बहुविवाह
जब एक पुरुष एक ही समय में एक से अधिक पत्नियों से विवाह करता है, तो इसे बहुविवाह कहा जाता हैं. दुनिया भर में, विभिन्न समाज में बहुविवाह मान्य रहा है. लेकिन आज के दौर में ऐसा नहीं है. ऐसे समाजों में जो बहुविवाह की अनुमति देते हैं उसमें भी पहली पत्नि काी अनुमति होना चाहिए (Polygamy).
बहुविवाह की प्रथा राजव्यवस्था के समय थी. उस दौरान राजा एक से अधिक शादियां करते थे. लेकिन समय बितने के साथ ही बहुविवाह में परेशानियां शुरू हुई. बहुपत्नी के कारण स्त्रियों स्थिति नारकीय बन रही थी, परिवार में हमेशा तनाव और क्लेश बना रहता था. पति के देहांत के बाद एक साथ कई विधवाओं का अनाथ हो जाना समाज में अन्य समस्याओं को जन्म देता था. जिसको ध्यान में रखते हुए बहु विवाह की यह अमानवीय प्रथा कानूनी अपराध की श्रेणी में शामिल की गई हैं (Polygamy in History).
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 494 के तहत बहुविवाह को गैरकानूनी घोषित किया गया है. आजादी के बाद 1955 के हिंदू विवाह अधिनियम के तहत हिंदुओं में बहुविवाह की प्रथा को अवैध घोषित कर दिया गया. बौद्ध, जैन और सिख सभी हिंदू माने जाते हैं सो, हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान इन तीन धार्मिक संप्रदायों पर भी लागू होते हैं (Polygamy Law). मुसलमानों की अधिकतम चार पत्नियां हो सकती हैं. मुस्लिम कानून में बहुविवाह को धार्मिक प्रथा के रूप में मान्यता प्राप्त है. लेकिन यह विधि संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन होने पर इसे पलटा जा सकता है (Polygamy in Muslim).
भारत, सिंगापुर और साथ ही मलेशिया जैसे देशों में मुसलमानों के लिए बहुविवाह मान्य है. बहुविवाह अल्जीरिया, मिस्र और कैमरून में भी मान्यता प्राप्त है. साथ ही, बहुविवाह पश्चिम अफ्रीका और मध्य अफ्रीका में "बहुविवाह बेल्ट" के रूप में जाने जाने वाले क्षेत्र में सबसे आम है. दुनिया में सबसे ज्यादा बहुविवाह का अनुमान बुर्किना फासो, माली, गाम्बिया, नाइजर और नाइजीरिया देशों में है (Polygamy Worldwide).
हिंदू विवाह से जुड़ा फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी 'गाने और डांस', 'शराब पीने और खाने' का आयोजन या अनुचित दबाव डालकर दहेज और गिफ्ट्स की मांग करने का मौका नहीं है. यह करने के बाद आपराधिक कार्यवाही शुरू हो सकती है. शादी कमर्शियल ट्रांजैक्शन नहीं है.
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