शनि ग्रह
शनि (Saturn) सूर्य से छठा ग्रह है और बृहस्पति के बाद सौरमंडल में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है. यह एक विशाल गैस है जिसकी औसत रेडियस पृथ्वी से लगभग साढ़े नौ गुना है. इसका पृथ्वी के औसत घनत्व का केवल एक-आठवां हिस्सा है (Saturn 6th Planet of the Solar System).
शनि का आंतरिक भाग सिलिकॉन और ऑक्सीजन यौगिकों के एक कोर से बना है (Saturn Core). इसका कोर धात्विक हाइड्रोजन की एक गहरी परत, तरल हाइड्रोजन और तरल हीलियम की एक मध्यवर्ती परत जो अंत में, एक गैसीय बाहरी परत से घिरा हुआ है. ऊपरी वायुमंडल में अमोनिया क्रिस्टल के कारण शनि का रंग हल्का पीला है (Colour of Saturn). माना जाता है कि धातु हाइड्रोजन परत के भीतर एक विद्युत प्रवाह शनि के ग्रह चुंबकीय क्षेत्र को जन्म देता है, जो पृथ्वी की तुलना में कमजोर है, लेकिन शनि के बड़े आकार के कारण इसका चुंबकीय क्षण पृथ्वी से 580 गुना अधिक है. शनि के चुंबकीय क्षेत्र की ताकत बृहस्पति के लगभग बीसवें हिस्से में है (Saturn Magnet Field).
इसका बाहरी वातावरण आम तौर पर नरम होता है. शनि पर हवा की गति 1,800 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है, जो बृहस्पति की तुलना में अधिक है, लेकिन नेपच्यून जितनी अधिक नहीं है (Saturn Environment).
शनि ग्रह की सबसे उल्लेखनीय विशेषता इसकी प्रमुख रिंग सिस्टम है, जो मुख्य रूप से बर्फ के कणों से बनी होती है. इसमें चट्टानी मलबे और धूल की एक छोटी मात्रा होती है (Saturn Ring). लगभग 83 चंद्रमा शनि की परिक्रमा के लिए जाने जाते हैं, जिनमें से 53 को आधिकारिक तौर पर नाम दिया गया है. इसमें इसके छल्लों में सैकड़ों चांदनी शामिल नहीं हैं (Moons of Saturn). टाइटन (Titan), शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा और बुध ग्रह से बड़ा है.
28 फरवरी 2025 की शाम को एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने वाली है. उस दिन सौर मंडल के सभी सात ग्रह - शनि, बुध, नेपच्यून, शुक्र, यूरेनस, बृहस्पति और मंगल - एक साथ आकाश में दिखाई देंगे. यह एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जिसे महान ग्रहीय संरेखण (Great Planetary Alignment) कहा जाता है.
Shani Dev Ki Drishti: शनि देव की दृष्टि कष्टकारी के साथ ही शक्तिशाली भी होती हैं. शनि देव न्यायोचित तरीके से अपने भक्तों को कर्म के अनुसार फल देते हैं. ज्योतिष के अनुसार, नवग्रहों में शनि संतुलन और न्याय का ग्रह है.
Shani Dev Puja: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या किसी का भी जीवन बर्बाद कर सकती है. इसलिए शनि देव को मनाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं. कोई शनिवार के दिल उन्हें सरसों का तेल चढ़ाता है तो कोई दीपक जलाता है.
Surya Shani Yuti 2025: 12 फरवरी 2025 को सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. इस राशि में शनि देव पहले से विराजमान हैं. ज्योतिष शास्त्र में पिता-पुत्र सूर्य-शनि की युति को एक दुर्लभ संयोग माना जाता है.
Shani Margi in Kumbh 2024: शनि न्याय और कर्मकारक ग्रह माने जाते हैं. यह जातकों को अच्छे कर्म करने पर अच्छा फल और बुरे कर्म करने पर बुरा फल प्रदान करते हैं. शनि 15 नवंबर यानीकल मार्गी हो चुके हैं यानी शनि सीधी चाल चलेंगे. तो आइए जानते हैं कि इसका सभी राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
यदि आपको शनि ग्रह से अशुभ फल मिल रहा है तो कुछ उपाय करके इसे दूर कर सकते हैं. पंडित प्रवीण मिश्रा ने इस वीडियो में ऐसे ही कुछ उपाय साझा किए हैं. शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में बैठ कर सुंदरकांड का पाठ करें. काले चने और हलवे का प्रसाद हनुमान जी को चढ़ाएं. हनुमान जी की आरती करें. 8 गरीबों को प्रसाद अवश्य बांटें. देखें वीडियो.
अगर आप पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो ज्योतिष प्रविण मिश्रा के द्वारा बताये गए उपाय आजमा सकते हैं. इससे जल्द साढ़ेसाती खत्म हो सकती है. शानिवार की शाम हनुमान मंदिर में दीपक जलाएं. सुंदरकांड का पाठ करें. 8 गरीबों को भोजन का दान करें.
आज दिन शनिवार और तिथि 14 सितंबर है. भाद्रपद मास चल रहा है. एकादशी तिथि रात को 8 बजकर 41 मिनट तक है. फिर द्वादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. चन्द्रमा मकर राशि में गोचर कर रही है. भगवान सूर्य सिंह राशि में विराजमान है. अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर के 12 बजकर 41 मिनट तक है. राहुल काल सुबह 9 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 44 मिनट तक है. पूर्व दिशा में यात्रा करने से बचें.
Shani dev Aarti: मान्यता है कि किसी भी काम में अड़चन आ रही हो तो शनिदेव की आराधना करनी चाहिए. शनिदेव प्रसन्न होते हैं तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सफलता मिलती है. शनिदेव मनुष्य के कर्म और फल से संबंध रखते हैं.
Shani Chalisa: शनि देव को कलियुग का न्यायकर्ता कहा जाता है. शनि बुरे कर्मों की सजा बहुत कठोर देते हैं और सज्जनों को अच्छे कर्म का शुभ फल देते हैं. मान्यता है कि किसी भी काम में अड़चन आ रही हो तो शनिदेव की आराधना करनी चाहिए. शनिदेव प्रसन्न होते हैं तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सफलता मिलती है.
Vakri Shani 2024: कुछ दिन पहले ही शनि कुंभ राशि में वक्री हुए हैं. वैसे तो वक्री शनि अगर अशुभ हों तो अशुभ परिणाम ही देते हैं. लेकिन शनि की वक्री चाल के समय भी शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है. जो व्यक्ति धर्म के काम करता है, उसे भी शनि कभी कष्ट नहीं पहुंचाते हैं.
Shani dev: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है. जहां हर ग्रह ढाई महीने में या 45 दिन में अपनी चाल बदल लेता है. वहीं शनि ढाई वर्ष में अपनी चाल बदलते हैं. शनि जीवन में हर तरह के कर्मों का कारक और फलदाता होता है. शनि की महादशा 19 साल तक चलती है. नकारात्मक प्रभाव होने पर शनि लंबे समय तक कष्ट देते हैं.
New year 2024: ज्योतिष शास्त्र में शनि के चार पाए बताए गए हैं- स्वर्ण, रजत, ताम्र और लौह. ज्योतिष गणना के अनुसार, नए साल 2024 में शनि प्रत्येक राशि में पाया बदलेंगे. आइए जानते हैं कि नए साल में शनि किस राशि में कौन से पाए पर रहेंगे.
New year 2024: साल 2024 का अंक 8 है. यह शनि का अंक है. इसलिए पूरा वर्ष शनि से प्रभावित रहेगा. वर्ष की शुरुआत कन्या लग्न में राहु-केतु के प्रभाव में होगी. साल की शुरुआत में चन्द्रमा सिंह राशि में होगा. इसलिए सालभर सूर्य का भी मजबूत प्रभाव रहेगा.
आज भाग्यचक्र के इस एपिसोड में पंडित सैलेंद्र पांडेय बताएंगे कि सेहत सुधारने वाले शनि के अचूक उपाय क्या हैं. शनि का बीमारी कनेक्शन क्या है और कैसे शनि का रोगों और बीमारियों से संबंध है. साथ ही ये भी जानें कि सूर्य का आपकी कुंडली पर क्या असर होता है. देखें पूरा वीडियो.
इस साल धनतेरस शुक्रवार 10 नवंबर और दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी. धनतेरस-दिवाली से पहले शनि भी चाल बदलेंगे.
आज का भाग्यचक्र में ज्योतिष शैलेंद्र पांडेय बात करेंगे कि एक प्रयोग से कैसे बढ़ाएं लक. ज्योतिषी आपको बताएंगे कि कैसे आप अपने 9 ग्रहों पर मजबूत कर सकते हैं. देखें भाग्यचक्र का ये एपिसोड
शनि इस वक्त अपनी मूल राशि कुंभ में विराजमान है....शनि ने 18 जनवरी को कुंभ राशि में प्रवेश किया था.
कुंडली में शनि की अच्छी दशा बेहद कामयाब बनाती है. वहीं इस ग्रह की बुरी दशा इंसान से सब कुछ छीन भी सकती है. शनि के बहुत से शुभ और अशुभ योग हैं. ज्यादा जानकारी के लिए देखें ये वीडियो.
Shani Sadesati: ज्योतिष के अनुसार शनि हर राशी पर भ्रमण के दौरान एक विशेष तरह का प्रभाव डालता है. जब यह प्रभाव किसी राशी के ऊपर शनि की विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है तो इसको साढ़ेसाती कहते हैं. ढाई ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है.
क्या कोई तूफान इतना बड़ा हो सकता है कि उसे पार करने में 100 साल लग जाएं. पूरे ग्रह पर उसका घेरा हो. शनि ग्रह पर ऐसा ही एक 'महातूफान' आया हुआ है. इस तूफान से रेडियो सिग्नल भी पैदा रहे हैं. जिसका रहस्य वैज्ञानिक खोज नहीं पा रहे. आइए समझते हैं ये पहेली...