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जस्टिस संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना

संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna CJI) भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश हैं. उन्होंने 11 नवंबर 2024 को पद ग्रहण किया. वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के पदेन संरक्षक और नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति हैं. वे दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में भी कार्य कर चुके हैं.

संजीव खन्ना ने वर्ष 1977 में नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. साल 1980 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक होने के बाद उन्होंने न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​के समान बैच में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के कैंपस लॉ सेंटर में कानून की पढ़ाई की. 

उनके पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना वर्ष 1985 में दिल्ली उच्च न्यायालय से न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए और उनकी मां सरोज खन्ना दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज में हिंदी लेक्चरर थीं.

उनके चाचा हंस राज खन्ना थे, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश थे. हंस राज ने 1973 में मूल संरचना सिद्धांत का प्रतिपादन किया था. उन्होंने 1976 में एडीएम जबलपुर बनाम शिव कांत शुक्ला मामले में एकमात्र असहमतिपूर्ण निर्णय दिया, जिसे लोकप्रिय रूप से बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले के रूप में जाना जाता है. और तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर एमएच बेग को भारत के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसका विरोध करते हुए उन्होंने 1977 की शुरुआत में अदालत से इस्तीफा दे दिया.

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