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शरजील इमाम

शरजील इमाम

शरजील इमाम

शरजील इमाम (Sharjeel Imam) बिहार के रहने वाले हैं. उनके पिता अकबर इमाम 2005 के विधानसभा चुनाव में जहानाबाद निर्वाचन क्षेत्र में जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार थे. 2014 में कैंसर से उनके पिता की मौत गई. अपने विवादास्पत बयानों की वजह से शरजील इमाम हमेशा चर्चा में रहते हैं. साल 2020 में भी उनपर सांप्रदायिक दंगा फैलाने के मामले में राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियों के लिए दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. 29 मई 2024 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने शरजील इमाम को इन आरोपों में जमानत दे दी. 

शरजील इमाम का जन्म 1988 में बिहार के जहानाबाद जिले के काको गांव में हुआ था. वह एक रानीतिक परिवार से आते हैं. उनके भाई मुज़म्मिल इमाम एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. शरजील इमाम ने टीआरटी वर्ल्ड, फ़र्स्टपोस्ट, द क्विंट, और द वायर के लिए लिखते थे.

उन्होंने आईआईटी-बॉम्बे से बीटेक और एमटेक की पढ़ाई पूरी की थी और 2013 में आधुनिक इतिहास में मास्टर डिग्री पूरी करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शामिल हो गए. 2015 में उन्होंने उसी विश्वविद्यालय से पीएचडी शुरू की. उन्हें नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध के दौरान भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके कारण उन्हें देशद्रोह के तहत गिरफ्तार किया गया था.

असम, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और दिल्ली सहित पांच राज्यों ने इमाम के खिलाफ विभिन्न मामले दर्ज हैं.

25 जनवरी 2020 को, असम पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए, 153बी और 124ए के साथ यूए(पी)एसीटी की धारा 13 (1)/18 के तहत उनके भाषण के लिए इमाम के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की.

उसी दिन, उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ पुलिस ने भी इमाम के खिलाफ देशद्रोह और दो समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने का मामला दर्ज किया.

मणिपुर पुलिस ने भी इमाम के खिलाफ, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, देशद्रोह, बदनामी में लिप्त होने, किसी विशेष समूह पर हमला करने या अपराध करने की साजिश रचने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी.

पुलिस ने देश के बाकी हिस्सों से पूर्वोत्तर को 'काटे जाने' की उनकी टिप्पणी के लिए एफआईआर संख्या 16(1)2020 आईपीसी की धारा 121/121-ए/124-ए/120-बी/153 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की थी.

26 जनवरी 2020 को अरुणाचल प्रदेश की ईटानगर पुलिस ने इमाम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124(ए), 153(ए) और 153(बी) के तहत राजद्रोह, समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की.

दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह और धार्मिक दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोपों के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 153 के तहत भी एफआईआर दर्ज की थी.

 

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