सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) एक इंजीनियर और एजुकेशन रिफॉर्मिस्ट हैं. वह स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) के संस्थापक-निदेशक हैं, जिसकी स्थापना 1988 में छात्रों के एक समूह ने की थी, जो उनके अपने शब्दों में, लद्दाख पर थोपी गई एक विदेशी शिक्षा प्रणाली के 'शिकार' थे. उन्हें SECMOL परिसर को डिजाइन करने के लिए भी जाना जाता है जो सौर ऊर्जा पर चलता है और खाना पकाने, रोशनी या हीटिंग के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करता है. 1988 में स्नातक करने के बाद, वांगचुक अपने भाई और पांच साथियों के साथ स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ़ लद्दाख (SECMOL) की शुरुआत की.
लद्दाख के मशहूर क्लाइमेट एक्टिविस्ट फिलहाल अपने आमरण आनशन के लिए चर्चा में है. सोनम वांगचुक ने 6 मार्च को '#SAVELADAKH, #SAVEHIMALAYAS' के अभियान के साथ 21 दिनों का आमरण अंशन शुरू किया था. उन्होंने कहा था कि यह अंशन जरूरत पड़ने पर आगे भी बढ़ाया जा सकता है. उनके साथ 1500 लोग 18 मार्च 2024 को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे. उन्होंने एक वीडियो शेयर किया और बताया कि कैसे 250 लोग उनके समर्थन में रात को भूखे सोए. वांगचुक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जो प्रदेश के स्थानीय लोगों को आदिवासी इलाके में एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकार देगा (Sonam Wangchuk on Fast).
वांगचुक ने 1994 में सरकारी स्कूल प्रणाली में सुधार लाने के लिए सरकार, ग्रामीण समुदायों और नागरिक समाज के सहयोग से 'ऑपरेशन न्यू होप' के शुभारंभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
जून 1993 से अगस्त 2005 तक, वांगचुक ने 2001 में लद्दाख की एकमात्र प्रिंट पत्रिका लाडाग्स मेलोंग की स्थापना की और संपादक के रूप में भी काम किया.
जून 2020 में जब भारत-चीन सीमा पर सैनिकों के बीच झड़प हुआ, उसके जवाब में, सोनम वांगचुक ने भारतीयों से 'वॉलेट पावर' का उपयोग करने और चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की. इस अपील को प्रमुख मीडिया ने कवर किया और विभिन्न मशहूर हस्तियों ने इसका समर्थन भी किया. 15 जून 2020 को गलवान घाटी में झड़प के बाद, पूरे भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया गया था.
सोनम वांगचुक ने सोमवार को गृह मंत्रालय के आश्वासन के बाद अपना अनिश्चितकालीन अनशन खत्म कर दिया है. मंत्रालय ने उन्हें आश्वासन दिया है कि दिसंबर में लद्दाख की मांगों पर बातचीत फिर से शुरू की जाएगी. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने 6 अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उन्हें गृह मंत्रालय का एक पत्र सौंपा है.
एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है. इस मामले पर अदालत अगली सुनवाई 22 अक्तूबर को करेगी. एक महीने पहले लद्दाख से दिल्ली के लिए वांगचुक ने पदयात्रा शुरू की थी.
सोनम वांगचुक फिर से दिल्ली में धरने पर बैठे हैं और उन्होंने नेताओं से बातचीत की लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. उनकी मुख्य मांग है कि लद्दाख को छठी अनुसूची के अंतर्गत शामिल किया जाए. वांगचुक ने खुद को किसी राजनेता के बजाय पर्यावरणविद के रूप में प्रस्तुत किया है. उनका कहना है कि यह आंदोलन लद्दाख के लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए शुरू किया गया है.
लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक और उनके साथियों को दिल्ली पुलिस ने जंतर मंतर पर उनके अनशन की अनुमति नहीं दी. सोनम वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे थे. इसके बाद उन्होंने निराशा व्यक्त करते हुए इसके लिए वैकल्पिक स्थान और समर्थन की मांग की है. देखिए VIDEO
अमेठी हत्याकांड में पुलिस को अब एक बड़े सवाल का जवाब मिल चुका है कि आखिर पूनम भारती से कई सालों के रिश्तों के बावजूद चंदन वर्मा ने ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया. वहीं क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन करने की अनुमति नहीं मिलने पर निराशा व्यक्त की.
एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर अनशन करने की अनुमति नहीं मिलने पर निराशा व्यक्त की है और अपने अनशन के लिए अल्टरनेटिव देने की मांग की है. सोनम वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर अनशन करने की मांग कर रहे थे.
एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने केंद्र सरकार से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाने का अपना वादा निभाने की गुजारिश की है.
लद्दाख के क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने महात्मा गांधी के स्मारक राजघाट पर श्रद्धांजलि दी. पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद उन्होंने अपना अनशन समाप्त किया. वांगचुक ने सरकार को ज्ञापन देकर अपनी मांगें पेश की. उन्हें जल्द ही शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक का आश्वासन मिला है. देखिए VIDEO
सोनम वांगचुक ने कहा कि आने वाले दिनों में हम प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या गृह मंत्री से मिलेंगे. यह गृह मंत्रालय द्वारा हमें दिया गया आश्वासन है. वांगचुक ने कहा कि हमने लद्दाख के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था की मांग की है और छठी अनुसूची भी इसका हिस्सा है. हमें आश्वासन दिया गया है कि हम शीर्ष नेतृत्व से मिलेंगे और कुछ दिनों में बैठक की तारीख बता दी जाएगी.
सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक समेत 150 लोगों को सोमवार रात दिल्ली पुलिस ने सिंघू बॉर्डर पर रोक लिया और हिरासत में ले लिया है. ये सभी लोग लद्दाख से दिल्ली चलो पैदल यात्रा निकाल रहे थे.
पर्यावरणविद और शिक्षाविद सोनम वांगचुक को दिल्ली में दाखिल होने पर हिरासत में लिया गया. जब वो लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमा पर पहुंचे, सोनम और उनके साथ करीब 150 लोगों को पुलिस ने डिटेन कर लिया. देखें 10 तक.
सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को दिल्ली पुलिस ने सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया है. उनके साथ करीब 130 लोगों को भी हिरासत में लिया गया है. सोनम वांगचुक जैसे ही अपनी 700 किलोमीटर लंबी 'दिल्ली चलो पदयात्रा' करते हुए हरियाणा से दिल्ली में दाखिल हुए तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया. अब इस पर राजनीति तेज है. देखिए VIDEO
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार गेडेला की पीठ सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के मामले पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि लंच के बाद बड़ी बेंच बैठ रही है. हालांकि, इस अर्जी पर जल्दी सुनवाई की संभावनाएं क्षीण हैं. क्योंकि बुधवार को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जयंती होने के कारण राष्ट्रीय अवकाश है. इसलिए इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती.
साल 2019 के बाद से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है. पर्यावरण संरक्षक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने एक सितंबर से लद्दाख से दिल्ली चलो पदयात्रा शुरू की थी.
साल 2019 के बाद से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है. पर्यावरण संरक्षक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने एक सितंबर से लद्दाख से दिल्ली चलो पदयात्रा शुरू की थी.
इस मामले को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि सोनम वांगचुक जी और पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण मार्च कर रहे सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना अस्वीकार्य है. लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने वाले बुजुर्गों को दिल्ली की सीमा पर क्यों हिरासत में लिया जा रहा है?
सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग लगातार कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया है कि सोमवार को वह जैसे ही दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे तो उन्हें पुलिस ने रोक लिया.
लद्दाख के प्रसिद्ध एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने गृह मंत्री और प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया और इस फैसले का स्वागत किया. वांगचुक ने कहा कि यह लद्दाख की पुरानी मांग थी जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि नए जिलों का गठन केवल प्रशासनिक स्तर पर नहीं बल्कि जिला परिषद के रूप में हो.
सोनम वांगचुक लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन मांगों पर बातचीत के लिए अगर केंद्र सरकार लद्दाख के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं करती है तो वो स्वतंत्रता दिवस पर 28 दिन का अनशन शुरू करेंगे.
सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक पिछले 15 दिनों से लेह-लद्दाख में भूख हड़ताल पर हैं. वांगचुक लद्दाख के लिए विशेष दर्जे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. अब वांगचुक के समर्थन में कारगिल के साथ-साथ लेह के लोग भी सामने आए हैं. अधिक जानकारी के लिए देखे आजतक रिपोर्टर अशरफ वाणी की ये रिपोर्ट.
लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने अपनी 21 दिनों की भूख हड़ताल समाप्त कर दी है. उन्होंने बताया कि 27 मार्च से महिलाओं का एक समूह 10 दिनों की भूख हड़ताल करेगा. वांगचुक ने दावा किया कि उनकी हड़ताल के दौरान देशभर से उन्हें समर्थन मिला.