स्पेस टेलीस्कोप
एक स्पेस टेलीस्कोप (Space Telescope) या अंतरिक्ष दूरबीन बाहरी अंतरिक्ष में एक दूरबीन है जिसका उपयोग खगोलीय पिंडों का निरीक्षण करने के लिए किया जाता है (Space Telescope Use). 1946 में लाइमैन स्पिट्जर के सुझाव के बाद, पहले ऑपरेशनल टेलीस्कोप अमेरिकन ऑर्बिटिंग एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी (OAO-2) को, 1968 में लॉन्च किया गया (First Space Telescope) और 1971 में अंतरिक्ष स्टेशन Salyut 1 पर सोवियत संघ ने ओरियन 1 पराबैंगनी टेलीस्कोप को स्थापित किया था. स्पेस टेलीस्कोप जिस विद्युत चुम्बकीय विकिरण को देखते हैं उसकी फिल्टरिंग और विरूपण (स्किंटिलेशन) से बचते हैं.
स्पेस टेलीस्कोप को दो प्रकारों में बांटा गया हैं: उपग्रह जो पूरे आकाश (खगोलीय सर्वेक्षण) का नक्शा बनाते हैं, और उपग्रह जो चयनित खगोलीय पिंडों या आकाश के कुछ हिस्सों और उससे आगे पर ध्यान केंद्रित करते हैं. अंतरिक्ष दूरबीन पृथ्वी इमेजिंग उपग्रहों से अलग हैं, जो उपग्रह इमेजिंग के लिए पृथ्वी की ओर इशारा करते हैं, और मौसम विश्लेषण, जासूसी और अन्य प्रकार की जानकारी एकत्र करने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं (Types of Space Telescope).
1837 में विल्हेम बीयर और जोहान हेनरिक मैडलर ने चंद्रमा पर एक वेधशाला के फायदों पर चर्चा की. 1946 में, अमेरिकी सैद्धांतिक खगोल भौतिकीविद् लाइमैन स्पिट्जर ने अंतरिक्ष में एक दूरबीन का प्रस्ताव रखा. स्पिट्जर की विजन आखिरकार हबल स्पेस टेलीस्कोप में बदल गई, जिसे 24 अप्रैल 1990 को स्पेस शटल डिस्कवरी द्वारा लॉन्च किया गया था (History of Space Telescope).
वायुमंडल के बाहर पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली दूरबीन न तो टिमटिमाती है और न ही पृथ्वी पर कृत्रिम प्रकाश स्रोतों से होने वाले प्रकाश प्रदूषण का सामना करती है. नतीजतन, अंतरिक्ष दूरबीनों का एंग्यूलर रिजॉल्यूशन एक समान एपर्चर वाले ग्राउंड-आधारित टेलीस्कोप की तुलना में बहुत अधिक होता है (Advantage of Space Telescope).
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चीन दुनिया का सबसे बड़ा टेलिस्कोप का छल्ला बना रहा है. वह इससे सूरज और उसके विस्फोट की स्टडी करेगा. इस छल्ले का व्यास 3.13 किलोमीटर है. इतना बड़ा छल्ला दुनिया में कहीं नहीं है. चीन के वैज्ञानिक इन टेलिस्कोप्स की मदद से सौर तूफानों, विस्फोट, सौर लहरों आदि पर रिसर्च करेगा.