scorecardresearch
 
Advertisement

प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को हिंदू धर्म में मंगलकारी और शिव पार्वती की कृपा प्राप्त करने वाला व्रत माना गया है. हर महीने की त्रयोदशी को शाम के समय को प्रदोष काल कहा गया है. अपना और अपने परिवार के कल्याण के लिए लोग यह व्रत रखते हैं. ऐसा माना जात है कि प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है.

पुराणों के अनुसार प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का पाठ करते हैं. सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत के दौरान पूरे दिन लोग निराहार रहकर व्रत करते हैं, लेकिन सामर्थ्य अनुसार या तो कुछ न खाये या फल ले सकते हैं. इस व्रत में अन्न पूरे दिन नहीं खाना होता है.शिव पार्वती का ध्यान करके पूजा करने से काफी लाभ होता है. प्रदोषकाल में घी के दीपक जलाने चाहिए. प्रदोष व्रत में कम से कम एक दीपक या 32, 100 या 1000 दीपक जलाने का प्रवधान है (Pradosh Vrat).

प्रदोष व्रत के विषय में गया है कि अगर रविवार के दिन प्रदोष व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग रहेंगे, सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा पूरी होती है, मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है, बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है, बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है, शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है और शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है (Weekly Pradosh Vrat).

और पढ़ें

प्रदोष व्रत न्यूज़

Advertisement
Advertisement