एस सोमनाथ, वैज्ञानिक
एस सोमनाथ (S Somanath) एक भारतीय एयरोस्पेस इंजीनियर और रॉकेट टेक्नोलॉजिस्ट हैं. जनवरी 2022 में, उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया (Chairman of the Indian Space Research Organisation). उन्होंने इसरो में बतौर अध्यक्ष के. सिवन (K Sivan) की जगह ली. सोमनाथ ने इससे पहले तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ( Vikram Sarabhai Space Centre) के निदेशक और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre), तिरुवनंतपुरम के निदेशक के रूप में भी कार्य किया. सोमनाथ को लॉन्च वाहन डिजाइन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. वह विशेष रूप से लॉन्च वाहन सिस्टम इंजीनियरिंग, संरचनात्मक डिजाइन और संरचनात्मक गतिशीलता के क्षेत्रों में अपनी क्षमता और महारत के लिए जाने जाते हैं.
सोमनाथ का जन्म जुलाई 1963 में केरल राज्य के अरूर में हुआ था (S Somnath Date of Birth). उन्होंने महाराजा कॉलेज, एर्नाकुलम में पढ़ाई करने के बाद टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम, केरल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. सोमनाथ ने गतिशीलता और नियंत्रण में विशेषज्ञता के साथ भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की (S Somnath Education). उनकी पत्नी का नाम वलसालाकुमारी है (S Somnath Wife) और उनके दो बच्चे हैं (S Somnath Children).
स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, सोमनाथ 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़ गए. वह अपने प्रारंभिक चरण के दौरान ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (PSLV) परियोजना से जुड़े थे. वह 2010 में वीएसएससी के एसोसिएट डायरेक्टर (प्रोजेक्ट्स) और जीएसएलवी एमके-III लॉन्च वेहिकल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बने. सोमनाथ नवंबर 2014 तक प्रोपल्शन एंड स्पेस ऑर्डिनेंस एंटिटी के उप निदेशक भी थे.जून 2015 में, उन्होंने वलियामाला, तिरुवनंतपुरम में तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC) के निदेशक के रूप में काम किया और जनवरी 2018 तक वहां अपनी सेवा दी. सोमनाथ ने के. सिवन से वीएसएससी (VSSC) के निदेशक के रूप में पदभार संभाला, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष बने (S Somnath Career).
ISRO के भविष्य के सारे मिशन इस इकलौते लॉन्च पर टिके हैं. ये ही तय करेगा कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन कैसे बनेगा और चंद्रयान-4 कैसे जाएगा. इस महीने के अंत में इसरो अपना सबसे बड़ा प्रयोग करने जा रहा है. संभावना है कि 30 दिसंबर को SPADEX की लॉन्चिंग हो. लॉन्चिंग PSLV-C60 रॉकेट से की जा सकती है.
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एलन मस्क की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे अंतरिक्ष के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहे हैं. अपनी योजनाओं के तहत इसरो भी कुछ शानदार विचारों पर काम कर रहा है. एलन मस्क को एक कमाल का व्यक्ति बताते हुए उन्होंने उनके नवाचारों की सराहना की.
Gaganyaan अंतरिक्ष में एक दिन लगातार धरती का चक्कर लगाएगा. ISRO 24x7 उस पर नजर रखने के लिए ऑस्ट्रेलिया के कोकोस (कीलिंग) आइलैंड पर ट्रैकिंग स्टेशन बनाएगा. इस काम में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक और स्पेस एजेंसी भी मदद कर रही है. आइए जानते हैं इस द्वीप के बारे में...
Chandrayaan 4 Mission: बड़ी खुशखबरी आई है... भारत सरकार ने ISRO के चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है. इस मिशन में कई कमाल की चीजें होंगी. चांद से सैंपल धरती पर आएगा. अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग होगी. आइए जानते हैं कि इस मिशन में क्या चीजें खास हैं?
PM Narendra Modi की सरकार ने ISRO को Venus Orbiter Mission (VOM) की अनुमति दे दी है. जिसे शुक्रयान भी बुलाया जाता रहा है. इस मिशन में मंगलयान की तरह शुक्र ग्रह पर भी एक ऑर्बिटर भेजा जाएगा. जो उसके वायुमंडल, तापमान, सतह और मौसम आदि की स्टडी करेगा.
इसरो चीफ doctor एस सोमनाथ ने भविष्य में आने वाली तबाही को लेकर एक बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि Apophis नाम का एक बड़ा एस्टेरॉयड अगर धरती से टकराता है, तो इंसानियत खत्म हो जाएगी. इस्रो इस एस्टेरॉयड को लगातार ट्रैक कर रहा है और इसकी ट्रैकिंग के लिए NETRA नाम के प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है.
ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने भविष्य में आने वाली तबाही को लेकर चेताया है. उन्होंने कहा कि एक बड़ा एस्टेरॉयड अगर धरती से टकराता है तो इंसानियत के लिए खतरा है. इसरो ऐसे खतरों पर नजर रख रहा है. हम ऐसे खतरों से लड़ने के लिए दुनिया भर के देशों के साथ खड़े हैं. हम अपना पूरा जोर लगा देंगे.
Gaganyaan मिशन की पहली लॉन्चिंग खाली नहीं होगी. उस कैप्सूल में मक्खियां भी भेजी जाएंगी. ताकि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने पर एस्ट्रोनॉट्स को होने वाली किडनी स्टोन की दिक्कत की स्टडी की जा सके. अंतरिक्ष में कुछ समय बिताने के बाद इन मक्खियों पर क्या असर पड़ा, इसी आधार पर वैज्ञानिक किडनी स्टोन की स्टडी करेंगे.
National Space Day 2024: आज यानी 23 अगस्त 2024 को पूरा देश Chandrayaan-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की पहली वर्षगांठ मना रहा है. यानी राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस. ऐसे में आप जानिए भविष्य में बनने वाले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksha Station - BAS) के बारे में. पहली बार ISRO ने इसका ऑफिशियल Video जारी किया है...
ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि Chandrayaan-4 और 5 की डिजाइन तैयार है. साथ ही अगले पांच साल में 70 सैटेलाइट लॉन्च करने की प्लानिंग है. अगले चंद्रयान मिशन का अप्रूवल सरकार के पास पेंडिंग है. जैसे ही अप्रूवल मिलेगा, चंद्रयान का अगला मिशन तैयार कर दिया जाएगा.
23 अगस्त 2024 को National Space Day मनाया जाएगा…ISRO प्रमुख डॉक्टर एस. सोमनाथ ने इसका ऐलान किया है….बीते साल इसी दिन चंद्रमा के पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी.
ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने 23 अगस्त 2024 को National Space Day घोषित किया है. पिछले साल इसी दिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास Chandrayaan-3 की लैंडिंग हुई थी. इसरो चीफ ने देश के सभी लोगों को इसरो के कार्यक्रमों और सेलिब्रेशन में भाग लेने की अपील की है.
ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा है कि Chandrayaan-4 को एक बार में लॉन्च नहीं किया जाएगा. इसे दो हिस्सों लॉन्च किया जाएगा. इसके बाद अंतरिक्ष में इसके मॉड्यूल्स को जोड़ा जाएगा. यही तकनीक भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में मदद करेगी.
ISRO के नए रॉकेट NGLV का डिजाइन बनकर तैयार है. बस अब सरकार की तरफ से रॉकेट बनाने का निर्देश मिलना बाकी है. जैसे ही हरी झंडी मिली. इसरो देश के लिए नया रॉकेट बना देगा. इसके बाद इसरो रॉकेट के मामले में अमेरिका, रूस, यूरोप, चीन समेत पूरी दुनिया को और बड़ी टक्कर देगा.
ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा है कि NISAR देश और दुनिया में आने वाले भूकंपों की पहले ही भविष्यवाणी कर सकेगा. क्योंकि यह टेक्टोनिक प्लेट्स के मूवमेंट की स्टडी करेगा. यह बात उन्होंने एक इंटरव्यू में कही. आइए जानते हैं इसरो चीफ ने फ्यूचर प्लान्स के बारे में क्या-क्या बताया?
इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2040 में चंद्रमा पर भारतीय के उतरने का लक्ष्य रखा है, जिस पर इसरो लगातार काम कर रहा है. हमारे प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था कि 2040 में एक भारतीय चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. अगर ऐसा होता है तो हमें लगातार चंद्रमा को एक्सप्लोर करना होगा.
Aditya-L1 की लॉन्चिंग वाले दिन ISRO चीफ Dr. S. Somanath को कैंसर डिटेक्ट हुआ था. लेकिन वो हारे नहीं. कीमोथैरेपी ली. दवाइयां अब भी चल रही हैं. मिशन भी पूरे हो रहे हैं.
Gaganyaan के चारों एस्ट्रोनॉट्स के नाम सामने आ गए हैं. ये हैं प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजित कृष्णन और शुभांशु शुक्ला. पीएम नरेंद्र मोदी ने इन्हें एस्ट्रोनॉट विंग्स देकर इनके दुनिया के सामने पेश किया. चारों भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं. चारों की बेंगलुरु के एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में ट्रेनिंग चल रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान के चारों एस्ट्रोनॉट्स को एस्ट्रोनॉट विंग्स पहनाए. अब इन चारों एस्ट्रोनॉट्स के नाम सामने आ गए हैं. ये भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं. इनके नाम हैं ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजित कृष्ण और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला.
ISRO इस साल यानी 2024 में क्या Gaganyaan की उड़ान कर पाएगा? और कितने एबॉर्ट टेस्ट होंगे? या फिर रोबोटिक महिला व्योममित्र मानवरहित उड़ान में पहले जाएगी. हाल ही में इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने इन सवालों के जवाब दिए... आप भी जानिए.
सिर्फ तीन दिन और. इसके बाद ISRO को बहुत बड़ी सफलता मिलने वाली है. 6 जनवरी 2024 की शाम करीब चार बजे सूरज की स्टडी करने के लिए भेजा गया Aditya सैटेलाइट, अपने L1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा. कुछ दिन पहले इसरो चीफ S. Somanath ने इसका खुलासा तो किया था लेकिन समय नहीं बताया था.