सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (Sikkim Krantikari Morcha), सिक्किम में एक राजनीतिक दल है जो 2019 से सिक्किम की सत्तारूढ़ पार्टी भी है. पी.एस. सिक्किम विधान सभा के सदस्य गोले, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) के प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे और सिक्किम सरकार में मंत्री थे. दिसंबर 2009 से वह एसडीएफ के अध्यक्ष और सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के मुखर आलोचक रहे हैं. उन्होंने 4 फरवरी 2013 को सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी की शुरुआत की. गोले 28 मई 2019 को सिक्किम के मुख्यमंत्री बने, इस प्रकार चामलिंग के 25 साल के शासन का अंत हुआ.
2 जून को परिणाम घोषित होने के बाद से ही उनके एसकेएम में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लमथा ने संकेत दिया था कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए पाला बदल सकते हैं. अपने अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मैं सार्वजनिक परामर्श के बाद भविष्य का फैसला करूंगा."
सिक्किम में एक बार फिर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सत्ता में वापसी हो गई है. चुनावी नतीजों में एसकेएम ने क्लीन स्वीप करते हुए 32 में से 31 सीटें हासिल करली है. जबकि एसडीएफ सिर्फ एक सीट पर सिमटकर रह गई है. इसी बीच प्रदेश के सीएम प्रेम सिंह तमांग की चर्चा का केंद्र बने हुए हैं.
निर्वाचन आयोग के अनुसार के आंकड़ों के मुताबिक सत्तारूढ़ एसकेएम ने सिक्किम की 32 विधानसभा सीटों में से 31 पर जीत दर्ज की है. एकमात्र श्यारी सीट विपक्ष के खाते में गई, जहां सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के तेनजिंग नोरबू लाम्था ने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के कुंगा नीमा लेप्चा को 1314 वोटों के अंतर से हराया.
सिक्किम के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा यानि SKM को प्रचंड जीत मिलती दिख रही है. रुझानों में SKM ने भारी बढ़त बना ली है. इसके पीछे का कारण क्या है? विधानसभा चुनाव में SKM को एकतरफा जीत मिलने की वजह क्या है, आइए इसके बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं.