सौर लहर
सौर लहर या तरंग (Solar Wave) या सौर ज्वाला (Solar Flare) सूर्य के वातावरण में विद्युत चुम्बकीय विकिरण का एक तीव्र स्थानीय विस्फोट है (Eruption of Electromagnetic Radiation in Sun's Atmosphere). फ्लेयर सक्रिय क्षेत्रों में कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर पार्टिकल इवेंट्स और अन्य सौर घटनाओं के साथ होता है.
सोलर फ्लेयर्स मैग्निट्यूड्स के पावर-लॉ स्पेक्ट्रम में होते हैं. इससे आम तौर पर 1020 जूल ऊर्जा की रिलीज होती है जिसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. एक बड़ी सौर तरंग 1025 जूल तक की ऊर्जा का उत्सर्जन कर सकती है (Solar Wave Total Energy). ऐसे तरंगों के गामा-किरण विकिरण का पता रेडियो तरंग से लगाया जा सकता है (Detection of Solar Wave). फ्लेयर्स अन्य तारों पर भी होते हैं, जहां स्टेलर फ्लेयर शब्द लागू होता है (Stellar Flare).
सौर तरंग या ज्वालाएं सौर वायुमंडल की सभी परतों (Photosphere, Chromosphere, and Corona) को प्रभावित करती हैं. इससे प्लाज्मा लाखों केल्विन तक गर्म हो जाता है, जबकि इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉन और भारी आयनों की गति प्रकाश की गति के करीब पहुंच जाती है. फ्लेयर्स रेडियो तरंगों से लेकर गामा किरणों तक, सभी तरंग दैर्ध्य पर विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में विद्युत चुम्बकीय विकिरण उत्पन्न करते हैं. फ्लेयर्स सक्रिय क्षेत्रों में अक्सर सनस्पॉट के आसपास होते हैं, जहां तीव्र चुंबकीय क्षेत्र कोरोना को सौर इंटीरियर से जोड़ने के लिए फोटोस्फीयर में प्रवेश करते हैं. तरंग अचानक कोरोना में जमा चुंबकीय ऊर्जा के रिलीज होने से पैदा होती है. वही ऊर्जा रिलीज कोरोनल मास इजेक्शन (CME) उत्पन्न कर सकती है, हालांकि सीएमई और फ्लेयर्स के बीच संबंध अभी भी अच्छी तरह से समझा नहीं गया है (Solar Wave Cause). इसकी अधिकांश ऊर्जा देखने की सीमा के बाहर की आवृत्तियों पर फैली होती है. इसकी अधिकांश लपटें नंगी आंखों से दिखाई नहीं देती हैं और इन्हें विशेष उपकरणों के साथ देखा जाना चाहिए (Solar Wave Observations).
सूरज इस समय भयानक गुस्से में है. सूरज की वजह से तीन ऑस्ट्रेलियाई सैटेलाइट धरती के ऊपर ही जल गए. ये बाइनर स्पेस प्रोग्राम के सैटेलाइट्स थे. इस समय सूरज का सोलर मैक्सिमम फेज़ चल रहा है. आइए समझते हैं कि सूरज का सोलर मैक्सिमम क्या है? इससे क्या नुकसान हो सकता है?
8 अगस्त 2024 को NASA के वैज्ञानिकों 24 घंटे के अंदर सूरज पर सैकड़ों धब्बे (Sunspots) देखे. ये सभी सूरज के अलग-अलग हिस्सों में निकले. इसकी वजह से वैज्ञानिक थोड़ा डरे हुए हैं, क्योंकि इस समय सूरज सोलर मैक्सिमम पर चल रहा है. यानी धरती पर कई बार और ताकतवर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तूफान आ सकता है. जिससे कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं.
सूरज ने इतिहास का सबसे ताकतवर सौर लहर छोड़ी है. जिसे ISRO के Aditya-L1 स्पेसक्राफ्ट ने कैप्चर किया है. ये भयानक X Class की सौर लहर थी. जिसका असर दुनिया भर के संचार सिस्टम, सैटेलाइट्स, पावर ग्रिड और नेविगेशन सिस्टम पर पड़ सकता है. आइए जानते हैं सूरज इतने गुस्से में क्यों है?
पिछले 20 वर्षों में सूरज ने 12 मई 2024 को सबसे ज्यादा आग उगली है. सूरज की सतह पर बड़ा विस्फोट हुआ है. जिससे निकले सौर तूफान की वजह उत्तरी ध्रुव से लेकर लंदन और अमेरिका के कई राज्यों में आसमान का रंग बदल गया. इसकी वजह से पृथ्वी के चारों तरफ रेडियो ब्लैकआउट हो गया.
सूरज की सतह में एक बहुत बड़ा छेद हो गया है. इसकी चौड़ाई 8 लाख किलोमीटर है. यानी इसमें 60 पृथ्वी समा जाए. डरावनी बात ये है कि इस छेद से सुपरफास्ट सौर लहरें धरती की तरफ आ रही हैं. तीव्र रेडिएशन वाली लहरें तेजी से पृथ्वी की तरफ आ रही हैं. वैज्ञानिक भी अचानक बने इतने बड़े छेद से हैरान हैं.
कैसा होता है सौर तूफान? क्या हो अगर उसमें कुछ फंस जाए? NASA का सूर्य मिशन Parker Solar Probe हाल ही में सूरज से निकली तूफानी लहर के बीच फंस गया. उसके बाद उसके कैमरे ने जो कैद किया, वो आपको हैरान कर देगा. आपको सौर लहर की डरावनी आवाज भी सुनाई देगी. देखिए Video...
कल यानी 6 जुलाई 2023 को सूरज से अपनी धरती सबसे ज्यादा दूर होगी. लेकिन इतनी दूर जाने के बाद भी हमारी दुनिया में गर्मी कम नहीं होगी. सूरज आग उगलता रहेगा. पूरी दुनिया हीटवेव का सामना करती रहेगी. आइए जानते हैं कि पृथ्वी जब इतनी दूर हो जाती है सूरज से, तब भी गर्मी कम क्यों नहीं होती?
पहली बार अंतरिक्ष से जमीन पर सूरज से मिली ऊर्जा की एक तेज लहर भेजी गई है. यह लहर पृथ्वी की निचली कक्षा से जमीन पर भेजी गई. यह एक सफल प्रयोग था. यानी भविष्य में वैज्ञानिक अंतरिक्ष में सोलर पैनल लगाकर धरती को बिजली की सप्लाई कर सकते हैं.
सूरज से निकलने वाली गर्म प्लाज्मा लहर यानी Solare Flares को वैज्ञानिकों ने लैब में तैयार कर लिया. सूरज से निकलने वाली प्लाज्मा लहरों की लंबाई लाखों-करोड़ों किलोमीटर होती है. लेकिन लैब में इस लहर की लंबाई एक सामान्य केले के आकार की थी. इन लहरों की स्टडी से सूरज से संबंधित खुलासे होंगे.
यूरोप की तरफ मौजूद स्कैंडिनेवियन देशों के आसमान में एक अजीब खूनी लाल रोशनी दिखाई दी. सबसे ज्यादा गहरा रंग डेनमार्क के आसमान में था. ये पिछले छह सालों के बाद और ताकतवर सौर तूफान की वजह से बनी लेकिन यह रोशनी नॉर्दन लाइट्स नहीं थी. इसकी पहचान करने के लिए वैज्ञानिक लगे है.
पहली बार नासा में साइंस चीफ पद किसी महिला वैज्ञानिक को दिया गया है. लंबे समय से सूर्य का अध्ययन कर रहीं निकोल फॉक्स अब नासा की नई साइंस चीफ होंगी. निकोला सूर्य से निकलने वाले रेडिएशन, ग्रहों और उपग्रहों पर उसके प्रभावों की स्टडी कर रही हैं. आइए जानते हैं कि कौन हैं निकोला फॉक्स...
एक विशालकाय धूमकेतु मिला है, जो दूसरे सौर मंडल से आया है. यह बेहद तेजी से हमारे सूरज की ओर जा रहा है. यानी ये सूरज से टकराकर सुसाइड करने की ओर बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों ने इतना बड़ा धूमकेतु इससे पहले कभी नहीं देखा. इस धूमकेतु को नासा के गैलेक्सी इवोल्यूशन एक्सप्लोरर सैटेलाइट ने खोजा है.
सूरज फट रहा है. पिछले कुछ दिनों में उसकी सतह पर कई विशालकाय गड्ढे हो गए हैं. इतने बड़े गड्ढे की उसमें कई पृथ्वी समा जाएं. इन गड्ढों की वजह से हमारे नीले ग्रह के लिए भी खतरा है. वैज्ञानिकों ने इन गड्ढों को लेकर चेतावनी भी दी है. इनसे अगले दो दिनों में सौर तूफान आने की आशंका है.
सूरज के अंदर सांप घूमता है. बस आप यह वीडियो देखकर भरोसा कर लेंगे. यह वीडियो यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सोलर ऑर्बिटर ने बनाया है. जिसमें सूरज की सतह पर एक सांप दौड़ते हुए दिख रहा है. जब इस वीडियो को वैज्ञानिकों ने देखा तो वे हैरान रह गए. जानते हैं कि ये सांप किस चीज का बना है.
चीन दुनिया का सबसे बड़ा टेलिस्कोप का छल्ला बना रहा है. वह इससे सूरज और उसके विस्फोट की स्टडी करेगा. इस छल्ले का व्यास 3.13 किलोमीटर है. इतना बड़ा छल्ला दुनिया में कहीं नहीं है. चीन के वैज्ञानिक इन टेलिस्कोप्स की मदद से सौर तूफानों, विस्फोट, सौर लहरों आदि पर रिसर्च करेगा.
सरकार ने साल 2030 तक 40 फीसदी बिजली का उत्पादन गैर-पारंपरिक तरीकों से करने का लक्ष्य तय किया है. सरकार ने इस साल के अंत तक सौर ऊर्जा (Solar Energy) से 100 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य भी रखा है, जिसमें से 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन छतों पर सोलर पैनल लगाकर करने की योजना है. लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार घर की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी भी दे रही है.
धरती का चांद हर साल 1.5 इंच दूर जा रहा है. एक समय ऐसा आएगा, जब वह धरती से बहुत दूर चला जाएगा. न पूर्णिमा होगी. न अमावस. लेकिन इन सबसे ज्यादा बुरी बातें होंगी. धरती पर तबाही का मंजर होगा... जानते हैं क्या?
South Pole of Sun: सदियों से वैज्ञानिक सूरज की स्टडी कर रहे हैं. लेकिन पहली बार सूरज के निचले हिस्से की तस्वीर मिली है. पहली उसके दक्षिणी ध्रुव की तस्वीर मिली है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के सोलर ऑर्बिटर ने पहली बार सूरज के निचले हिस्से की तस्वीर ली है. ऐसी हैरतअंगेज तस्वीर आज तक नहीं देखी गई.