तालिबान
तालिबान (Taliban), अफगानिस्तान में एक देवबंदी इस्लामी कट्टरपंथी जिहादी राजनीतिक आंदोलन है. ये स्वयं को अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के नाम से भी संदर्भित करता है. संयुक्त राज्य अमेरिका के आक्रमण के बाद, इसने 1996-2001 तक देश के लगभग तीन-चौथाई हिस्से पर शासन किया. तालिबान, वर्षों के विद्रोह के बाद 15 अगस्त 2021 को काबुल पर दोबारा कब्जा कर लिया और वर्तमान में पूरे देश पर नियंत्रण रखता है.
तालिबान 1994 में अफगान गृहयुद्ध में प्रमुख गुटों में से एक के रूप में उभरा था. इसमें बड़े पैमाने पर पूर्वी और दक्षिणी अफगानिस्तान के पश्तून क्षेत्रों के छात्र शामिल थे, जिन्हें पारंपरिक इस्लामी स्कूलों (Islamic schools) में शिक्षित किया गया था. मोहम्मद उमर मुजाहिद के नेतृत्व में यह आंदोलन पूरे अफगानिस्तान में फैल गया. मुजाहिदीन सरदारों से सत्ता को स्थानांतरित कर दिया (Mohammed Omar Mujahid). 1996 में, समूह ने देश के लगभग तीन-चौथाई हिस्से को प्रशासित किया और अफगानिस्तान की पहली इस्लामी अमीरात की स्थापना की (Foundation of First Islamic Emirate). इसमें अफगान राजधानी काबुल से कंधार में स्थानांतरित हो गई. दिसंबर 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के अफगानिस्तान पर आक्रमण के बाद तालिबान ने देश के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण कर लिया. इसके बाद, तालिबान ने संयुक्त राज्य समर्थित करजई प्रशासन (Karzai administration) और नाटो (NATO) के नेतृत्व वाली अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (ISAF) से लड़ने के लिए एक विद्रोह शुरू किया.
1996 से 2001 तक अपने शासन के दौरान, तालिबान ने शरिया या इस्लामी कानून लागू की. अफगान नागरिकों के खिलाफ नरसंहार, धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ कठोर भेदभाव, भूखे नागरिकों को संयुक्त राष्ट्र खाद्य आपूर्ति से इनकार करने के लिए व्यापक रूप से निंदा की गई. सांस्कृतिक स्मारकों को नष्ट करना, महिलाओं के स्कूल और अधिकांश रोजगार पर प्रतिबंध लगा दिया. 2021 में सत्ता में लौटने के बाद, अफगानिस्तान सरकार के बजट ने अपने वित्त पोषण का 80% खो दिया है. तालिबान नेताओं ने संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों से इसके शासन को मान्यता देने का आग्रह किया है. तालिबान ने अपने पिछले नियम के तहत शुरू की गई कई नीतियों को दोबारा लागू कर दिया, जिसमें महिलाओं को बुर्का जैसे सिर से पैर तक ढकने की आवश्यकता, महिलाओं को पुरुष अभिभावकों के बिना यात्रा करने से रोकना और महिलाओं को 6ठी कक्षा के बाद स्कूल जाने से रोकना शामिल था (Rule of Taliban).
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान अफगानिस्तान को लेकर गंभीर चर्चा की है. दरअसल 2021 में अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से वापसी कर रही थी, तब वो अपने हथियार वहीं छोड़ आई थी. अब ट्रंप ने इन्हीं हथियारों को लेकर बड़ा बयान दिया है. देखिए यूएस टॉप 10
डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आते ही एक आदेश जारी कर अमेरिकी एजेंसी USAID पर शिकंजा कस दिया. ये एजेंसी विदेशों में विकास प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग देती है. ट्रंप ने 90 दिनों तक फंडिंग रोक दी है और अब एजेंसी की मदद को लेकर हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं.
दुनिया में महिला अधिकार को लेकर तमाम बहसों के बीच एक मुल्क ऐसा है, जहां महिलाओं के चलने, पहनने, खेलने और यहां तक की बोलने पर भी पहरा है. दशकों से उनके 'वजूद' को कुचला जा रहा है. लेकिन इन तमाम पाबंदियों, बंदिशों और खामोशियों के बावजूद भी वो आगे बढ़ी हैं. हमेशा लड़ी हैं लेकिन इस लड़ाई में वो अकेले हैं.
दुबई में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की ऐतिहासिक मुलाकात हुई. यह तालिबान शासन के बाद पहली उच्च स्तरीय बैठक थी. दोनों पक्षों ने मानवीय सहायता, द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा की. भारत ने अफगान लोगों की मदद जारी रखने का वादा किया. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने पिछले दिनों दुबई में तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की है. इस मुलाकात ने कई बहसों को जन्म दिया है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर भारत, तालिबान की ओर क्यों दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है? इस रिश्ते के मायने क्या हैं? इसके फायदे क्या हैं?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ रहा है. पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने स्वीकार किया कि तालिबान उनकी बात नहीं सुनता. पाकिस्तान ने तालिबान को पाला-पोसा, लेकिन अब वह उनके काबू में नहीं है. पाकिस्तान टीटीपी और अफगान तालिबान से निपटने में असमर्थ है. भारत ने तालिबान से विदेश सचिव स्तर की बातचीत की, जिससे पाकिस्तान चिंतित है. पाकिस्तानी पत्रकारों का मानना है कि तालिबान से निपटना आसान नहीं होगा. पाकिस्तान अब भारत की रणनीति अपनाने की कोशिश कर रहा है.
भारत की तालिबान के साथ हाल में हुई मुलाकात को पाकिस्तान की कूटनीतिक हार की तरह देखा जा रहा है. लेकिन क्या ऐसा वाकई है? इस्लामाबाद के साथ-साथ ढाका से तनाव के बीच दिल्ली लगातार तालिबान संग बातचीत बढ़ा रही है. ये बात अलग है कि हमने एक सरकार बतौर तालिबान को मान्यता अब भी नहीं दी, बल्कि रिश्ते में छोटे-छोटे कदम ले रहे हैं.
पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में एक कॉन्फ्रेंस आयोजित की. मुस्लिम देशों में लड़कियों की शिक्षा के विषय पर आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला यूसुफजई भी शामिल हुईं. मलाला ने यहां आफगानिस्तान में तालिबान राज में लड़कियों की शिक्षा का मुद्दा उठाया. साथ ही पाकिस्तान को भा आईना दिखाया. देखें
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की है. भारत और अफगानिस्तान की शीर्ष स्तर पर हुई इस बातचीत से पाकिस्तान को मिर्ची लग सकती है क्योंकि वर्तमान में पाकिस्तान सरकार और तालिबान सरकार एक दूसरे के दुश्मन से कम नहीं है.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर भीषण गोलीबारी हुई है. खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर जिले और अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में मोटार शेल्स दागे गए. सैकड़ों परिवार विस्थापित हुए. पाकिस्तान ने हेलिकॉप्टर से हमला किया, जिसमें नागरिक मारे गए. तालिबान ने जवाबी कार्रवाई का आदेश दिया.
दुबई में भारत और अफगानिस्तान के बीच उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी और अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी ने भाग लिया. यह मुलाकात भारत की रणनीतिक हितों को देखते हुए की गई है.
दुबई में कल भारत और अफगानिस्तान में सरकार चला रहे तालिबान के बीच अब तक के सर्वोच्च स्तर की बातचीत हुई. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. इस मुलाकात की टाइमिंग बेहद अहम है. दरअसल इस वक्त पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते बिगड़ चुके हैं. देखें रणभूमि.
दुबई में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की ऐतिहासिक मुलाकात हुई. यह तालिबान शासन के बाद पहली उच्च स्तरीय बैठक थी. दोनों पक्षों ने मानवीय सहायता, द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा की. भारत ने अफगान लोगों की मदद जारी रखने का वादा किया. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.
दुबई में भारत और तालिबान शासित अफगानिस्तान के बीच उच्च स्तरीय वार्ता हुई. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की. यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब पाकिस्तान और तालिबान के संबंध तनावपूर्ण हैं. तालिबान ने भारत को आश्वासन दिया कि वह अपनी भूमि का उपयोग भारत के विरुद्ध नहीं होने देगा. यह बैठक पाकिस्तान और बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संदेश है.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के साथ चर्चा में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारत और अफगानिस्तान के लोगों की ऐतिहासिक दोस्ती पर जोर दिया. दोनों पक्षों ने भारत सरकार की ओर से चलाए गए मानवीय सहायता प्रोग्राम का मूल्यांकन किया. अफगानी मंत्री ने इसके लिए भारत सरकार की सराहना भी की.
नए साल की शुरुआत अमेरिका में आतंकी हमले से हुई. न्यू ऑर्लिंन्स में नए साल का जश्न मना रहे लोगों को एक तेज रफ्तार पिकअप वैन ने रौंद डाला था. इस घटना में 15 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. भीड़ को कुचलने के बाद हमलावर ने गोलियां भी चलाई थीं लेकिन पुलिस की जवाबी कार्रवाई में उसे ढेर कर दिया गया था.
भारत ने पाकिस्तानी हमले को इस्लामाबाद की 'आंतरिक विफलताओं' को अपने पड़ोसियों पर थोपने की पुरानी आदत करार दिया. दरअसल 24 दिसंबर को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के कुछ इलाकों में हवाई हमले किए थे, जिसमें उसने आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को निशाना बनाने का दावा किया था.
शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य स्टेक होल्डर से एकजुट होने की अपील की और देश में बढ़ते सुरक्षा संकट से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि हमें इस खतरे को हराने और देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक मंच पर आना होगा.
Taliban Flog Punishment: तालिबान में अभी भी कोड़े मारकर सजा देने की परंपरा है. अभी भी प्रशासन की ओर से लोगों को सरेआम कोड़े मारने की सजा दी जाती है, यहां तक कि इस सजा में महिलाओं को भी नहीं बख्शा जाता
जिस तालिबान को पाकिस्तान ने बनाया और समर्थन दिया, वही आज उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है. लाल मस्जिद ऑपरेशन ने तालिबान और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी की नींव रखी, जो अब एक खुली जंग में बदलती हुई दिख रही है.
पाकिस्तान ने अफगान तालिबान को 24 दिसंबर को उस वक्त भड़का दिया, जब उसने अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर दी. तालिबान सरकार के मुताबिक इस हमले में 46 लोग मारे गए जिनमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं थीं. इस हमले के बाद अफगानिस्तान के भीतर लोग गुस्से में थे. वहीं तालिबान सरकार के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान की जमीन पर हमला करने वाले पाकिस्तान को याद दिलाया कि इससे पहले ऐसा करने वाले अंग्रेजों से लेकर सोवियतों और अमेरिकियों का क्या हश्र हुआ था.