रावी नदी (Ravi River) भारत और पाकिस्तान की एक महत्वपूर्ण नदी है. यह सिंधु नदी की सहायक नदियों में से एक है. इसे भारत की पांच प्रमुख नदियों में से एक माना जाता है. रावी नदी का ऐतिहासिक, धार्मिक और भौगोलिक महत्व है. रावी नदी हिमालय के मध्य भाग में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बारालाचा दर्रे से निकलती है. यह नदी भारत के पंजाब और पाकिस्तान के पंजाब से होकर बहती है.
रावी की लंबाई लगभग 720 किलोमीटर है. यह नदी हिमाचल प्रदेश और पंजाब के विभिन्न हिस्सों से गुजरती है. पाकिस्तान में पंजाब क्षेत्र में बहती हुई सिंधु नदी में मिल जाती है.
रावी नदी को प्राचीन भारत में "इरावती" के नाम से जाना जाता था. यह नदी भारतीय इतिहास और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. 1947 में भारत के विभाजन के बाद, रावी नदी का एक बड़ा भाग पाकिस्तान में चला गया. इसका कुछ हिस्सा भारत में है.
रावी नदी का उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है. इसके किनारे कई धार्मिक स्थल स्थित हैं.
रावी नदी का जल मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान में कृषि के लिए उपयोग किया जाता है. भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि के तहत इस नदी के पानी के उपयोग को लेकर समझौता हुआ था, जिसमें यह नदी भारत के हिस्से में आती है.
रावी नदी के किनारे भारत का पठानकोट शहर और पाकिस्तान का लाहौर बसा हुआ है..