पुरी
पुरी जिला (Puri) भारत के ओडिशा राज्य का एक जिला है जो समुद्र के तट पर बसा हुआ है (District of Odisha). इसमें एक उप-मंडल, 11 तहसील और 11 ब्लॉक हैं और इसमें 1722 राजस्व गांव शामिल हैं. पुरी जिले की एकमात्र नगरपालिका है. कोणार्क, पिपिली और निमापारा इस जिले के तीन एनएसी हैं (Puri NAC). सत्यबाड़ी, गोप, काकतपुर और ब्रह्मगिरी प्रमुख अर्ध-शहरी क्षेत्र हैं. इस जिले का कुल क्षेत्रफल 3,479 वर्ग किमी है (Puri Total Area).
पुरी जिले की नदियां सामान्यतः महानदी की सहायक नदियां हैं. वे गर्म मौसम में बड़े पैमाने पर शुष्क या छोटी धाराएं होती हैं (Puri River). यहां के समुद्र तटों में पुरी बीच, गोल्डन बीच, बेलेश्वर बीच, स्वर्गद्वार बीच, बालीघई बीच, और चंद्रभागा सागर अस्तारंगा समुद्र तट शामिल हैं (Puri Sea Beaches).
2011 की जनगणना के अनुसार पुरी जिले की जनसंख्या 1,698,730 है (Puri Population). जिले का जनसंख्या घनत्व 488 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है (Puri Density). महिलाओं का पुरुषों से अनुपात 963 का है (Puri Sex Ratio). साक्षरता दर 85.37% है (Puri Literacy).
पुरी का दर्ज इतिहास तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से है. जिले में विभिन्न धर्म और संस्कृतियां हैं. शैववाद, वैष्णववाद, शक्तिवाद, गणपति और महावीर के स्मारकों के साथ हिंदू बहुसंख्यक हैं (Puri Religion).
यहां मौजूद मंदिरें पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है. इनमें जगन्नाथ मंदिर, गुंडिचा मंदिर, लोकनाथ मंदिर, जम्बेस्वर मंदिर, सूर्य मंदिर, कोणार्क प्रमुख हैं (Puri Temples). इस जिले में मनाए जाने वालो त्योहार राम नवमी, चंदन यात्रा, पाना संक्रांति, सिरुली महावीर मेला, काकतपुर में झामू यात्रा, राजा महोत्सव, ब्रह्मगिरि में बलिहरचंडी मेला और कार महोत्सव यानी रथ यात्रा देश भर में प्रसिद्ध है (Puri Festivals).
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की मरम्मत का कार्य जारी है, लेकिन अब इसमें देरी हो रही है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और जिला प्रशासन की समीक्षा बैठक हुई है, जिसमें बताया गया है कि भीड़भाड़ और तकनीकी कारणों के चलते मरम्मत कार्य में समय लगेगा. अब इसे पूरा होने में 45 से 60 दिन का अतिरिक्त समय लग सकता है. इसको लेकर पुरी के कलेक्टर ने अहम बातें बताई हैं.
वर्ष 2025 की पहली तारीख पर भारत के लोगों ने मन्दिरों में हिन्दू देवी-देवताओं के दर्शन करने का एक नया रिकॉर्ड बनाया है. 1 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में 5 लाख से ज्यादा लोगों ने दर्शन किए हैं. तो वहीं, काशी विश्वनाथ मन्दिर में 7 लाख, उज्जैन के महाकाल मन्दिर में 6 लाख, आंध्र प्रदेश के श्री तिरुपति मंदिर में 4 लाख, ओडिशा के श्री ''जगन्नाथ'' पुरी मंदिर में 5 लाख और हरिद्वार में गंगा नदी के घाटों पर 3 लाख लोग पहुंचे हैं.
ओडिशा सरकार पुरी के जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक नई प्रणाली शुरू करने जा रही है, जिसमें मंदिर में आने वाली महिलाओं, बच्चों, दिव्यांग व्यक्तियों और वरिष्ठ व्यक्तियों के लिए भी विशेष व्यवस्था की जा रही है.
Indian Navy आज यानी 4 दिसंबर 2024 को नौसेना दिवस मना रही है. इस बार का कार्यक्रम ओडिशा के पुरी में हो रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि हैं. नौसेना दूसरी बार इतना बड़ा आयोजन कर रही है. इससे पहले सिंधुदुर्ग में नौसेना दिवस मनाया गया था. आइए जानते इस दिन का महत्व और नौसेना की ताकत...
ओडिशा के पुरी जिले में 5 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय रेत कला महोत्सव का आयोजन हो रहा है. इस महोत्सव का उद्घाटन ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरन माझी ने किया. रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने बताया कि इस साल कोणार्क में 14वां अंतर्राष्ट्रीय रेत कला महोत्सव है. ओडिशा सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित यह महोत्सव विभिन्न देशों के रेत कलाकारों को एक मंच पर लेकर आता है.
रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि जगन्नाथ मंदिर के अंदर का क्षेत्र, जिसे आनंद बाजार कहा जाता है, यहां से खराब पानी दीवारों की दरारों से रिस रहा है, जिससे इस प्राचीन संरचना को नुकसान हो रहा है. बता दें कि आनंद बाजार में भगवान जगन्नाथ के श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसाद बनता है.
मौसम विभाग के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी के पूर्व-मध्य में बना एक अवसाद पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने का अनुमान है और 23 अक्टूबर 2024 तक यह चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है. इस प्राकृतिक घटना के 24 अक्टूबर की सुबह तक एक गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील होने का अनुमान है, क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्से में उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है.
ओडिशा के पुरी में भारी बारिश के चलते ऐतिहासिक कोणर्क मंदिर में जलभराव हो गया, जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि हालांकि यहां इस तरह के कोई आरोप नहीं लगे हैं, लेकिन प्रशासन 12वीं सदी के मंदिर में 'कोठा भोग' (देवताओं के लिए प्रसाद) और 'बरादी भोग' (ऑर्डर पर प्रसाद) तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे घी की गुणवत्ता की जांच करेगा.
जगन्नाथ मंदिर के रहस्यमयी रत्न भंडार में क्या कोई गुप्त सुरंग और तहखाना है? भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अत्याधुनिक रडार और स्कैनिंग तकनीक के जरिए सर्वे शुरू किया है. इसके जरिए मंदिर के खजाने के आसपास छिपी किसी गुप्त सुरंग या तहखाने का पता लगाना है. 46 साल बाद खोले गए इस खजाने के साथ जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठने की उम्मीद है.
ओडिशा में भगवान जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार (Ratna Bhandar of Jagannath temple) आज 46 साल बाद खोला गया है. कहा जा रहा है कि इस खजाने के आसपास सांप हो सकते हैं, इसलिए मौके पर सर्प विशेषज्ञ मौजूद रहे. आखिर इस खजाने में क्या है और ये खजाना इतने सालों तक क्यों नहीं खोला जा सका. इस खजाने की चाबियां आखिर कैसे गुम हो गईं? जानिए पूरी कहानी.
पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के रत्न भंडार का दूसरा सर्वे शनिवार से शुरू हो गया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम तीन दिन तक रत्न भंडार के अंदर छिपे किसी सीक्रेट तहखाने का पता लगाएगी. इस दौरान श्रद्धालुओं को दोपहर 1 बजे से शाम 6 बजे तक दर्शन करने पर रोक लगाई गई है. सर्वेक्षण 21 से 23 सितंबर तक चलेगा.
ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के मंदिर में जिस खजाने का तहखाना खोला गया है, वह 12वीं सदी का है. यहां 46 साल के बाद रत्न भंडार खोला गया है. इस रत्न भंडार में बेशकीमती जेवरात और अन्य चीजें हैं. इन हीरे जवाहरात की संख्या कितनी है और इनकी कीमत कितनी है, अभी इसकी गणना होनी है. क्या है खजाने के तहखानों का तिलिस्म और मंदिर के रत्न भंडार को अब तक क्यों नहीं खोला जा सका. जानिए इस रिपोर्ट में.
ओडिशा में भगवान जगन्नाथ मंदिर (Jagannath mandir) का रत्न भंडार 46 साल बाद खुला है. इसको लेकर लोगों में भारी उत्सुकता है कि आखिर कितने कीमती रत्न मौजूद हैं. खजाने को आखिरी बार साल 1978 में खोला गया था. उस समय हीरे-जवाहरात के अलावा कई दुर्लभ रत्न बताए गए थे, जिनकी कीमत का अनुमान उस वक्त मुंबई और गुजरात के दिग्गज जौहरी भी नहीं लगा सके थे.
ओडिशा में भगवान जगन्नाथ का मंदिर हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. यह मंदिर 12वीं सदी में बना. यहां उस समय का खजाना आज भी मौजूद है, जो रत्न भंडार में सहेजकर रखा गया है. इस खजाने को 46 साल बाद खोला गया है. लकड़ी के संदूकों में 900 साल पहले की चीजें रखी हैं. खजाना, सांप और सुरंग की आखिर थ्योरी क्या है, जानिए विस्तार से.
पुरी के भगवान जगन्नाथ के मंदिर का अंदरूनी खजाना आज खोला जा रहा है. इस मंदिर में रखे गए बहुमूल्य खजाने की गणना की जाएगी. इससे पहले मंदिर के रत्नभंडार का बाहरी चेंबर खोला गया था. अब खजाने की गणना के लिए बनाई गई 11 सदस्यों की कमेटी अंदरूनी चेंबर के अंदर दाखिल हो चुकी है. देखें ये वीडियो.
ओडिशा में पुरी जगन्नाथ मंदिर (Puri Jagannath Temple) के रत्न भंडार (Ratna Bhandar) के भीतरी कक्ष में क्या कोई गुप्त सुरंग है? स्थानीय लोग इस बात की संभावना जता रहे हैं, लेकिन रत्न भंडार में 7 घंटे बिताकर निकले जस्टिस रथ ने कहा कि मुझे वहां ऐसा कोई सबूत नहीं मिला.
पुरी जगन्नाथ धाम में मौजूद जगन्नाथ महाप्रभु के आंतरिक खजाने मे कई दुर्लभ रत्न होने की बात कही जाती है. प्राचीन काल में विभिन्न राज्यों पर विजय प्राप्त करने के पश्चात महाप्रभु को कीमती रत्न, हीरा, जेवरात, मुकुट आदि दान किया जाता था, इसे आंतरिक खजाने में रखा गया है. 1978 के बाद आज महाप्रभु जगन्नाथ का रत्न भंडार खोला गया। अब धीरे-धीरे खजानों के कई रहस्य सामने आएंगे.
जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोल दिया गया है. मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास है. एएसआई को मंदिर के आंतरिक कक्ष के अंदर संरक्षण का काम करना है, जिसके लिए कीमती सामानों को स्थानांतरित करना जरूरी है. इसके चलते तहखाने को 46 साल बाद मरम्मत के लिए खोला गया है.
ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोल दिया गया है, जिसके बाद से ही भक्तों के दर्शन पर रोक लगा दी गई है.
पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार गुरुवार को खोला जाएगा. तय मुहूर्त में ये कार्रवाई होगी. इसके लिए ओडिशा सरकार ने हाई पावर कमेटी बनाई है. हाई पावर कमेटी की मौजूदगी में ही रत्न भंडार खुलेगा और पता चलेगा कि जगन्नाथ मंदिर के पास कितना धन है?