पुणे में 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से पोर्श कार चला रहा 17 वर्षीय नशे में धुत नाबालिग ने 24 वर्षीय अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा को कुचल दिया. आरोपी नाबालिग को निचली कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ जमानत दी हैं. नाबालिग के पिता, प्रसिद्ध बिल्डर विशाल अग्रवाल हैं, जिन्हें संभाजीनगर में गिरफ़्तार किया गया था (Pune Porsche Accident).
दिलचस्प बात है कि, टेम्प्रोरी रजिस्ट्रेशन यानी अस्थायी पंजीकरण के साथ वाहनों का इस्तेमाल सिर्फ आरटीओ तक आने-जाने के लिए किया जा सकता है. अधिकारियों का कहना है कि जो नाबालिग लड़का कार चला रहा था उसपर 25 साल की उम्र तक ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने पर प्रतिबंध लगाया गया. वहीं लक्जरी कार को 12 महीने तक किसी भी आरटीओ ऑफिस में रजिस्ट्रेशन करने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
खबरों के मुताबिक, सुनील टिंगरे पुणे के एक पुलिस स्टेशन पहुंचे थे जहां घटना के बाद नाबालिग और ड्राइवर को ले जाया गया था. उन पर नाबालिग को बचाने का आरोप लगाया गया. एनसीपी नेता ने ऐसे आरोपों का खंडन किया था और मामले के संबंध में पुलिस ने उनसे पूछताछ की थी.
पुणे पोर्श कांड से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग आरोपी के दोस्त के पिता को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. आवेदक अरुण कुमार पर सरकारी ससून अस्पताल के डॉक्टरों की मिलीभगत से अपने बेटे के ब्लड सैंपल बदलने का आरोप लगाया गया था.
महाराष्ट्र सरकार ने ससून अस्पताल के डॉ. अजय टावरे, डॉ. श्रीहरि हलनोर और अतुल घाटकांबले के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है. डॉ. टावरे, डॉ. हलनोर और घाटकांबले पर शराब परीक्षण को अमान्य करने के लिए नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल की अदला-बदली में शामिल होने का आरोप है.
महाराष्ट्र सरकार ने एलएन दानवड़े और कविता थोराट को बर्खास्त कर दिया है. इन्होंने पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में जांच के समय नियमों और मानदंडों का अनुपालन नहीं किया था और 300 शब्दों का निबंध लिखवाकर नाबालिग को जमानत दे दी थी.
पुणे पोर्श मामले में नाबालिग आरोपी के वकील ने गुरुवार को किशोर न्याय बोर्ड में एक याचिका दायर की है. इसमें बताया कि वो दिल्ली मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में एडमिशन नहीं ले पा रहा है है, क्योंकि संबंधित संस्थान का कहना है कि पहले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की तरफ से अनापत्ति प्रमाण पत्र लाकर दिया जाए. हालांकि, बाद में नाबालिग के वकील ने याचिका वापस ले ली और इसके पीछे तर्क भी दिया है.
आरोप है कि 19 मई को तड़के किशोर चालक ने अपनी कार से एक मोटरसाइकिल में टक्कर मार दी थी, जिसके फलस्वरूप दो आईटी प्रोफेशनल की मौत हो गयी थी. किशोर के माता-पिता एवं अन्य ने यह साबित करने के लिए रक्त नमूने बदलने की साजिश रची थी कि वह कार चलाते समय नशे में नहीं था.
पुणे स्थित ससून हॉस्पिटल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. अजय टावरे के मुताबिक, डॉ. हलनोरे ने ये सैंपल बदले थे. इसमें ससून अस्पताल का कर्मचारी अतुल घाटकांबले भी शामिल है. इन तीनों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.
Pune Porsche Case: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने दो लोगों की मौत का कारण बनने वाले नाबालिग आरोपी को सड़क सुरक्षा पर निबंध लिखने की शर्त पर जमानत दे दी थी, जिसे लेकर देशभर में बड़े पैमाने पर आक्रोश फैल गया था. साथ ही अपराध को छुपाने के लिए नाबालिग के परिजनों ने अपने रसूख और प्रभावशाली संपर्कों का दुरुपयोग किया था.
17 वर्षीय नाबालिग के ही नहीं बल्कि उसके साथ आए दो दोस्तों के खून के नमूने भी सरकारी ससून अस्पताल में बदले गए, ताकि यह साबित किया जा सके कि वे नशे में नहीं थे. जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए विशेष अभियोजक शिशिर हिरे ने कहा कि डॉ. हल्नोर ने दुर्घटना के कुछ घंटों बाद कार चला रहे 17 वर्षीय किशोर और उसके दो दोस्तों के नमूने बदल दिए.
पुणे पुलिस ने पोर्श कार हादसे मामले में एक अदालत में 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. पुलिस की इस चार्जशीट में 7 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जबकि आरोपपत्र में बिल्डर के बेटे का नाम शामिल नहीं है. साथ ही पुलिस ने चार्जशीट में 50 गवाहों के बयानों को भी शामिल किया है.
पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई को रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से एक बाइक सवार को टक्कर मार दी थी. इस घटना में बाइक सवार दो लोगों की मौत हो गई थी.
महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार कांड में नाबालिग आरोपी को जमानत दिए जाने के संबंध में किशोर न्याय बोर्ड के दो सदस्यों की जांच कर रहे एक पैनल ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है. इन दोनों सदस्यों पर आरोपी को कम सजा देकर रिहा करने का आरोप है. देखें वीडियो.
महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार कांड में नाबालिग आरोपी को जमानत दिए जाने के संबंध में किशोर न्याय बोर्ड के दो सदस्यों की जांच कर रहे एक पैनल ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है. इन दोनों सदस्यों पर आरोपी को कम सजा देकर रिहा करने का आरोप है.
मुंबई हिट एंड रन केस और पुणे पोर्श कांड दोनों ही मामले महाराष्ट्र के हैं. एक मामला मुंबई का है तो दूसरा पुणे शहर का. ये दोनों ही महाराष्ट्र के महानगर हैं और दोनों ही शहर अपनी अलग पहचान भी रखते हैं.
पुणे में शराब के नशे में वाहन चलाने और इससे होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पुणे पुलिस ने सख्त नियम बनाए हैं. पुणे पुलिस ने नशे में गाड़ी चलाने वालों की तीन महीने के लिए लाइसेंस रद्द करने जैसी नीति बनाई है. वहीं बार-बार नशे में ड्राइविंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है.
महाराष्ट्र के पुणे में रविवार देर रात हुए हिट एंड रन केस में कोर्ट ने आरोपी सिद्धार्थ केंगर को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है. इस हादसे में पुणे पुलिस के कांस्टेबल समाधान कोली की मौत हो गई थी, जबकि बीट मार्शल संजय शिंदे गंभीर रूप से घायल हैं.
सूत्रों ने पुष्टि की कि नाबालिग आरोपी ने हाल ही में किशोर न्याय बोर्ड को एक निबंध प्रस्तुत किया है. इसमें नाबालिग आरोपी ने यातायात नियम सुरक्षा के महत्व को बताया गया है. साथ ही लिखा था कि19 मई की रात हादसे के बाद वह डर गया और उसने किसी से संपर्क नहीं किया. उसे ये नहीं पता था कि हादसे के तुरंत बाद क्या करना है, इसलिए वह मौके से भागने लगा. स्थानीय लोगों ने उसे पकड़ लिया और उसे मारने की कोशिश की.
आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को पुणे जेल से हिरासत में लिया, जहां वह बंद था. कोर्ट ने उसे दो दिन की नई पुलिस हिरासत में भेज दिया. बावधन इलाके में अग्रवाल की फर्म द्वारा निर्मित परियोजना नैन्सी ब्रह्मा रेजीडेंसी के चीप विशाल अडसुल ने इस साल की शुरुआत में अग्रवाल और चार अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.
पुणे के चर्चित पोर्श कार हादसे मामले में कोर्ट ने नाबलिग आरोपी के पिता और दादा को जमानत दे दी है. उन दोनों पर अपने ड्राइवर पर जबरन हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाने और उसका किडनैप करने का आरोप है.
पुणे पुलिस पोर्श कार दुर्घटना मामले में नाबालिग की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी. अपनी इस याचिका पर पुलिस बॉम्बे हाईकोर्ट के नाबालिग की हिरासत को गैरकानूनी बताते हुए जमानत देने के फैसले को चुनौती देगी. इसके लिए पुलिस को मुख्यमंत्री और राज्य के गृह मंत्रालय ने याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है.
जांच रिपोर्ट के अनुसार नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल ने पैसे दिए थे. आरोपी अशफाक माकंदर ने नाबालिग के ब्लड सैंपल्स बदलने के लिए ससून अस्पताल के वार्ड बॉय अतुल घटकंबले को 3 लाख रुपए का भुगतान किया था.