पोंगल (Pongal) को थाई पोंगल भी कहा जाता है. यह भारत और श्रीलंका में तमिलों द्वारा मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है (Hindu Harvest Festival). यह त्योहार आमतौर पर 14 जनवरी या 15 जनवरी को मनाया जाता है (Pongal Date). यह सूर्य देवता को समर्पित एक त्योहार है. दरअसल, पूरे भारत में फसल उत्सव, अलग अलग स्थानों पर क्षेत्रीय नामों से जाना जाता है. पोंगल तीन दिनों तक मनाया जाता है, जिसे भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल और मट्टू पोंगल कहा जाता है. कुछ तमिल, पोंगल के चौथे दिन को कानुम पोंगल के रूप में भी मनाते हैं.
परंपरा के अनुसार, त्योहार शीतकालीन संक्रांति के अंत का प्रतीक है और सूर्य की छह महीने की लंबी यात्रा उत्तर की ओर शुरू होती है. इस दिन के बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे उत्तरायण भी कहते हैं (Pongal Sankranti).
इस दिन, नई फसल से तैयार पारंपरिक व्यंजन भगवान को अर्पित किया जाता है. यह गुड़ के साथ दूध में पका चावल होता है जिसे पोंगल पकवान (Pongal Special dish) भी कहा जाता है. इसे पहले सूर्य को चढ़ाया जाता है, फिर देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है (Pongal Rituals).
Pongal 2025 date: चार दिनों तक चलने वाला पोंगल बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार 14 जनवरी को पोंगल के चार दिवसीय पर्व का पहला दिन है. वहीं 17 को पोंगल पर्व की समाप्ति होती है. पोंगल तमिल संस्कृति और कृषि परंपराओं का प्रतीक है और इसे बड़ी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए PM मोदी ने कहा, "लाल किले से मैंने जिस पंच प्राण का आह्वान किया उसका प्रमुख तत्व देश की एकता को ऊर्जा देना, इसे मज़बूत करना है. पोंगल के इस पावन पर्व पर हमें देश की एकता को सशक्त करने का संकल्प दोहराना है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र सरकार में मंत्री एल मुरुगन के घर पोंगल मनाया. पीएम रविवार सुबह के कामराज लेन पर स्थित सरकारी आवास पर पहुंचे, जहां सुबह दस बजे पोंगल का कार्यक्रम शुरू हुआ. इस दौरान उन्होंने अनुष्ठान में भी भाग लिया और सभी को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दीं. देखें अपने संबोधन में क्या बोले पीएम मोदी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण के दुर्ग को साधने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. अब जानकारी आ रही है कि पीएम मोदी कल पोंगल के मौके पर अपने मंत्री एल मुरुगन के घर पहुंचेंगे.
भारत में मकर संक्रांति का त्यौहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को देश के अलग- अलग प्रांत में कई नामों से जाना जाता है.