तसलीमा नसरीन, लेखिका
तसलीमा नसरीन (Taslima Nasrin) एक बांग्लादेशी-स्वीडिश लेखिका और चिकित्सक हैं. वह महिलाओं के उत्पीड़न और धर्म की आलोचना पर अपने लेखन के लिए जानी जाती हैं. अपने कुछ विवादित किताबों और लेखों की वजह से उन्हें बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल राज्य दोनों से ही ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है. उनकी कुछ किताबें बांग्लादेश में प्रतिबंधित हैं (Blacklisted from Bangladesh and West Bengal state of India)
तसलीमा नसरीन का जन्म 25 अगस्त 1962 को मैमनसिंह, बांग्लादेश (Mymensingh, Bangladesh) में हुआ था (Taslima Nasrin Date of Birth). उनके पिता डॉ. रजब अली और मां एडुल आरा थीं. उनके पिता एक चिकित्सक थे जो सर सलीमुल्लाह मेडिकल कॉलेज, ढाका और ढाका मेडिकल कॉलेज के मैमनसिंह मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर थे (Taslima Nasrin Parents).
1976 में हाई स्कूल और 1978 में कॉलेज में उच्च माध्यमिक अध्ययन के बाद, तसलीमा ने ढाका विश्वविद्यालय (Dhaka University) के एक संबद्ध मेडिकल कॉलेज, मैमनसिंह मेडिकल कॉलेज (Mymensingh Medical College) में चिकित्सा का अध्ययन किया और 1984 में एमबीबीएस की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की. मिटफोर्ड अस्पताल के स्त्री रोग विभाग और ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग में अभ्यास किया (Taslima Nasrin Education). अभ्यास के दौरान वह पीड़ित महिलाओं और बच्चियों के संपर्क में आने के उन्होंने नारीवादी दृष्टिकोण अपनाया.
1990 के दशक की शुरुआत में नारीवादी विचारों के साथ अपने निबंधों और उपन्यासों और सभी स्त्रीवादी धर्मों की आलोचना के कारण उन्होंने विश्व स्तर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया. नसरीन 1994 से निर्वासन में रह रही हैं. यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में एक दशक से अधिक समय तक रहने के बाद, वह 2004 में भारत चली गई, लेकिन 2008 में देश से निर्वासित कर दी गई, हालांकि वह भारत की राजधानी, नई दिल्ली में लंबे समय तक, बहु-प्रवेश परमिट पर रह रही है (Taslima Nasrin Lives in New Delhi India).
अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत में, नसरीन ने मुख्य रूप से कविताएं लिखीं और 1982 और 1993 के बीच कविता के करीब आधा दर्जन संग्रह प्रकाशित किए. उनके उपन्यासों में लज्जा (Lajja), शोध, निमोनत्रन (निमंत्रण), फेरा (रिटर्न) प्रमुख हैं (Taslima Nasrin Books).
ढाका में चल रहे एक पुस्तक मेले में हुड़दंगियों के एक समूह ने बुक स्टॉल पर धावा बोल दिया. यहां तसलीमा नसरीन की किताबें बिक रही थीं.सोशल मीडिया में चल रहे वीडियो में एक व्यक्ति को कुछ प्रदर्शनकारी कान पकड़कर माफी मांगने को मजबूर करते हुए दिख रहे हैं.
तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, 'A World of thanks'. हाथ जोड़ने वाली इमोजी के साथ उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को भी टैग किया. उन्होंने सोमवार को अपने रेजिडेंट परमिट पर चिंता व्यक्त करते हुए एक पोस्ट में लिखा कि 'भारत मेरा दूसरा घर है. मुझे यहां रहने दीजिए.'
तसलीमा नसरीन ने लिखा, 'अमित शाह जी, नमस्कार. मैं भारत में रहती हूं क्योंकि मैं इस महान देश से प्यार करती हूं. पिछले 20 वर्षों से यह मेरा दूसरा घर रहा है. लेकिन गृह मंत्रालय 22 जुलाई से मेरे रेजिडेंस परमिट को बढ़ा नहीं रहा है. मैं बहुत चिंतित हूं. अगर आप मुझे यहां रहने देंगे तो मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी.'
बांग्लादेश से आकर भारत में निर्वासित जिंदगी जी रहीं मशहूर लेखिका, डॉक्टर तसलीमा नसरीन ने आजतक डिजिटल से एक्सक्लूसिव बातचीत में बांग्लादेश के मौजूदा हालात, मजबूत होती जिहादी ताकतों और इस समस्या के हल पर विस्तार से अपने विचार रखे. उन्होंने बताया कि शेख हसीना की कौन सी गलती उन्हें भारी पड़ी.
तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की जानी-मानी लेखिका हैं, वे अब तक कई किताबें लिख चुकी हैं. वे कविताएं लिखती हैं और उनकी एक नॉवेल 'लज्जा' पर भारत में फिल्म भी बन चुकी है. इस फिल्म के बाद उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया था. वहीं हाल ही में बांग्लादेश में हुई हिंसा को लेकर उन्होंने क्या कुछ कहा. सुनिए उनका Exclusive इंटरव्यू
क्या बांग्लादेश के मौजूदा हालात परमिट एक्सटेंशन में रुकावट बन रहे हैं? इस पर तसलीमा नसरीन का कहना है, ''मेरा बांग्लादेश और वहां की राजनीति से कोई लेना देना नहीं. मैं तो पहले से भारत में रह रही हूं. मैं यहां स्वीडिश नागरिक के तौर पर रहती हूं. और बांग्लादेश के मौजूदा विवाद से पहले ही तो मेरा परमिट रद्द हो गया था. 2017 में भी दिक्कत हुई थी पर उस वक्त तकनीकी समस्या थी.''
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों के गुस्से ने उनकी सरकार हिला दी थी. ढाका सहित बांग्लादेश की सड़कों पर ऐसी हिंसा भड़की, जिसकी कीमत हिंदुओं को चुकानी पड़ी. उनके घर-बार, मंदिर, संपत्तियों को आग में झोंक दिया गया था, जिसके बाद बड़ी संख्या में हिंदू बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेना चाहते हैं.
तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा, अपनी स्थिति के लिए वह खुद जिम्मेदार हैं. उन्होंने इस्लामी कट्टरपंथियों को पनपने दिया, उन्होंने अपने लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने दिया."
तसलीमा नसरीन ने कहा कि दुनिया में कहीं भी किसी भी अत्याचार की निंदा करती हूं. मगर बांग्लादेश के लोग जो फिलिस्तीनियों के खिलाफ अत्याचारों से परेशान हैं, उन्हें अपने देश में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के बारे में भी उतना ही सोचना चाहिए. बांग्लादेशी नागरिक फिलिस्तीनियों पर अत्याचारों को लेकर बहुत उत्तेजित हैं.
वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली मोरक्को टीम इन दिनों सुर्खियों में है. मोरक्को के स्टार प्लेयर अशरफ हकीमी और उनकी पत्नी हिबा को लेकर तसलीमा नसरीन का एक ट्वीट वायरल हो रहा है.