तारिक फ़तह (Tarek Fatah) एक पाकिस्तानी-कनाडाई पत्रकार और लेखक थे. फतह ने एलजीबीटी अधिकारों, धर्म और राज्य को अलग करने, शरिया कानून का विरोध करने और इस्लाम के एक उदार, प्रगतिशील रूप की वकालत की. फतह को कैंसर था जिसकी वजह से 24 अप्रैल 2023 को 73 वर्ष की उम्र उनकी मृत्यु हो गई (Tarek Fatah Died).
उन्होंने खुद को 'पाकिस्तान में पैदा हुआ एक भारतीय' और 'इस्लाम में पैदा हुआ एक पंजाबी' कहा और पाकिस्तानी धार्मिक और राजनीतिक प्रतिष्ठान के एक मुखर आलोचक रहें. फतह ने भारत के विभाजन की आलोचना भी की थी (Tarek Fatah on Partition).
फतह का जन्म 20 नवंबर 1949 को पाकिस्तान के कराची (Pakistan Karachi) में हुआ था (Tarek Fatah Born). वह एक पंजाबी मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते थें. जो 1947 में भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार बॉम्बे से कराची चला गया था.
तारिक फतह ने कराची विश्वविद्यालय से जैव रसायन में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की (Tarek Fatah Education). 1970 में कराची सन के लिए एक रिपोर्टर के रूप में पत्रकारिता में प्रवेश किया और एक खोजी पत्रकार बने. वह 1960 और 1970 के दशक में एक वामपंथी छात्र नेता थे, जो सैन्य शासन द्वारा दो बार कैद किए गए (Tarek Fatah Journalist).
1977 में, उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया था (Tarek Fatah charged with Sedition) और उनको जिया-उल हक शासन द्वारा पत्रकारिता से रोक दिया गया. 1987 में उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया और कनाडा चले गए (Tarek Fatah moved to Canada).
आतंकवाद पर पाकिस्तान का खेल खत्म हो चुका है. उसकी हकीकत सबको पता चल गई है. उसे बेनकाब करने में तारिक फतेह का भी बड़ा योगदान रहा. हिंदुस्तान से प्यार करने वाले तारिक फतेह का सोमवार को निधन हो गया. देखें ये रिपोर्ट.
तारिक फतेह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. उनकी बेटी नताशा ने तारिक के निधन की जानकारी देते हुए उन्हें पंजाब का शेर और हिंदुस्तान का बेटा बताया. वह अपने तीखे बयानों की वजह से हमेशा चर्चा में रहते थे.
तारिक फतेह (Tarek Fatah) इस्लामी कट्टरवाद और पाकिस्तान के खिलाफ मुखरता से अपनी बात रखते रहे थे. समय-समय पर उन्होंने पाकिस्तान को आईना दिखाया. कई बार उन्हें धमकियां भी मिलीं. उनके खिलाफ कई बार फतवे भी जारी हुए. लेकिन आखिरी समय तक वो अपनी बात बेबाकी से रखते रहे.