मां दुर्गा, शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं. नवरात्रि के दौरान, उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. ये नौ रूप भक्ति, शक्ति, ज्ञान और समृद्धि के प्रतीक हैं. मां शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं. देवी शैलपुत्री को दो हाथों से दर्शाया गया है और उनके माथे पर अर्धचंद्र है. वह अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल रखती हैं. वह नंदी बैल पर सवार हैं.
शैलपुत्री मां शक्ति का प्रतीक हैं और सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी मानी जाती हैं. इस दिन भक्त मां को भोग लगाते हैं, जिससे उनके जीवन में आरोग्य और समृद्धि बनी रहती है.
शैलपुत्री पर्वत राजा हिमावत की पुत्री हैं, और देवी पार्वती के रूप में मां देवी महादेवी का एक रूप और स्वरूप हैं. वह देवी सती का पुनर्जन्म हैं.
उनका मंत्र इस प्रकार है
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
प्रार्थना
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्ध कृतशेखराम् ।
वृषारूढाम् शूलधराम् शैलपुत्रीम् यशस्विनीम् ॥