सऊदी अरामको
सऊदी अरामको (Saudi Aramco, Oil Company) आधिकारिक तौर पर सऊदी अरब की तेल कंपनी है. यह सार्वजनिक पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस कंपनी है जो धहरान में स्थित है (Saudi Aramco Situated in Dhahran). 2020 तक, यह राजस्व के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है (Saudi Aramco, largest company by Revenue).
सऊदी अरामको के पास 270 बिलियन बैरल से अधिक तेल है. साथ ही, सभी तेल उत्पादक कंपनियों का सबसे बड़ा दैनिक तेल उत्पादन के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्रमाणित कच्चे तेल का भंडार है. यह 1965 के बाद से दुनिया में किसी भी कंपनी के वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है. 11 मई 2022 को मार्केट कैप के हिसाब से सऊदी अरामको ऐप्पल इंक को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई (Saudi Aramco surpassing Apple Inc).
सऊदी आरामको दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल हाइड्रोकार्बन नेटवर्क, मास्टर गैस सिस्टम (Master Gas System) संचालित करता है (Saudi Aramco single hydrocarbon network). 2013 में कच्चे तेल का उत्पादन कुल 3.4 बिलियन बैरल था. यह सऊदी अरब में एक सौ से अधिक तेल और गैस क्षेत्रों का प्रबंधन करता है, जिसमें प्राकृतिक गैस भंडार के 288.4 ट्रिलियन मानक क्यूबिक फीट (एससीएफ) शामिल हैं. सऊदी अरामको दुनिया के सबसे बड़े तटवर्ती तेल क्षेत्र (onshore oil field), घावर फील्ड और सबसे बड़े अपतटीय तेल क्षेत्र (offshore oil field ), सफानिया फील्ड का संचालन करती है.
2020 फोर्ब्स ग्लोबल 2000 में, सऊदी अरामको को दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी सार्वजनिक कंपनी के रूप में स्थान दिया गया था (Saudi Aramco Forbes Global 2000).
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के प्रयास में है. इसी क्रम में सऊदी अरब को कामयाबी हाथ लगी है, तेल कंपनी अरामको के ऑयल फील्ड से पायलट प्रोजेक्ट के तहत लिथियम निकाला जा रहा है. यह सऊदी की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने 'विजन 2030' के तहत अरबों डॉलर के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स तो शुरू कर दिए हैं लेकिन तेल बाजार में स्थिरता से पैसे की किल्लत हो रही है. सऊदी अरब सॉवरेन वेल्थ बॉन्ड खर्च कर रहा है. अगर जल्द ही तेल की कीमतें नहीं बढ़ती हैं तो सऊदी कर्ज में जा सकता है.
इजरायल और हमास की लड़ाई ऐसे वक्त शुरू हुई है, जब सऊदी अरब और इजरायल अपने संबंधों को सामान्य करने की कोशिश में जुटे थे. विश्लेषकों के मुताबिक, इससे सऊदी-इजरायल सामान्यीकरण समझौता वार्ता को झटका लगा है. इस बीच, सऊदी प्रिंस ने कहा कि हम फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले सऊदी अरब चीन का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था. लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने भारत की तरह ही चीन को रियायती दरों पर तेल बेचना शुरू किया और अब वो चीन का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है. इससे सऊदी को नुकसान झेलना पड़ रहा है.
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच तेल रिफाइनरी स्थापित करने को लेकर समझौता हुआ है. यह रिफाइनरी पाकिस्तान की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी होगी. सऊदी इसमें 10 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है. लेकिन इस बड़े प्रोजेक्ट को लेकर चिंताएं भी बहुत हैं.
सऊदी अरब जुलाई के लिए एशिया को बेचे जाने वाले अपने कच्चे तेल की कीमतों में कटौती कर सकता है. बताया जा रहा है एशियाई बाजार में सऊदी अरब के तेल की मांग घटती जा रही है. एक तरफ जहां रूसी तेल एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ सऊदी अरब को एशियाई बाजार में दिक्कतें पेश आ रही हैं.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में सऊदी अरब की यात्रा की है. गोयल की 18-19 सितंबर की रियाद यात्रा के दौरान ही इन तीनों बातों पर दोनों देशों ने चर्चा की है. इसकी जानकारी वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में दी.
सऊदी अरब में खुदाई और सर्वे के दौरान एक स्टोन टेंपल और वेदी मिले हैं. यहां 8 हजार साल पुरानी मानव बस्तियों के अवशेष भी मिले हैं. इसके अलावा इस जगह पर अलग-अलग काल के 2,807 कब्र भी पाए गए हैं. यहां के पत्थरों पर आर्टवर्क और शिलालेख के जरिए एक शख्स की कहानी भी बताई गई है. धार्मिक शिलालेख भी सामने आए हैं.
सऊदी अरब में सात जुलाई से हज यात्रा शुरू हो गई है. कोरोना प्रतिबंधों की वजह से बीते दो साल से सिर्फ घरेलू तीर्थयात्री ही हज कर रहे थे लेकिन अब तमाम एहतियात के साथ दुनियाभर के हाजी सऊदी अरब पहुंच रहे हैं. इस साल 10 लाख लोगों के हज की यात्रा करने की उम्मीद जताई गई है.