पटना हाई कोर्ट
पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) बिहार राज्य का उच्च न्यायालय है (High Court of Bihar). यह 9 फरवरी 1916 को स्थापित किया गया था और बाद में इसे भारत सरकार अधिनियम 1915 के तहत संबद्ध किया गया था. अदालत का मुख्यालय राज्य की प्रशासनिक राजधानी पटना में है (Patna High Court Location).
22 मार्च 1912 को भारत के गवर्नर-जनरल ने पटना में हाई कोर्ट के बनाए जाने की घोषणा की. उच्च न्यायालय की इमारत की आधारशिला सोमवार, 1 दिसंबर 1913 को भारत के गवर्नर-जनरल सर चार्ल्स हार्डिंग ने रखी थी. पटना उच्च न्यायालय भवन के पूरा होने पर औपचारिक रूप से उसी वायसराय ने 3 फरवरी 1916 को उसका उदघाटन किया (Patna High Court Inauguration). 1 मार्च 1916 से पटना हाई कोर्ट ने काम शुरू किया. जस्टिस एडवर्ड मेनार्ड डेस चैंप्स चैमियर इस उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश थे. 1972 में पटना उच्च न्यायालय ने रांची में एक सर्किट बेंच खोली, जो 1976 में स्थायी बेंच बना. 2000 में रांची में पटना उच्च न्यायालय का बेंच बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के तहत नवंबर 2000 में झारखंड उच्च न्यायालय बन गया (Patna High Court History).
न्यायालय के पास अपीलीय के अलावा मूल क्षेत्राधिकार है. इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की अपील केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है. इस अदालत में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 53 है (Patna High Court Sanctioned Strength).
पंडित लक्ष्मीकांत झा स्वतंत्रता के बाद पटना उच्च न्यायालय के पहले भारतीय मुख्य न्यायाधीश थे (First Chief Justice of Patna High Court). न्यायमूर्ति रेखा दोशित पटना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला थीं (First Woman Chief Justice of Patna High Court). पटना उच्च न्यायालय की दूसरी महिला न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्रा, बिहार से भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश हैं (First Woman Judge of Supreme Court from Patna High Court). इस उच्च न्यायालय ने भारत को दो मुख्य न्यायाधीश दिए हैं, न्यायमूर्ति भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा, भारत के छठे मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति ललित मोहन शर्मा, भारत के 24वें मुख्य न्यायाधीश (CJI from Patna High Court).
पटना हाई कोर्ट में BPSC परीक्षा दोबारा कराए जाने को लेकर आज सुनवाई नहीं होगी. आज पटना हाई कोर्ट में पूरे मामले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन माननीय न्यायाधीश के उपलब्ध नहीं होने के कारण सुनवाई टल गई है. हाई कोर्ट में सुनवाई राज्य सरकार और बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा दाखिल किए गए काउंटर एफिडेविट पर होनी थी.
बीपीएससी 70वीं पीटी परीक्षा रद्द होगी या नहीं? इसका फैसला अब से कुछ देर में पटना हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई से तय हो जाएगा. सुनवाई से पहले 30 जनवरी को बीपीएससी अभ्यर्थी फिर से सड़क पर उतर आए थे.
देश में छात्र आंदोलन हमेशा से सरकारों के लिए खतरे की घंटी रही है. बिहार में रविवार को छात्रों पर हुई लाठी चार्ज की घटना छात्र असंतोष का एक उदाहरण है. अभी पिछले महीने भी बीपीएससी के नॉर्मलाइजेशन के विरोध में भी छात्रों पर लाठी चार्ज हुआ था. लगातार कभी परीक्षा प्रणाली , कभी पेपर लीक, कभी रिएग्जाम आदि के नाम पर छात्र आंदोलित हो रहे हैं. यह केवल बिहार में नहीं है. उत्तर प्रदेश , राजस्थान में भी छात्र असंतोष बहुत तेजी से बढ़ रहा है. रह रह कर छात्र सर उठाते हैं उन्हें कुचल दिया जाता है. यह एक ऐसा फोड़ा है जो कभी भी नासूर बन सकता है. बांग्लादेश एक उदाहरण है कि छात्रों का असंतोष कैसे पूरे देश को हिला कर रख दिया है.
बिहार में ट्रांसफर-पोस्टिंग का इंतजार कर रहे शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट ने बिहार में शिक्षकों के तबादले पर रोक लगा दी है, जिससे ट्रांसफर का इंतजार कर रहे लाखों शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है. औरंगाबाद के कुछ शिक्षकों ने ट्रांसफर नीति के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
बिहार में शराबबंदी को लेकर यह तल्ख टिप्पणी पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पूर्णेदु सिंह ने की है. जस्टिस पूर्णेदु सिंह एक मामले की सुनवाई कर रहे थे और इसी दौरान उन्होंने ये टिप्पणी की. राज्य में शराबबंदी को लेकर पटना हाईकोर्ट की तरफ से पहली बार ऐसी टिप्पणी सामने आई है.
भोजपुरी फिल्मों के पावर स्टार और गायक पवन सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं. बिहार की राजधानी पटना में पवन सिंह के खिलाफ एक महिला यूट्यूबर ने एफआईआर दर्ज कराई है जिसमें पवन सिंह पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है. देखें...
आरजेडी नेता रामबली सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान परिषद के सभापति सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. रामबली सिंह की इस याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट में 28 अक्टूबर को सुनवाई होगी. उन्होंने विधान मंडल से अनुमोदित राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ सार्वजनिक बयान देने के आरोप में निष्कासित किया गया था.
आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी किए जाने को लेकर बिहार की नीतीश कुमार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.
नीतीश कुमार के महत्वाकांक्षी आरक्षण कानून को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. जाहिर है कि राजनीति तो तगड़ी होनी है. पर सबसे मुश्किल स्थिति बिहार बीजेपी के लिए है, जिसके आगे कुआं-पीछे खाई है.
जानकारी के मुताबिक, बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के फैसले पर पटना हाई कोर्ट से झटका लगने के बाद राज्य सरकार का बड़ा फैसला सामने आया है. राज्य सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी. इस बारे में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का बड़ा बयान सामने आया है. देखें वीडियो.
आरक्षण को लेकर नीतीश कुमार सरकार को बड़ा झटका लगा है. 65 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने राज्य सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया.
बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट से झटका लगा है. आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फ़ीसदी किए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.
बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट से झटका लगा है. प्रदेश में आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फ़ीसदी किए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने राज्य सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया.
आरक्षण को लेकर नीतीश कुमार सरकार को बड़ा झटका लगा है. 65 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. दरससल राज्य सरकार ने शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण देने को आदेश दिया था. देखें ब्रेकिंग न्यूज़.
आरक्षण को लेकर नीतीश सरकार के फैसले पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. बिहार में आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फ़ीसदी किए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. राज्य में अभी जो आरक्षण जिस भी जाति और वर्ग को मिल रहा है, उतना ही मिलता रहेगा.
पटना हाईकोर्ट ने राज्य की अधीनस्थ अदालत के दो न्यायाधीशों पर ‘सांकेतिक राशि’ का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने माना कि एक व्यक्ति को ऐसे मामले में दोषी ठहराया गया, जो उसके खिलाफ चलाए जाने योग्य नहीं था. याचिकाकर्ता ने समस्तीपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें याचिका दायर करने वाले को तीन साल की सजा सुनाई गई थी.
पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया है. जो शिक्षक बिहार शिक्षक सक्षमता परीक्षा पास करने में असफल हुए हैं, उनसे नियोजित शिक्षक का पद नहीं छीना जाएगा. इसको लेकर कई दिनों से शिक्षक काफी टेंशन में थे लेकिन पटना हाईकोर्ट के इस फैसले से सभी को राहत मिली है.
पटना हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि माता-पिता की संपत्ति पर जबरन कब्जा करने वाले बेटे को वरिष्ठ नागरिक संरक्षण कानून के प्रावधानों के तहत बेदखल नहीं किया जा सकता है. इस मामले में कोर्ट ने निचली अदालत को कुछ दिशा निर्देश भी जारी किए हैं.
YouTuber Manish Kashyap: पटना हाईकोर्ट से सशर्त जमानत के बाद यूट्यूबर मनीष कश्यप को रिहा कर दिया गया है. 9 महीने बाद मनीष को जेल से रिहाई मिली है. जेल से निकलते ही मनीष ने बिहार सरकार पर निशाना साधा.
यूट्यूबर मनीष कश्यप 9 महीने बाद जेल से रिहा हुए. भारी संख्या में उनके समर्थक जेल के बाहर मौजूद रहे. इसमें युवाओं, बुजुर्गों के साथ ही महिलाएं भी थीं. सभी मनीष की एक झलक पाने को बेताब थे.
Manish Kashyap: बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप 9 महीने बाद जेल से शनिवार को रिहा हुए. जेल के बाहर ऐसा नजारा था, मानो कोई बड़ा नेता सालों बाद जेल से बाहर आ रहा हो. कुछ महिलाएं हाथों में आरती की थाली लिए खड़ी थीं. वो मनीष को राखी बांधने का इंतजार कर रही थीं.