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पराली

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पराली (Parali), धान की फसल कटने के बाद बचे हुए हिस्से को कहते हैं. पहले किसान अपने फसल खुद काटते थें तो फसल का बहुत थोड़ा हिस्सा खेतों में रहता थे जिसे जलाने की जरुरत नहीं होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से धान की फसल की (Peddy Crop) कटाई मशीनो से की जाती है. यह मशीन फसल का सिर्फ उपरी हिस्सी काटती है बाकी का हिस्सा जमीन में ही रह जाता है, जो काफी ज्यादा बचता है. किसानों के पास दूसरी फसल की बुआई करने के लिए कम समय रहता है, ऐसे इन पराली को वो काटने के बजाय जला देते हैं. हर साल अक्टूबर और नवम्बर के महीनों में पराली जलाई जाती है ताकि रबी की फसले समय पर बोई जा सके (Parali Burn).

भारत के कुछ राज्यों जैसे पंजाब और हरियाणा में फसल कटने के बाद बचे हुए पराली को जलाते हैं ((Parali in Punjab and Haryana)), जिससे काफी प्रदूषण फैलता है (Pollution due to Parali). उस दौरान पराली से निकले धुएं से स्वास्थ्य संबंधी काफी समस्याएं भी होती हैं (Parali, Health Issues). 

दूसरी तरफ वैज्ञानिकों की माने तो पराली के राख से खेत की मिटटी में पाया जाने वाला राइजोबिया बैक्टीरिया (Rhizobia Bacteria) पर खराब असर पड़ता है. इस बैक्टीरिया द्वारा ही नाइट्रोजन जमीन तक पहुंचाता है जिससे पैदावार क्षमता बढ़ती है. पराली जलाने से मिट्टी में हुए नुकसान से फसलों की पैदावार पर कम हो जाती है (Parali burning side effects).

भारत में खेत में पराली जलाना, भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (IPC 188) के तहत गैरकानूनी माना गया है. दोषी पाए जाने पर इस धारा के तहत, 6 महीने का कारावास या 15 हजार रुपए का जुर्माना का हो सकता है (Stubble Burning illegal).

 

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