scorecardresearch
 
Advertisement

शाह आलम द्वितीय

शाह आलम द्वितीय

शाह आलम द्वितीय

शाह आलम द्वितीय (Shah Alam II) (1728-1806) मुगल साम्राज्य के 16वें सम्राट थे. उनका शासनकाल भारत में मुगल साम्राज्य के पतन और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रभावी शासन की शुरुआत का प्रतीक है. उनका वास्तविक नाम 'अब्दुल्लाह जलालुद्दीन अबु नसर' था, लेकिन उन्होंने 'शाह आलम द्वितीय' की उपाधि धारण की.

शाह आलम द्वितीय का जन्म 25 जून 1728 को हुआ था. वे मुगल सम्राट आलमगीर द्वितीय के पुत्र थे. 1759 में अपने पिता की हत्या के बाद, उन्होंने मुगल सिंहासन संभाला।. लेकिन उनकी स्थिति बहुत ही अस्थिर थी, क्योंकि दिल्ली और उसके आसपास की सत्ता मराठों, अफगानों और अंग्रेजों के बीच संघर्ष में फंसी हुई थी.

शाह आलम द्वितीय ने अपने शासनकाल के प्रारंभिक वर्षों में अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच फंसे होने के कारण दिल्ली छोड़ दी थी. 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद, मराठों का प्रभाव बढ़ा और उन्होंने 1771 में शाह आलम द्वितीय को वापस दिल्ली लाकर गद्दी पर बैठाया.

शाह आलम द्वितीय की शासन क्षमता सीमित थी, और उन्होंने 1765 में बंगाल, बिहार और ओडिशा की दीवानी (राजस्व संग्रह का अधिकार) ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दी. यह भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व की शुरुआत मानी जाती है.

1788 में रोहिल्ला सरदार गुलाम कादिर ने दिल्ली पर हमला कर दिया और शाह आलम द्वितीय को बंदी बनाकर उन्हें अंधा कर दिया. यह घटना मुगल साम्राज्य के अपमानजनक पतन का प्रतीक बन गई.

बाद में मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने शाह आलम द्वितीय को दोबारा सत्ता में लाया और दिल्ली पर मराठों का नियंत्रण स्थापित किया.

1803 में मराठों और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें अंग्रेजों ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया. इसके बाद शाह आलम द्वितीय ब्रिटिश संरक्षण में रहने लगे और नाममात्र के सम्राट बनकर रह गए.

शाह आलम द्वितीय का निधन 1806 में हुआ. उनके बाद उनके पुत्र अकबर शाह द्वितीय गद्दी पर बैठे, लेकिन वास्तविक सत्ता अंग्रेजों के हाथ में रही. उनका शासनकाल मुगल साम्राज्य के पतन और ब्रिटिश सत्ता के उदय का साक्षी था.

और पढ़ें
Advertisement
Advertisement