. जिससे नाराज मालिक दिहाड़ी के पैसे कम देते. धूप में काम करने पर 200 रुपए मिलते, लेकिन कई बार वो भी नहीं मिलते. घर की महिलाएं आटे में पानी मिलाकर बच्चों को खिलाने को मजबूर होती. दिनभर खेलने वाले बच्चे भूखे पेट के कारण सुस्त पड़े रहते. इन परिवारों जिंदा रहने के लिए पाकिस्तान छोड़ना ही था. ऐसे में भारत से ही उम्मीद थी.

सिंध से होते ये परिवार बस लेकर लाहौर पहुंचे. वहां कस्टम अधिकारियों से थोड़ा जुगाड़ लगाकर पैदल रास्ते से होकर अटारी-वाघा बॉर्डर तक आए. यहां से अमृतसर होते हुए ट्रेन से हरिद्वार और फिर राजस्थान के जोधपुर पहुंचे. यहां के चोखां की न्यू बकरा मंडी, शहर से लगभग 10 किलोमीटर और आगे स्थित है. यहां पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी बस गए. 

रिफ्यूजियों ने किसी तरह यहां कच्ची पक्की, झुग्गियां और झोपड़ियां बनाई और रहने लगे. दो वक्त की रोटी के लिए इनका पूरा परिवार जमींदार के यहां काम करने लगा. लेकिन अतिक्रमण हटाने के नाम पर जोधपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी ने इनके घरों को तोड़वा दिए. इन तमाम दिक्कतों को देखते हुए 2022 के मई तक लगभग 18 महीने की अवधि में 1500 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी भारत से वापस पाकिस्तान लौट गए. साल 2023 के जनवरी महीने में दिल्ली में रह रहे 145 हिंदू शरणार्थियों को भी इन्हीं वजहों से भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा (Pakistani Hindu Refugee left India). 

राजस्थान में रहने वाले पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए पहली बड़ी समस्या आधार कार्ड जैसे पहचान पत्र को हासिल करना भी है. राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी में दिखाने के लिए पहचान पत्र देना अनिवार्य है है. आधार कार्ड नहीं होने के चलते इन प्रवासी हिंदुओं का इलाज तक नहीं हो पाता. ये लोग लॉन्ग टर्म वीजा मिलने के बाद ही आधार कार्ड के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसके साथ दो भारतीय गारंटर की भी जरूरत होती है. कुछ मौकों पर यह 6 महीने में मिल जाता है, तो कई बार लंबे समय तक नहीं मिल पाता. ऐसे में पाकिस्तान से आए इन गरीब हिंदू शरणार्थियों के लिए सरकारी अधिकारियों के चक्कर काटने के साथ किसी तरह का रोजगार ढूंढना संभव नहीं हो पाता (Pakistani Hindu Refugee).

हर साल लगभग पांच हजार पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी के रूप में भारत पहुंचते हैं. लॉन्ग टर्म वीजा और भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए जरूरी सरकारी नियमों पर खरा उतरना इनमें से ज्यादातर शरणार्थियों के लिए मुमकिन नहीं हो पा रहा. ये हिंदू तो हैं, लेकिन पाकिस्तान के (Pakistani Hindu).

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