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पंजाबी सिनेमा

पंजाबी सिनेमा

पंजाबी सिनेमा

पंजाब के सिनेमा (Punjabi Cinema) की शुरुआत 1928 में फिल्म 'अज्ज दिया थिया यानी डॉटर्स ऑफ़ टुडे' के निर्माण से हुई थी (First Punjabi Mute Film). यह इस क्षेत्र की सबसे पहली निर्मित फीचर फिल्म थी, जसमें साउंड नहीं थी. पहली पंजाबी साउंड फिल्म, हीर रांझा थी, जो 1932 में रिलीज हुई. इसमें  साउंड-ऑन-डिस्क तकनीक का उपयोग किया गया था.

पंजाबी सिनेमा में कई फिल्मों का निर्माण किया गया, जिनमें से कई को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है. कई अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं ने पंजाबी फिल्मों में अपना करियर शुरू किया, जिनमें से कई ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल की है और कई ने बड़े फिल्म निर्माण उद्योगों में करियर बनाया है (Career in Punjabi Cinema). 

पंजाबी सिनेमा पंजाब राज्य के आसपास केंद्रित है और अमृतसर (Amritsar) और मोहाली (Mohali) में स्थित है.

दरअसल पंजाबी फिल्म संचालन 1920 के दशक में ब्रिटिश पंजाब की प्रांतीय राजधानी लाहौर (Lahore) में शुरू हुआ था. पहली मूक फिल्म, अज्ज दिया थिया, लाहौर में रिलीज हुई थी. उस वक्त शहर में नौ सिनेमा घर थे. इन सिनेमाघरों में दिखाई जाने वाली फिल्में ज्यादातर बॉम्बे (अब मुंबई) और कलकत्ता (अब कोलकाता) में बनाई जाती थीं, जिसे शायद ही कभी हॉलीवुड और लंदन में दिखाई जाती थीं (History of Punjabi Cinema).

एक लंबा समय तय करने के बाद आज पंजाबी सिनेमा एक सुखद मुकाब पर है. साल 2019 में शादा, अरदास करां, चल मेरा पुत्त, मुक्लावा, मंजे बिस्तरे 2, निक्का जैलदार 3, सिंघम, रब्ब दा रेडियो 2, दिल दियां गल्लां, ब्लैकिया, लाई जे यारियां, चंडीगढ़ अमृतसर चंडीगढ़, काका जी और बैंड वज्जे जैसी सुपरहिट फिल्मों के साथ कुल 61 पंजाबी फिल्में दुनिया भर में रिलीज हुईं (Modern Punjabi Cinema). फिल्म हरजीता ने 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ पंजाबी फिल्म और सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता के दो पुरस्कार जीते (Punjabi Cinema Awards).

पंजाबी फिल्म लौंग लाची का गाना 'लौंग लाची' यूट्यूब पर एक बिलियन व्यूज तक पहुंचने वाला पहला पंजाबी गाना बन गया (Punjabi Cinema Song).

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