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राम मनोहर लोहिया

राम मनोहर लोहिया

राम मनोहर लोहिया

राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) एक महान स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी नेता और विचारक थे. वे भारत में समाजवादी आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में से एक थे. वे स्वतंत्रता के बाद भारतीय राजनीति को नई दिशा देने वाले नेताओं में शामिल थे. राम मनोहर लोहिया का योगदान भारतीय राजनीति और समाज में अमूल्य है. वे आज भी अपने विचारों और सिद्धांतों के लिए प्रेरणा स्रोत माने जाते हैं. उनके नाम पर देश में कई विश्वविद्यालय, सड़कें और संस्थान हैं.

राम मनोहर लोहिया ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और ‘अंग्रेज भारत छोड़ो’ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में बढड-चढ़ कर हिस्मसा लिया, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.
उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (CSP) की स्थापना में योगदान दिया. देश के स्वतंत्र होने के बाद, उन्होंने "समाजवादी पार्टी" का गठन किया. वे समानता, सामाजिक न्याय और जाति प्रथा के उन्मूलन के लिए संघर्षरत रहे.

वे जाति प्रथा और लैंगिक असमानता के प्रबल विरोधी रहे थे. उन्होंने पिछड़े वर्गों, दलितों और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई. उनकी विचारधारा "सप्त क्रांति" पर आधारित थी, जिसमें आर्थिक समानता, जातिवाद का खात्मा, और महिलाओं के अधिकार जैसे मुद्दे शामिल थे.

राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में हुआ था. वे बचपन से ही मेधावी छात्र रहे थे. वे जब दो साल के थे, उनकी माता का देहांत हो गया. उनका पालन-पोषण उनके पिता हीरालाल ने किया. उन्होंने कभी दोबारा शादी नहीं की. 1918 में वे अपने पिता के साथ बॉम्बे चले गए और फिर वहीं अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी की. उच्च शिक्षा के लिए वे जर्मनी गए, जहां उन्होंने बर्लिन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.  “The Salt Tax and Its Consequences” उनकी थीसिस का विषय था.

राम मनोहर लोहिया का निधन 12 अक्टूबर 1967 को नई दिल्ली में हुआ. 

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