शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) हिंदू चंद्र माह अश्विन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इसे कुमार पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, नवान्न पूर्णिमा, कोजाग्रत पूर्णिमा या कौमुदी पूर्णिमा भी कहा जाता है. पूर्णिमा, देश के विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है. इस बार 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मानाई जाएगी.
इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा चंद्र देवता के साथ की जाती है और उन्हें फूल और खीर चढ़ाई जाती है. पूर्णिमा की रात खीर को चांद की रौशनी में रखा जाता और अगली सुबह इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है.
शरद पूर्णिमा के विशेष अवसर पर उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में भक्तों का विशाल जनसैलाब देखने को मिला. इस पावन दिन पर ठाकुर जी अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और मंदिर में खीर का प्रसाद बांटा जाता है, जिसे शुभ माना जाता है.
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देती