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सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस, स्वतंत्रता सेनानी 

सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) एक भारतीय राष्ट्रवादी और महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया और भारतीयों के बड़े नायक बन गए. बोस को पहली बार 1942 की शुरुआत में जर्मनी में ‘नेताजी’ के नाम से बुलाया गया था जो बाद में पूरे भारत में उनके नाम से जुड़ गया (Honorific Netaji was First Applied to Bose in Germany in 1942). 

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 (Subhas Chandra Bose Born) को कटक में प्रभावती बोस और जानकीनाथ बोस के घर हुआ था (Subhas Chandra Bose Parents). सुभाष अपने माता-पिता की नौवीं संतान और छठे पुत्र थे. जानकीनाथ, एक सफल सरकारी वकील थे. सुभाष ने कटक के प्रोटेस्टेंट यूरोपीय स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की. इसके बाद, उन्होंने कटक के रेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल में पढ़ाई की. 1912 में, उन्होंने मैट्रिक परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल किया. सुभाष बोस ने 1913 में प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में दाखिला लिया. उन्होंने 1918 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में बी.ए. किया. वह कलकत्ता विश्वविद्यालय के सभी दर्शनशास्त्र के छात्रों में दूसरे स्थान पर रहे. बोस अगस्त 1920 में  छह रिक्तियों वाली ICS की परीक्षा में बैठे और चौथे स्थान पर रहे लेकिन अपने राष्ट्रवादी विचारों के कारण इसकी अंतिम परीक्षा में बैठने से मना कर दिया (Subhas Chandra Bose Education). बोस की पत्नी ऑस्ट्रियाई मूल की एमिली शेंकल थीं (Bose’s Wife Emilie Schenkl), जिनसे नवंबर 1942 में उन्हें एक बेटी, अनीता बोस हुईं (Subhas Chandra Bose Daughter).

बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल होने के लिए 1921 में इंग्लैंड से भारत लौट आए. वह 1938 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने, 1939 में उन्हें फिर से अध्यक्ष चुना गया लेकिन महात्मा गांधी से मतभेद के कारण बोस ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और अंततः उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया (Became Congress president in 1938).
अप्रैल 1941 में बोस नाजी जर्मनी पहुंचे, जहां भारत की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अपने विचार पेश किए. बर्लिन में उन्होंने जर्मन फंड्स से फ्री इंडिया सेंटर खोला. बोस ने वहां फ्री इंडिया लीजन के लिए 3,000 लोगों की भर्ती की (Free India Legion). एडोल्फ हिटलर ने मई 1942 में बोस से मुलाकात की और उनकी जापान की यात्रा के लिए एक पनडुब्बी की व्यवस्था की (Adolf Hitler met Bose in 1942). वे मई 1943 में जापान पहुंचे. जापानी समर्थन से बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) को नया रूप दिया, जिसमें भारतीय सेना के युद्धबंदी शामिल थे. बोस की अध्यक्षता में जापानी कब्जे वाले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर स्वतंत्र भारत की एक अस्थायी सरकार की घोषिणा की गई थी. 1944 और 1945 में आईएनए ने जापानी सेना के साथ हमला किया, जिसे ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया. इस युद्ध में लगभग आधी जापानी सेना और आईएनए दल के सैनिक मारे गए थे. 
बोस ने ब्रिटेन की अत्याचारी औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ भविष्य की योजना बनाने के लिए सोवियत संघ जाने का फैसला किया. 18 अगस्त, 1945 को जापानी ताइवान में उनका ओवरलोडेड विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. माना जाता है कि थर्ड-डिग्री बर्न से 18 अगस्त 1945 को उनकी मृत्यु हो गई (Subhas Chandra Bose Death).

बोस की मृत्यु के बाद, आईएनए के 300 अधिकारियों पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया, लेकिन कांग्रेस के विरोध के कारण ब्रिटेन इससे पीछे हट गया.
 

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