दक्षिणी ध्रुव
दक्षिणी ध्रुव (South Pole) उन दो बिंदुओं में से एक है जहां पृथ्वी की Axis of Rotation इसकी सतह को काटती है. यह पृथ्वी पर सबसे दक्षिणी बिंदु है और सभी दिशाओं में 20,004 किमी की दूरी पर उत्तरी ध्रुव से पृथ्वी के विपरीत दिशा में स्थित है.
यहां संयुक्त राज्य अमुंडसेन-स्कॉट दक्षिण ध्रुव स्टेशन (United States Amundsen–Scott South Pole Station) की साइट है, जिसे 1956 में स्थापित किया गया था. भौगोलिक दक्षिणी ध्रुव, दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव से अलग है, जिसकी स्थिति पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के आधार पर परिभाषित की जाती है. दक्षिणी ध्रुव, दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere) के केंद्र में है.
दक्षिणी ध्रुव के भौगोलिक निर्देशांक (Geographic coordinates) आमतौर पर 90°S के रूप में दिए जाते हैं, क्योंकि इसका longitude ज्यामितीय रूप से अपरिभाषित और अप्रासंगिक है.
दक्षिणी ध्रुव पर सभी दिशाओं का मुख उत्तर की ओर है. इस कारण से, ध्रुव पर दिशाएं "ग्रिड नॉर्थ" से दी जाती हैं, जो प्राइम मेरिडियन के साथ उत्तर की ओर दिखाती है. Latitude circle के साथ, क्लॉकवाइज पूर्व है और एन्टीक्लॉकवाइज पश्चिम है जो उत्तरी ध्रुव के विपरीत है.
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अंधेरा है. वहां ऐसे गड्ढे की तस्वीर पहली बार मिली है, जो अरबों सालों से देखा नहीं गया था. या यूं कह लें कि उस गड्ढें पर अरबों साल से सूरज की रोशनी नहीं गिरी है. इसलिए आसपास चीजें को अंधेरे में दिखती है, लेकिन उस गड्ढे के अंदर सफेद रंग की चीज दिख रही है. संभावना है कि वहां बर्फ ही बर्फ है.
साइंटिस्ट ने दावा किया है कि पिछले तीस सालों में धरती का दक्षिण ध्रुव पूर्व दिशा की तरफ अठहत्तर दशमलव चार आठ सेंटीमीटर यानी करीब ढाई फीट खिसक चुका है. जो फिर वापस कब लौटेगा, इसका पता नहीं चल पा रहा है.
इंसानों ने धरती से इतना पानी निकाला कि पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव 30 साल में करीब ढाई फीट खिसक गया है. धरती अलग-अलग चीजों से बनी है. समुद्र, वायुमंडल, टेक्टोनिक प्लेट... इन सबका अपना द्रव्यमान है. किसी का भी द्रव्यमान बदलता है तो सीधा असर ध्रुवों पर पड़ता है. जानिए कैसे खिसक रहा है धरती का दक्षिणी ध्रुव...
पृथ्वी की इक्वेटर लाइन यानी भूमध्यरेखा वाले ट्रॉपिकल इलाकों के ऊपर एक नया ओजोन होल मिला है. यह ओजोन होल अंटार्कटिका के ऊपर बने होल से 7 गुना बड़ा है. यह ओजोन होल मानव जीवन के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है. हालांकि, इसे लेकर वैज्ञानिकों के बीच विवाद बना हुआ है.