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राणा सांगा

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राणा सांगा (Rana Sanga) भारतीय इतिहास के महान योद्धाओं में से एक थे. वे मेवाड़ के सिसोदिया वंश के राजा थे और अपनी वीरता, युद्ध-कौशल और देशभक्ति के लिए जाने जाते थे. उनका असली नाम महाराणा संग्राम सिंह था, लेकिन वे राणा सांगा के नाम से प्रसिद्ध हुए.

राणा सांगा का जन्म 1482 में मेवाड़ के राजपरिवार में हुआ था. वे महाराणा रायमल के पुत्र थे और अपने भाइयों के बीच सत्ता संघर्ष के बावजूद अपने पराक्रम और दूरदर्शिता के कारण मेवाड़ के शासक बने.

राणा सांगा ने अपने शासनकाल में कई महत्त्वपूर्ण युद्ध लड़े और अनेक विजयों को प्राप्त किया. वे दिल्ली, गुजरात, मालवा और खानदेश के कई सुल्तानों से लड़े और उन्हें पराजित किया. उनका सबसे प्रसिद्ध युद्ध खानवा का युद्ध (1527) था, जिसमें उन्होंने मुगल सम्राट बाबर का सामना किया. राणा सांगा ने बाबर को भारत से बाहर निकालने के लिए एक विशाल सेना संगठित की, जिसमें राजपूतों के अलावा अफगान सरदार भी शामिल थे. हालांकि, बाबर की तोपखाने और सैन्य रणनीति के सामने राणा सांगा पराजित हुए, लेकिन उनकी वीरता ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया.

खानवा की हार के बाद भी राणा सांगा ने हार नहीं मानी और दोबारा सेना संगठित करने का प्रयास किया. किंतु 1528 में एक षड्यंत्र के तहत उन्हें विष दिया गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई.

राणा सांगा भारतीय इतिहास में एक ऐसे योद्धा के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने अपने गौरवशाली राज्य की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष किया. उनकी वीरता और बलिदान आज भी राजपूतों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

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