तीस्ता सीतलवाड़
तीस्ता सीतलवाड़ (Citizens for Justice and Peace) एक इंडियन सिविल राइट्स एक्टिविस्ट और पत्रकार हैं. वह सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) की सचिव हैं, जो 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों की वकालत करने के लिए बनाई गई एक संस्था है. इस संस्था को सीतलवाड़ और उनके पति ने, फादर सेड्रिक प्रकाश, पत्रकार अनिल धारकर, एलिक पदमसी, जावेद अख्तर (Javed Akhtat), विजय तेंदुलकर और राहुल बोस (Rahul Bose) के साथ मिलकर इसकी स्थापना की (Founders of Citizens for Justice and Peace).
सीतलवाड़ का जन्म 9 फरवरी 1962 को मुंबई में हुआ था (Teesta Setalvad Age). वह एक गुजराती परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता अतुल सीतलवाड़, एक वकील हैं और मां सीता सीतलवाड़ हैं (Teesta Setalvad Parents). उनके दादा एम. सी. सीतलवाड़, भारत के पहले महान्यायवादी थे. सीतलवाड़ ने पत्रकार से अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता बने जावेद आनंद (Javed Anand) से शादी की (Teesta Setalvad Husband). उनके दो बच्चे हैं, एक बेटी और एक बेटा (Teesta Setalvad Children).
उनके एनजीओ ने गुजरात में हुए दंगों में पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात राज्य सरकार की कथित मिलीभगत के खिलाफ विभिन्न अदालतों में मुकदमेबाजी शुरू कर दी थी (Teesta Setalvad Gujarat Riots).
जून 2022 को तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने गिरफ्तार कर लिया और 1 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. उन्हें जुहू, मुंबई स्थित उनके आवास से अहमदाबाद, गुजरात ले जाया गया (Teesta Setalvad Arrested).
दिल्ली पुलिस ने न्यूजक्लिक और इसके संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि तीस्ता सीतलवाड़ को भ्रष्ट विदेशी धन प्राप्त हुआ और वह 'न्यूज-सिंडिकेशन स्कैम' का हिस्सा थीं.
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी सुप्रीम कोर्ट से तीस्ता सीतलवाड़ को राहत मिलने का जिक्र कर रही थीं. सुप्रीम कोर्ट ने 1 जुलाई को 2002 के गोधरा दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के केस में सीतलवाड़ को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दी थी.
तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. SC ने हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए तीस्ता को नियमित जमानत पर रिहा किया है. हालांकि, उनका पासपोर्ट अभी जब्त ही रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अगले आदेश तक गिरफ्तारी से राहत दी है. शीर्ष अदालत अगली 19 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेगा. गुजरात सरकार ने कोर्ट में कहा था कि गुजराती में लिखे हाई कोर्ट का आदेश अंग्रेजी में ट्रांसलेट नहीं हो पाया है, इसलिए सुनवाई टाल दी जाए.
2002 गोधरा दंगा मामले गुजरात हाई कोर्ट के नियमित जमानत खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में तीस्ता सीतलवाड़ ने चुनौती दी है. गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ याचिका को खारिज करते हुए तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनके मामले की दो बार सुनवाई की थी और अंतरिम प्रोटेक्शन प्रदान की थी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीस्ता सीलववाड़ को राहत देने पर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बीजेपी पर निशाना साधा. देखें वीडियो.
तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी. कोर्ट के फैसले के अनुसार एक हफ्ते के लिए उन्हें अंतरिम सुरक्षा प्रदान की गई है. यानी कि इस एक हफ्ते के दौरान उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात HC के फैसले उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने कार्यकर्ता को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया था.
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है. गुजरात हाईकोर्ट के सरेंडर किए जाने के आदेश के खिलाफ शनिवार को ही सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. यहां दो जजों की बेंच ने सुनवाई की और फिर मामले को बड़ी बेंच के लिए भेज दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मामले की सुनवाई मंगलवार को हुई तो आसमान नहीं गिरने वाला.
सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाईकोर्ट से झटका लगा है. हाईकोर्ट ने तीस्ता की रेगुलर जमानत की अर्जी की मांग खारिज कर दी है. कोर्ट ने उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया.
India Today Conclave: पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कोर्ट की स्वतंत्रता, कॉलेजियम, एनजेएसी जैसे मुद्दों पर बात की. उन्होंने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम आइडियल है. उन्होंने कहा कि देश की कोर्ट पर किसी तरह का दबाव नहीं है. इसके अलावा उन्होंने जजों के रिटायर होने के बाद सरकारी पदों को स्वीकार करने पर भी जवाब दिया.
गुजरात दंगे से जुड़े मामले में तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व IPS संजीव भट्ट और श्रीकुमार के खिलाफ चार्जशीट दायर हो गई है. इसमें लिखा गया है कि आरोपियों की मंशा तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पारी खत्म करना और उनकी साख को नुकसान पहुंचाने की थी.
सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ मुंबई के लिए निकल चुकी हैं. गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में वह अहमदाबाद की साबरमती महिला जेल में बंद थीं. शनिवार को सेशन कोर्ट में पेशी के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.
गुजरात दंगे मामले में गिरफ्तार की गईं तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने कहा है कि उनकी रेगुलर बेल पर हाई कोर्ट फैसला सुना सकता है. अभी के लिए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी गई है. कोर्ट ने कहा है कि तीस्ता को जांच में पूरा सहयोग करना होगा और उन्हें अपना पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा.
गुजरात दंगे मामले में गिरफ्तार हुईं तीस्ता सीतलवाड़ केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. उन्हें आज कोर्ट द्वारा जमानत नहीं दी गई है. अब गुरुवार को इस मामले में फिर सुनवाई होने वाली है.
2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामले में जेल में बंद तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इससे पहले गुजरात सरकार ने तीस्ता की जमानत याचिका का विरोध किया है. सरकार ने जमानत का विरोध करते हुए कहा है कि तीस्ता को 'बेगुनाहों' को फंसाने के बदले बड़ी मात्रा में पैसा मिला था.
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई की. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा. जबकि मामले की सुनवाई 25 अगस्त तक के लिए टाल दी. तीस्ता को गुजरात दंगों के मामलों में 'बेगुनाहों' को फंसाने के लिए कथित रूप से सबूत गढ़ने के आरोप में जून में अरेस्ट किया गया था.
तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका में एसआईटी ने पिछले दिनों अपने एफिडेविट में खुलासा किया था कि गलत पेपर बना कर कानून के साथ खिलवाड़ करने के आरोप में तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और श्रीकुमार को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद ही तीस्ता ने अपनी जमानत के लिए अहमदाबाद के सिविल एन्ड सेसन्स कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.