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स्वर्ण मंदिर

स्वर्ण मंदिर

स्वर्ण मंदिर

हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर)

स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) जिसे हरमंदिर साहिब (Harmandir Sahib) के नाम से भी जाना जाता है, भारत के पंजाब राज्य (Punjab) के अमृतसर शहर (Amritsar) में स्थित एक गुरुद्वारा (Gurdwara) है. यह सिख धर्म (Sikhism) का प्रमुख आध्यात्मिक स्थल है. यह गुरुद्वारा एक मानव निर्मित सरोवर के बीच में बनाया गया है. इसके निर्माण को चौथे सिख गुरु, गुरु राम दास (Guru Ram Das) ने 1577 में पूरा किया था. साल 1604 में, गुरु अर्जन ने आदि ग्रंथ (Adi Granth) की एक प्रति हरमंदिर साहिब में रखी थी. 

स्वर्ण मंदिर को मुसलमान आततायियों ने कई बार तोड़ा और नष्ट किया और हर बार सिखों ने इस पवित्र गुरुद्वारे का फिर से निर्माण किया. सिख साम्राज्य की स्थापना के बाद, महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने 1809 में इसे संगमरमर और तांबे का इस्तेमाल करके फिर से बनाया और 1830 में गर्भगृह को सोने की पन्नी से मढ़ा. इसके बाद इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा.

स्वर्ण मंदिर आध्यात्मिक रूप से सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है. हरमंदिर साहिब में जीवन के सभी क्षेत्रों और धर्मों के लोगों को पूजा के लिए आने की पूरी छूट है. इसमें चार प्रवेश द्वारों के साथ सरोवर के चारों ओर एक परिक्रमा पथ है. परिसर में गर्भगृह और सरोवर के आसपास कई इमारतें बनी हुई हैं, इनमें से एक अकाल तख्त (Akal Takht) है, जो सिख धर्म के धार्मिक अधिकार का प्रमुख केंद्र है. गुरुद्वारे के परिसर में एक घंटाघर, गुरुद्वारा समिति का कार्यालय, एक संग्रहालय और एक लंगर शामिल है. यहां एक मुक्त सिख समुदाय द्वारा संचालित रसोईघर में बिना किसी भेदभाव के सभी श्रद्धालुओं को सामान्य शाकाहारी भोजन परोसता है. प्रतिदिन 1,00,000 से अधिक लोग स्वर्ण मंदिर पूजा के लिए आते हैं. इस गुरुद्वारा परिसर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) के रूप में नामित किया गया है.
 

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