रविदास जयंती
रविदास जयंती (Ravidas Jayanti) गुरु रविदास का जन्मदिन है (Birthday of Guru Ravidas), जो माघ महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है (Celebrated on Magh Purnima). यह रविदासिया धर्म का सबसे बड़ा वार्षिक त्योहार है. इस दिन तमाम भक्त अनुष्ठान करने के लिए नदी में स्नान करते हैं. 2021 में रविदास जयंती की तारीख 27 फरवरी थी, जबकि 2022 में यह 16 फरवरी को मनाया गया (Dates for Ravidas Jayanti). जातिवाद के खिलाफ अपने काम के कारण उन्हें एक आध्यात्मिक व्यक्ति और एक समाज सुधारक के रूप में भी जाना जाता है (Spiritual Man and Social Reformer Worked against Castism). वे संत कबीर के समकालीन थे (Contemporary to Saint Kabir).
रविदास जी का जन्म काशी के पास स्थित सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था (Ravidas Birthplace). रविदास जयंती रविदास जी के जन्म का प्रतीक है. संत रविदास जाति व्यवस्था के उन्मूलन में प्रयास करने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने भक्ति आंदोलन में भी योगदान दिया (Contributed to Bhakti Movement) मीराबाई को उनकी शिष्या माना जाता है (Ravidas’ Disciple Mirabai). कई मौकों पर आध्यात्मिकता पर संत कबीर के साथ उनकी कई रिकॉर्डेड बातचीत हुई.
उन्होंने रैदासिया अथवा रविदासिया पंथ (Ravidassia Religion) की स्थापना की और इनके रचे गये कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं.
पिछले कुछ सालों में जिस तरह पीएम नरेंद्र मोदी संत रविदास और भगवान वाल्मीकि को अपना बनाने में लगे हैं उसके नतीजे जल्द ही दिखने वाले हैं. संत रविदास के अनुयाई देश भर में हैं. यही कारण है कि कोई भी पार्टी इन्हें इग्नोर नहीं कर सकती है. एक बार अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्री रहते ऐसा किया था, जिसका नतीजा वो लगातार चार चुनावों में हारकर देख चुके हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वाराणसी दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार सुबह काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे. इसके बाद पीएम संत रविदास के मंदिर पहुंचे और वहां उनकी पूजा की. साथ ही साथ पीएम वहां की सभा को संबोधित भी किया. देखें
प्रधानमंत्री मोदी अपने वाराणसी दौरे के दौरान गुरुवार दोपहर सीरगोवर्धन में संत गुरु रविदास की 647वीं जयंती समारोह में शामिल हुए.